जलियांवाला बाग हत्याकांड की शताब्दी पर उतना ध्यान नहीं दिया गया, जितना दिया जाना चाहिये था: गुलजार

By भाषा | Updated: November 3, 2019 19:18 IST2019-11-03T19:18:51+5:302019-11-03T19:18:51+5:30

पिछले महीने यूएई में भारत के राजदूत पद से सेवानिवृत्त हुए सूरी ने उन परिस्थितियों को बयां किया जिनमें उनके दादा ने यह कविता लिखी। सूरी ने बताया कि ब्रिटिश सरकार ने ‘खूनी वैशाखी’ के प्रकाशन पर रोक लगा दी थी।

Jallianwala Bagh massacre centenary did not get attention it deserved says Gulzar | जलियांवाला बाग हत्याकांड की शताब्दी पर उतना ध्यान नहीं दिया गया, जितना दिया जाना चाहिये था: गुलजार

File Photo

मशहूर शायर-गीतकार गुलजार का कहना है कि जलियांवाला बाग हत्याकांड भारत के इतिहास की एक बेहद महत्वपूर्ण घटना है लेकिन इसके 100 साल पूरे होने पर उतना ध्यान नहीं दिया गया, जितना दिया जाना चाहिये था। पूर्व राजदूत नवदीप सूरी की पुस्तक ‘खूनी वैशाखी’ के शाहमुखी और मलयालम संस्करण के विमोचन के मौके पर शनिवार को गुलजार ने यह बात कही।

यह पुस्तक सूरी के दादा नानक सिंह द्वारा जलियांवाला बाग की घटना पर लिखी गई कविता का अनुवाद है। शारजाह अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेले में इसका विमोचन किया गया। गुलजार ने कहा कि स्वतंत्रता के प्रथम संग्राम के 150 वर्ष पूरे होने पर भी कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया लेकिन जलियांवाला बाग हत्याकांड पर उतना ध्यान नहीं दिया गया, जितना दिया जाना चाहिये था।

पिछले महीने यूएई में भारत के राजदूत पद से सेवानिवृत्त हुए सूरी ने उन परिस्थितियों को बयां किया जिनमें उनके दादा ने यह कविता लिखी। सूरी ने बताया कि ब्रिटिश सरकार ने ‘खूनी वैशाखी’ के प्रकाशन पर रोक लगा दी थी।

पंजाब के अमृतसर में जलियांवाला बाग हत्याकांड 13 अप्रैल 1919 को हुआ था, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए थे। ‘रौलट एक्ट’ का विरोध करने के लिए एक सभा हो रही थी जिसमें जनरल डायर ने वहां भीड़ पर गोलियां चलवा दी थीं। 

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