जेटली ने कहा, बजट विकास की आकांक्षा रखने वाले भारत के लिए राजनीतिक दिशा सृजित करता है
By भाषा | Updated: July 6, 2019 14:28 IST2019-07-06T14:28:04+5:302019-07-06T14:28:04+5:30
‘द बजट 2019-20’ शीर्षक से अपने पोस्ट में उन्होंने कहा, ‘‘यह विकल्प अनुचित है क्योंकि किसी भी सरकार को बने रहने और प्रदर्शन के लिये दोनों की आवश्यकता होती है। प्रधानमंत्री का पहला कार्यकाल बेहतर अर्थशास्त्र और अच्छी राजनीति के मिश्रण का गवाह रहा है।’’

निश्चित रूप से बजट एक नीति दस्तावेज के रूप में आर्थिक वृद्धि के मोर्चे पर भारत को पटरी पर लाने को लेकर रूपरेखा को रखता है।
पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को कहा कि 2019-20 का बजट उच्च आर्थिक वृद्धि दर के रास्ते पर देश के लौटने को लेकर रूपरेखा पेश करता है।
उन्होंने कहा कि बजट इस बात पर आधारित है कि जो अर्थव्यवस्थाएं सूझबूझ वाली राजकोषीय नीतियों का अनुकरण करती हैं, वो राजकोषीय मोर्चे पर लापरवाही करने वालों की तुलना में अंतत: पुरस्कृत होती हैं। बजट पेश होने के एक दिन बाद जेटली ने कहा कि एक बुनियादी सवाल हमेशा पूछा जाता रहा है कि अच्छा अर्थशास्त्र और चतुर राजनीति के बीच क्या चुना जाना चाहिए।
‘द बजट 2019-20’ शीर्षक से अपने पोस्ट में उन्होंने कहा, ‘‘यह विकल्प अनुचित है क्योंकि किसी भी सरकार को बने रहने और प्रदर्शन के लिये दोनों की आवश्यकता होती है। प्रधानमंत्री का पहला कार्यकाल बेहतर अर्थशास्त्र और अच्छी राजनीति के मिश्रण का गवाह रहा है।’’
The Union Budget 2019-20 gives a political direction for an aspirational India. The economically weaker sections get the basic amenities of life. The Prime Minister’s first tenure witnessed the blending of good economics & good politics. The trend continues in this Budget.
— Arun Jaitley (@arunjaitley) July 6, 2019
जेटली ने कहा कि बजट विकास की आकांक्षा रखने वाले भारत के लिये राजनीतिक दिशा सृजित करता है। मध्यम वर्ग और नव-मध्यम वर्ग के हितों से जुड़े कई चीजों को प्रोत्साहन दिया गया है। इसमें सस्ता मकान अैर इलेक्ट्रिक वाहन शामिल हैं।
इसके अलावा रोजगार सृजन तथा निवेश आकर्षित करने के लिये बुनियादी ढांचा, निर्माण और रीयल इस्टेट क्षेत्र को भी गति देने के उपाय किये गये हैं। जेटली ने कहा, ‘‘भारत दुनिया में तीव्र आर्थिक वृद्धि वाला बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ है। पिछली दो-तीन तिमाहियों में वृद्धि नरम हुर्ह है।
निश्चित रूप से बजट एक नीति दस्तावेज के रूप में आर्थिक वृद्धि के मोर्चे पर भारत को पटरी पर लाने को लेकर रूपरेखा को रखता है।’’ उल्लेखनीय है कि भारत की आर्थिक वृद्धि जनवरी-मार्च तिमाही में घटकर पांच साल के न्यूनतम स्तर 5.8 प्रतिशत रही।
पूरे वित्त वर्ष 2018-19 में भी आर्थिक वृद्धि दर भी पांच साल के न्यूनतम स्तर 6.8 प्रतिशत रही। आर्थिक समीक्षा में चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है।