बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा का निधन, जानिए कैसा रहा प्रोफेसर से मुख्यमंत्री और फिर जेल तक का उनका सफर
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 19, 2019 11:37 AM2019-08-19T11:37:52+5:302019-08-19T11:37:52+5:30
जगन्नाथ मिश्रा ने 1975 में पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने और 1977 तक इस पद पर बने रहे। इसके बाद 1980 में उन्हें दूसरी बार बिहार की कमान मिली। जगन्नाथ तीसरी बार 6 दिसंबर 1989 में बिहार के मुख्यमंत्री रहे और एक साल से भी कम समय में 10 मार्च, 1990 को उन्हें कुर्सी गंवानी पड़ी।
बिहार में कांग्रेस के आखिरी मुख्यमंत्री और चारा घोटाले के कारण खासे चर्चा में रहे जगन्नाथ मिश्रा का सोमवार सुबह दिल्ली में निधन हो गया। जगन्नाथ मिश्रा कैंसर सहित कई बीमारियों से ग्रसित थे। बिहार के तीन बार मुख्यमंत्री चुने गये जगन्नाथ मिश्रा हालांकि कभी भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। एक प्रोफेसर के रूप में अपना करियर शुरू करने वाले जगन्नाथ मिश्रा अपने समय में ऐसे नेताओं में शामिल रहे जिनका कार्यकर्ताओं से सीधा जुड़ाव रहा।
जगन्नाथ मिश्रा के बड़े भाई ललित नारायण मिश्रा भी राजनीति से जुड़े हुए थे और बिहार के कद्दावर नेताओं में उनका नाम शामिल रहा।ललित नारायण मिश्रा जब रेल मंत्री थे तभी 1975 में उनकी समस्तीपुर रेलवे स्टेशन पर बम ब्लास्ट में हत्या कर दी गई थी। बहरहाल, जगन्नाथ मिश्रा का राजनीतिक जीवन चारा घोटाले में नाम आने के कारण काफी विवादों में रहा।
जगन्नाथ मिश्रा को 30 सितंबर 2013 को रांची में एक विशेष सीबीआई अदालत ने चारा घोटाला मामले में 44 अन्य लोगों के साथ उन्हें भी दोषी ठहराया। उन्हें चार साल की कारावास और जुर्माना लगाया गया था।
जगन्नाथ मिश्रा: 1975 में पहली बार बने मुख्यमंत्री
जगन्नाथ मिश्रा ने 1975 में पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने और 1977 तक इस पद पर बने रहे। इसके बाद 1980 में उन्हें दूसरी बार बिहार की कमान मिली। जगन्नाथ तीसरी बार 6 दिसंबर 1989 में बिहार के मुख्यमंत्री रहे और एक साल से भी कम समय में 10 मार्च, 1990 को उन्हें कुर्सी गंवानी पड़ी।
चारा घोटाले में नाम ने राजनीतिक करियर को विवादित बनाया
बिहार के सुपौल के बलुआ में 1937 में जन्में जगन्नाथ मिश्रा अपने समय में कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में शुमार रहे। बिहार में कांग्रेस को ऊंचाइयों तक ले जाने में उनका योगदान अहम रहा। हालांकि बाद में जेडीयू से जुड़ गये। उनके जीवन के सबसे संघर्षपूर्ण 1995 के बाद के रहे जब 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाले में उनका नाम आया।
पिछले ही साल जनवरी 2018 में चारा घोटाले से जुड़े चाईबासा कोषागार (आरसी 68 ए/96) से अवैध निकासी के मामले जगन्नाथ मिश्र को अदालत ने दोषी करार देते हुए पांच साल की सश्रम कैद की सजा भी सुनाई गई थी। हालांकि, दुमका कोषागार से अवैध निकासी से जुड़े मामले में उन्हें बरी कर दिया गया था