शराब दुकानों के बाहर कतारें कम करने पर अदालती हस्तक्षेप नहीं करना नुकसानदायक होता: उच्च न्यायालय

By भाषा | Updated: September 2, 2021 20:25 IST2021-09-02T20:25:48+5:302021-09-02T20:25:48+5:30

It would have been harmful not to intervene in the court to reduce the queues outside liquor shops: High Court | शराब दुकानों के बाहर कतारें कम करने पर अदालती हस्तक्षेप नहीं करना नुकसानदायक होता: उच्च न्यायालय

शराब दुकानों के बाहर कतारें कम करने पर अदालती हस्तक्षेप नहीं करना नुकसानदायक होता: उच्च न्यायालय

केरल उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि अगर उसने सरकारी बेवरेजेस कॉरपोरेशन (बेवको) की शराब की दुकानों के बाहर कतारें कम करने के लिए हस्तक्षेप नहीं किया होता तो ''हम एक विनाशकारी टाइम बम पर बैठे होते।'' अदालत ने बेवको से यह भी कहा कि केवल इसलिए कि वह केरल में सबसे अधिक राजस्व अर्जित करने वाली इकाई है, इसका अर्थ यह नहीं है कि वह अच्छा काम कर रही है। न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने कहा, ''आपको नतीजा देखना चाहिए। इस उद्योग के कारण, जिन लोगों को अस्पताल जाना पड़ता है उनकी संख्या देखें, उस संख्या को देखें कि कितने लोग कोविड-19 से प्रभावित हो सकते हैं।'' न्यायधीश ने कहा कि भीड़ को कम करने को लेकर उच्च न्यायालय औरर आबकारी विभाग के निर्देशों के बावजूद शराब की दुकानों के बाहर कतारें रहीं। अदालत ने यह भी कहा कि ऐसा जान पड़ता है कि बेवको उस फैसले को नजरअंदाज कर रही है, जिसमें आबकारी विभाग को उन 96 शराब दुकानों को दूसरे स्थान पर ले जाने को कहा गया था जिनका आधारभूत ढांचा कमजोर है और जहां कतारें लगती हैं। अदालत ने कहा कि बेवको आबकारी विभाग के निर्देशों का पालन करने को बाध्य है। इस पर बेवको ने अपने बचाव में कहा कि उसने अपनी तीन दुकानों को स्थानांतरित किया है और 24 अन्य को तत्काल हटाया जा रहा है। बेवको ने अन्य दुकानों के संबंध में उठाए जा रहे कदमों से भी अदालत को अवगत कराया। अदालत एक अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो 2017 के उसके फैसले का पालन नहीं करने का दावा करते हुए दायर की गई थी। इसमें राज्य सरकार और बेवको को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया था कि बेवको की शराब दुकानों के कारण त्रिशूर के एक क्षेत्र के व्यवसायों और निवासियों को कोई परेशानी नहीं हो।

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