Chandrayaan-2: आखिर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर ही क्यों उतरेगा चंद्रयान-2?

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: July 23, 2019 08:24 IST2019-07-23T08:24:06+5:302019-07-23T08:24:06+5:30

वैज्ञानिकों के अनुसार इस दक्षिणी ध्रुव पर शोध से यह पता चलेगा कि आखिर चांद की उत्पत्ति और उसकी संरचना कैसे हुई. इस क्षेत्र में बड़े और गहरे गड्ढे हैं. यहां उत्तरी ध्रुव की अपेक्षा कम शोध हुआ है.

ISRO has launched chandryaan-2: Why Chandrayaan-2 will only land on the southern pole of the moon? | Chandrayaan-2: आखिर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर ही क्यों उतरेगा चंद्रयान-2?

इसरो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-2 को उतारेगा.

Highlightsचंद्रयान-2 चांद की सतह की मैपिंग भी करेगा.चंद्रयान-2 के जरिए भारत एक ऐसे अनमोल खजाने की खोज कर सकता है

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चांद पर शोध के लिए चंद्रयान-2 लॉन्च कर दिया है. मिशन पूरा होने में करीब 50 दिन लगेंगे. इसरो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-2 को उतारेगा. दरअसल चांद को फतह कर चुके अमेरिका, रूस और चीन ने अभी तक इस जगह पर कदम नहीं रखा है. इस ध्रुव पर अभी तक कम ही शोध हुआ है.

वैज्ञानिकों के अनुसार इस दक्षिणी ध्रुव पर शोध से यह पता चलेगा कि आखिर चांद की उत्पत्ति और उसकी संरचना कैसे हुई. इस क्षेत्र में बड़े और गहरे गड्ढे हैं. यहां उत्तरी ध्रुव की अपेक्षा कम शोध हुआ है.

पानी की उपलब्धता तलाशेगा

चंद्रयान-2 चांद के भौगोलिक वातावरण, खनिज तत्वों, उसके वायुमंडल की बाहरी परत और पानी की उपलब्धता की जानकारी एकत्र करेगा. इसकी प्रबल संभावनाएं हैं कि दक्षिणी ध्रुव पर जल मिले. भारत के चंद्रयान-1 मिशन के दौरान दक्षिणी ध्रुव में बर्फ के बारे में पता चला था. तभी से चांद के इस हिस्से के प्रति दुनिया के देशों की रुचि जगी है.

चंद्रयान-2 चांद की सतह की मैपिंग भी करेगा. इससे उसके तत्वों के बारे में भी पता चलेगा.

हो सकती है अनमोल खजाने की खोज

माना जा रहा है कि भारत मिशन मून के जरिए दूसरे देशों पर बढ़त हासिल कर लेगा. चंद्रयान-2 के जरिए भारत एक ऐसे अनमोल खजाने की खोज कर सकता है जिससे न केवल अगले करीब 500 साल तक इंसानी ऊर्जा जरूरतें पूरी की जा सकती हैं, बल्कि खरबों डॉलर की कमाई भी हो सकती है.

चांद से मिलने वाली यह ऊर्जा न केवल सुरक्षित होगी बल्कि तेल, कोयले और परमाणु कचरे से होने वाले प्रदूषण से मुक्त होगी. रोचक है चांद का दक्षिणी ध्रुव: विशेषरूप से चांद का दक्षिणी ध्रुव दिलचस्प है क्योंकि इसकी सतह का बड़ा हिस्सा उत्तरी ध्रुव की तुलना में अधिक छाया में रहता है. संभावना जताई जा रही कि इस हिस्से में पानी भी हो सकता है. चांद के दक्षिणी ध्रुव में ठंडे क्रेटर्स (गड्ढों) में प्रारंभिक सौर प्रणाली के लुप्त जीवाश्म रिकॉर्ड मौजूद हैं.

काम खत्म कर चांद पर ही सो जाएगा प्रज्ञान

चंद्रयान-2 मिशन को लेकर सभी के मन में बहुत से सवाल हैं. इनमें से एक सवाल यह भी है कि मिशन में अहम योगदान देने वाले रोवर, जिसे प्रज्ञान नाम दिया गया है उसका क्या होगा? यह रोवर कितने दिन चांद की सतह पर गुजारेगा और फिर उसका क्या होगा? उल्लेखनीय है कि प्रज्ञान नाम संस्कृत से लिया गया है, जिसका मतलब ज्ञान होता है.

मिशन में प्रज्ञान ही चांद की सतह पर उतरेगा और नई जानकारियां उपलब्ध कराएगा. चंद्रयान-2 के कुल तीन मुख्य हिस्से हैं. पहला हिस्सा ऑर्बिटर है. चांद की सतह के नजदीक पहुंचने के बाद चंद्रयान को चांद के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर उतरने की प्रक्रि या में 4 दिन लगेंगे. चांद की सतह के नजदीक पहुंचने पर लैंडर (विक्र म) अपनी कक्षा बदलेगा.

फिर वह सतह की उस जगह को स्कैन करेगा जहां उसे उतरना है. लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा और आखिर में चांद की सतह पर उतर जाएगा. दूसरा लैंडर. लैंडिंग के बाद लैंडर (विक्र म) का दरवाजा खुलेगा और वह रोवर (प्रज्ञान) को रिलीज करेगा. रोवर के निकलने में करीब 4 घंटे का समय लगेगा. फिर यह वैज्ञानिक परीक्षणों के लिए चांद की सतह पर निकल जाएगा.

इसके 15 मिनट के अंदर ही इसरो को लैंडिंग की तस्वीरें मिलनी शुरू हो जाएंगी. तीसरा हिस्सा है रोवर. जिसे प्रज्ञान नाम दिया गया है. 27 किलोग्राम का यह रोवर 6 पहिए वाला एक रोबोट वाहन है. 14 दिन बाद हो जाएगा बंद: रोवर प्रज्ञान चांद पर 500 मीटर तक घूम सकता है. यह सौर ऊर्जा की मदद से काम करता है.

रोवर सिर्फ लैंडर के साथ संवाद कर सकता है, इसकी कुल लाइफ 1 लूनर डे की है. जिसका मतलब पृथ्वी के लगभग 14 दिन होता है. चंद्रयान पर कुल 13 पेलोड हैं. इसमें से 2 पेलोड रोवर पर भी होंगे.

प्रक्षेपण देश के लिए निर्णायक क्षण

कांग्रेस ने देश के दूसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण पर संबंधित वैज्ञानिकों एवं परियोजना से जुड़े लोगों को बधाई दी और कहा कि ये वो निर्णायक क्षण हैं जो भारत को महान देश बनाते हैं. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के मशहूर 'ट्रिस्ट विथ डेस्टिनी' भाषण का हवाला देते हुए ट्वीट किया, ''भारत की 'ट्रिस्ट विथ डेस्टिनी' चंद्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण के साथ जारी है. ये वो निर्णायक क्षण हैं जो हमें एक महान देश बनाते हैं.''

उन्होंने कहा, ''इसरो के सभी वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई जिन्होंने 130 करोड़ भारतीयों को गौरवान्वित करने के लिए दिन-रात मेहनत की.''

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