नई दिल्ली: कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने बीते गुरुवार को इजरायल द्वारा गाजा पट्टी पर किये जा रहे हमले की निंदा करते हुए कहा कि इजरायल के हमले ने नरसंहार की एक 'भयानक मिसाल' कायम की है और इसे मानव जाति के इतिहास में 'बड़े शर्म' के रूप में जाना जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने इजरायल पर युद्ध न रोक पाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भी जमकरआलोचना की है।
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने सोशल प्लेटफॉर्म एक्स पर किये पोस्ट में कहा, "अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने गाजा में जो अनुमति दी है, वह इतिहास में न केवल पूरी मानवता के लिए एक बड़ी शर्म के रूप में बल्कि मानव जाति के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में दर्ज किया जाएगा।"
समाचार वेबसाइट हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार प्रियंका गांधी ने कहा, "नरसंहार के प्रति आंखें मूंद लेना, हजारों निर्दोष बच्चों के निर्मम वध से मुंह मोड़ लेना, जब पूरा देश भूखा मर रहा हो और मदद की गुहार लगा रहा हो, क्योंकि यह दण्डमुक्ति के साथ किया जाता है। जबकि अस्पतालों पर बमबारी हो रही हो, डॉक्टरों को प्रताड़ित किया जा रहा हो और अपमानित किया जा रहा हो, तब कोई भी कदम उठाने से इनकार करना और मरीजों को मरने की इजाजत दे देना, अधिक से अधिक धन और हथियार प्रदान करके इस अमानवीय विनाश को बढ़ावा दिया गया। यह सब अब एक भयानक मिसाल कायम कर चुका है।"
कांग्रेस महासचिव ने गाजा युद्ध की निंदा करते हुए कहा, “न्याय, मानवता और अंतर्राष्ट्रीय मर्यादा के सभी नियम टूट गए हैं। मानवता लहूलुहान हो गई है और हममें से प्रत्येक को किसी दिन इसके लिए अकल्पनीय कीमत चुकानी पड़ेगी। जब तक कि हम अपनी आवाज नहीं उठाते और आज जो सही है उसके लिए खड़े नहीं होते।''
मालूम हो कि पिछले साल अक्टूबर में इजराइल-हमास युद्ध की शुरुआत के बाद से कांग्रेस ने लगातार फिलिस्तीन के लोगों का समर्थन किया है। कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) ने भी फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों का समर्थन करते हुए और क्षेत्र में युद्धविराम का आह्वान करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया था।
पिछले साल इजराइल और हमास के बीच हुए संघर्ष पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी आधिकारिक बयान जारी किया था। राहुल गांधी ने इजरायल-गाजा संघर्ष को समाप्त करने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया था।
वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था, "भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस तत्काल संघर्ष विराम और गाजा के संकटग्रस्त लोगों को मानवीय सहायता के लिए अपना आह्वान दोहराती है। यह सभी पक्षों से संवेदनहीन हिंसा और युद्ध का रास्ता छोड़ने और बातचीत और कूटनीति की प्रक्रिया शुरू करने का आह्वान करती है।"