INX मीडिया केसः तीन तत्कालीन अधिकारियों ने ईडी को दर्ज कराए बयान, सांसत में चिदंबरम की जान!
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 24, 2019 11:50 AM2019-08-24T11:50:19+5:302019-08-24T11:56:21+5:30
INX मीडिया मामले में तत्कालीन शीर्ष नौकरशाहों ने प्रवर्तन निदेशालय को अपना बयान दर्ज कराया है। इससे धाराशाई हो सकती हैं चिदंबरम की दलीलें...
इंद्राणी मुखर्जी के बयान ने पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम की गिरफ्तारी का रास्ता साफ किया था। आईएनएक्स मीडिया मामले में तीन तत्कालीन नौकरशाहों के बयान दर्ज किए गए हैं। इससे चिदंबरम की दलीलें धाराशाई हो सकती हैं। उस वक्त के अधिकारियों ने प्रवर्तन निदेशालय को बयान दर्ज करवाया है कि आईएनएक्स मीडिया को सिर्फ 4.62 करोड़ रुपये के विदेशी निवेश की मंजूरी मिली थी लेकिन 305 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश मंगवाया गया था। इसकी जानकारी आरबीआई को भी नहीं दी गई थी।
एफआईपीबी के तत्कालीन सचिव डी. सुब्बाराव ने ईडी को बताया कि कागजों में सबकुछ सही था इसलिए उन्होंने वित्त मंत्री से अनुमति देने की संस्तुति की। उन्होंने कहा कि एफआईपीबी) यूनिट को कंपनी से इस बात की पुष्टि करनी चाहिए थी कि क्या वास्तव में आईएनएक्स न्यूज प्राइवेट लिमिटेड में डाउनस्ट्रीम इन्वेस्टमेंट हुआ है। अगर इसकी पुष्टि हो जाती तो यह सीधा-सीधा एफआईपीबी के निर्देशों का उल्लंघन का मामला था, तब एफआईपीबी यूनिट की जिम्मेदारी थी कि वह उचित फैसले के लिए बोर्ड को इससे अवगत कराए।
चिदंबरम को अंतरिम राहत
उच्चतम न्यायालय ने आईएनएक्स मीडिया प्रकरण में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज धन शोधन मामले में शुक्रवार को कांग्रेस नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम को 26 अगस्त तक गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान कर दिया। हालांकि इस फैसले का बहुत अधिक असर नहीं होगा क्योंकि वह भ्रष्टाचार के मामले में पहले ही 26 अगस्त तक पूछताछ के लिये सीबीआई की हिरासत में हैं।
ईडी ने लगाए कई आरोप
चिदंबरम की कई याचिकाओं पर दलीलें पेश करने के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आरोप लगाया कि उन्होंने उस समय आईएनएक्स मीडिया समूह के प्रोमोटरों पीटर और इंद्राणी मुखर्जी से ‘‘उनके बेटे का ध्यान रखने’’ के लिए कहा था जब वे विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी के लिए उनसे मिले थे। ईडी ने यह भी आरोप लगाया कि जांच में उसने पाया कि चिदंबरम के पास 11 ‘‘अचल संपत्तियां’’ और विदेशों में 17 बैंक खाते थे इसलिए इस मामले में बड़ी साजिश का खुलासा करने के लिए उनसे हिरासत में पूछताछ की जरूरत है।
चिदंबरम के वित्त मंत्री रहने के दौरान 2007 में आईएनएक्स मीडिया समूह को एफआईपीबी की मंजूरी दिलाने में बरती गई कथित अनियमितताओं को लेकर सीबीआई ने 15 मई 2017 को एक प्राथमिकी दर्ज की थी। यह मंजूरी 305 करोड़ रुपये का विदेशी धन प्राप्त करने के लिए दी गई थी। इसके बाद, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी 2017 में इस सिलसिले में धनशोधन का एक मामला दर्ज किया था।
पांच देशों को ‘लेटर रोगेटरी’
इस बीच, सूत्रों ने बताया कि सीबीआई ने पांच देशों को ‘लेटर रोगेटरी’ (एलआर) यानी न्यायिक अनुरोध पत्र भेजकर आईएनएक्स मीडिया मामले में भुगतान के लेन-देन की विस्तृत जानकारी मांगी है। उन्होंने बताया कि इन न्यायिक अनुरोध पत्रों के जरिये विदेशों से सूचना मांगी जाती है। ये पत्र ब्रिटेन, मॉरीशस, स्विट्जरलैंड, बरमूडा और सिंगापुर को भेजे गये है। सूत्रों ने बताया कि सीबीआई विदेशों में कई कंपनियों के भुगतान के लेन-देन की जांच कर रही है।
समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा से इनपुट्स लेकर