यह है अथ कथा इंटरनेट इन कश्मीर, सब जूझ रहे परेशानियों से, उपभोक्ता स्पीड और प्रतिबंध से

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: January 31, 2020 05:07 IST2020-01-31T05:07:48+5:302020-01-31T05:07:48+5:30

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद पिछले पखवाड़े जम्मू कश्मीर में 2 जी की स्पीड से लोगों को इंटरनेट का अधिकार दे दिया गया। यह अधिकार इस हफ्ते बढ़ कर अब 300 वेबसाइटों का हो गया है। पहले 168 दिनों के उपरांत सिर्फ 153 वेबसाइटों को खंगालने का अधिकार मिला था।

Internet in Kashmir: consumer face speed and restrictions problem | यह है अथ कथा इंटरनेट इन कश्मीर, सब जूझ रहे परेशानियों से, उपभोक्ता स्पीड और प्रतिबंध से

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)

पिछले 6 महीनों से जम्मू कश्मीर में जो इंटरनेट एक अच्छा खासा मुद्दा बना हुआ है उसके कई पहलू भी हैं। इस इंटरनेट की अथ कथा यह है कि इंटरनेट न होने के कारण सभी उपभोक्ता परेशानियों से तो जूझ ही रहे हैं, 300 वेबसाइटों को खंगालने की मिली 2 जी स्पीड की आजादी के बाद उनकी परेशानी और बढ़ गई है। इस ‘आजादी’ के बाद सरकार की भी परेशानी इसलिए बढ़ गई है क्योंकि अधिकतर लोगों ने समस्या से निजात पाने की खातिर वीपीएन का धड़ाधड़ इस्तेमाल आरंभ कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद पिछले पखवाड़े जम्मू कश्मीर में 2 जी की स्पीड से लोगों को इंटरनेट का अधिकार दे दिया गया। यह अधिकार इस हफ्ते बढ़ कर अब 300 वेबसाइटों का हो गया है। पहले 168 दिनों के उपरांत सिर्फ 153 वेबसाइटों को खंगालने का अधिकार मिला था।

लेकिन लोगों का इससे काम इसलिए नहीं बन पा रहा है क्योंकि एक तो लाखों वेबसाइटों में से र्स्फि 300 वेबसाइटों को खंगालने का अधिकार उनके किसी काम नहीं आ रहा और ऊपर से 2 जी की स्पीड इन वेबसाइटों का इस्तेमाल करने वालों को चिढ़ा रही है। फिलहाल सरकार ने वेबसाइटों की संख्या बढ़ाने से इंकार कर दिया है।

इतना जरूर था कि इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों ने अब वीपीएन अर्थात वर्चुअल प्रोटोकाल नेटवर्क एप्स का सहारा लेना आरंभ कर दिया है। प्रशासन इस सच्चाई से वाकिफ है। और इसमें एक रोचक तथ्य यह है कि कश्मीर में बीएसएनएल के उपभोक्ता सभी साइटों का आनंद इसलिए उठाते रहे हैं क्योंकि बीएसएनएल के तकनीशियन इतने दिनों के बाद भी बाकी वेबसाइटों पर बंदिश लगाने में नाकाम रहे थे।

वैसे आज कश्मीर में मीडिया हाउसों में सरकार ने ब्राडबैंड की सुविधा बहाल तो कर दी है पर उसकी स्पीड को भी 2 जी तक सीमित रखे जाने के कारण पत्रकारों में वह खुशी नहीं है जिसकी उन्हें उम्मीद थी। यह सच है कि ब्राडबैंड कनेक्शन को बहाल करवा पाना कश्मीर में खाला जी का घर नहीं है क्योंकि इसकी खातिर पहले शपथपत्र जमा करना पड़ रहा है और फिर पुलिस व सीआईडी की जांच होने के बाद ही ब्राडबैंड की सुविधा बहाल की जा रही है। यही कारण था कि कश्मीर में 20 हजार से अधिक ब्राडबैंड कनैक्शनों में से मात्र 150-200 ही अभी तक चल पाए हैं क्योंकि पुलिस और सीआईडी के पास ऐसे मामलों की जांच करने को स्टाफ नहीं है।

Web Title: Internet in Kashmir: consumer face speed and restrictions problem

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