International Women’s Day: इस गांव की अजब कहानी, हर घर की मालिक महिला, तख्ती पर सिर्फ एक ही नाम

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: March 8, 2022 14:16 IST2022-03-08T14:13:52+5:302022-03-08T14:16:21+5:30

International Women’s Day: ‘महिला दिवस’ के मौके पर औरंगाबाद से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित बाकापुर में हर घर के नाम की तख्ती वहां के निवासियों को गौरवान्वित महसूस कराती हैं, क्योंकि इस पर महिला के नाम को घर के मालिक या सह-मालिक के रूप में लिखा जाता है।

International Women’s Day village Bakapur 2000 people woman malkin malik name plate Aurangabad Maharashtra Gram Panchayat in 2008 | International Women’s Day: इस गांव की अजब कहानी, हर घर की मालिक महिला, तख्ती पर सिर्फ एक ही नाम

पहले डर होता था कि पुरुष घर की महिला की सहमति के बिना ही, घर बेच देंगे।

Highlightsगांव में हर घर की नाम की तख्ती पर महिला का नाम ही नजर आता है।2008 में ग्राम पंचायत द्वारा किए गए एक विशेष प्रावधान के माध्यम से संभव हो पाया है।कविता साल्वे पिछले 21 साल से बाकापुर में रहती हैं।

International Women’s Day: महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले का बाकापुर भले ही लगभग 2000 लोगों की आबादी वाला एक छोटा सा गांव है, लेकिन लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए यहां एक सराहनीय कदम उठाया गया है। इस गांव में हर घर की नाम की तख्ती पर महिला का नाम ही नजर आता है।

यह 2008 में ग्राम पंचायत द्वारा किए गए एक विशेष प्रावधान के माध्यम से संभव हो पाया है। मंगलवार को ‘महिला दिवस’ के मौके पर औरंगाबाद से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित बाकापुर में हर घर के नाम की तख्ती वहां के निवासियों को गौरवान्वित महसूस कराती हैं, क्योंकि इस पर महिला के नाम को घर के मालिक या सह-मालिक के रूप में लिखा जाता है।

गांव में ऐसा एक भी मकान नहीं है, जिसके बाहर पुरुष के नाम की तख्ती लगी हो। बाकापुर की सरपंच (ग्राम प्रधान) कविता साल्वे ने कहा, ‘‘ इस फैसले से मेरे गांव की महिलाओं को घरेलू मामलों में अपनी बात रखने का मौका मिला है।’’ यह फैसला 2008 में लिया गया था, तब सुदामराव पलस्कर गांव के सरपंच थे।

पलस्कर ने कहा, ‘‘ पहले कुछ अनुभवों के आधार पर, फैसला किया गया कि हर परिवार की महिला को उसके घर का मालिक बनाया जाए। तब ग्राम पंचायत में सात सदस्य थे। इस प्रस्ताव के खिलाफ एक भी व्यक्ति ने वोट नहीं दिया। इस फैसले से गांव के हर घर में सुरक्षा की भावना आई है, बच्चों के भविष्य के लिए भी यह अच्छा है।’’

कविता साल्वे ने गर्व से कहा, ‘‘ बाकापुर में हर घर की नाम की तख्ती पर महिला का नाम होता है। यह अब एक नियम सा बन गया है।’’ साल्वे पिछले 21 साल से बाकापुर में रहती हैं। उन्होंने कहा कि पहले डर होता था कि पुरुष घर की महिला की सहमति के बिना ही, घर बेच देंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘ इससे परिवारों को आर्थिक नुकसान होता था, लेकिन महिला को घर का मालिक बनाने से यहां की महिलाओं में अधिकार और सुरक्षा की भावना उत्पन्न हुई है। अब वह घर के आर्थिक मुद्दों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।’’ उप सरपंच अजीज शाह ने कहा कि इससे पहले कई तरह के नशे में पड़े कुछ लोगों ने अपने घर बेचने की कोशिश की थी।

उन्होंने कहा, ‘‘ परिवार की एक महिला को घर का मालिकाना हक देने के फैसले से घर सुचारू रूप से चल रहे हैं। यदि कोई व्यक्ति बाकापुर में घर खरीदना चाहता है तो उसे अपने परिवार की किसी महिला के साथ संयुक्त रूप से घर खरीदना पड़ता है।’’

Web Title: International Women’s Day village Bakapur 2000 people woman malkin malik name plate Aurangabad Maharashtra Gram Panchayat in 2008

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