अंतरराष्ट्रीय अदालत ने म्यामां को रोहिंग्या लोगों का जनसंहार रोकने का दिया आदेश

By भाषा | Published: January 23, 2020 06:09 PM2020-01-23T18:09:24+5:302020-01-23T18:09:24+5:30

‘ह्यूमन राइट्स वाच’ के एसोसिएट अंतरराष्ट्रीय न्यायिक निदेशक परम प्रीत सिंह ने कहा, ‘‘रोहिंग्या का जनसंहार रोकने के लिए म्यामां को कदम उठाने के लिए आईसीजे का आदेश, दुनिया के सबसे अधिक उत्पीड़ित लोगों के खिलाफ और अत्याचार रोकने के मामले में ऐतिहासिक है।’’

International court orders Myanmar to stop massacre of Rohingya people | अंतरराष्ट्रीय अदालत ने म्यामां को रोहिंग्या लोगों का जनसंहार रोकने का दिया आदेश

वर्ष 2017 में म्यामां की सेना ने एक रोहिंग्या छापेमार समूह के हमले के बाद उत्तरी रखाइन प्रांत में कथित नस्ली सफाई अभियान शुरू किया।

Highlightsअंतरराष्ट्रीय अदालत ने म्यामां को रोहिंग्या लोगों का जनसंहार रोकने का आदेश दिया कोर्ट ने कहा-न्यायालय का विचार है कि म्यामां में रोहिंग्या सबसे अधिक असुरक्षित हैं।’’

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) ने म्यामां को गुरुवार को आदेश दिया कि वह रोहिंग्या लोगों का जनसंहार रोकने के लिए अपनी शक्ति के अनुसार सभी कदम उठाए। न्यायालय के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अब्दुलकवी अहमद यूसुफ ने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का विचार है कि म्यामां में रोहिंग्या सबसे अधिक असुरक्षित हैं।’’

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि रोहिंग्या को सुरक्षित करने की मंशा से अंतरिम प्रावधान के उसके आदेश म्यामां के लिए बाध्यकारी है और यह अतंरराष्ट्रीय कानूनी जिम्मेदारी है। हेग के ऐतिहासिक ‘ग्रेट हॉल ऑफ जस्टिस’ में करीब एक घंटे तक हुई सुनवाई में अदालत ने म्यामां को आदेश दिया कि वह चार महीने में आईसीजे को रिपोर्ट देकर बताए कि उसने आदेश के अनुपालन के लिए क्या किया और इसके बाद हर छह महीने में स्थिति से अवगत कराए। अधिकार कार्यकर्ताओं ने अंतरराष्ट्रीय अदालत के सर्वसम्मति से दिए गए इस फैसले का स्वागत किया।

‘ह्यूमन राइट्स वाच’ के एसोसिएट अंतरराष्ट्रीय न्यायिक निदेशक परम प्रीत सिंह ने कहा, ‘‘रोहिंग्या का जनसंहार रोकने के लिए म्यामां को कदम उठाने के लिए आईसीजे का आदेश, दुनिया के सबसे अधिक उत्पीड़ित लोगों के खिलाफ और अत्याचार रोकने के मामले में ऐतिहासिक है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘संबधित सरकारों और संयुक्त राष्ट्र निकाय को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जनसंहार का सुनवाई आगे बढ़ने के साथ आदेश का अनुपालन हो।’’ अंतरराष्ट्रीय अदालत का यह आदेश अफ्रीकी देश गाम्बिया की याचिका पर आया है जिसने मुस्लिम देशों के संगठनों की ओर से याचिका दायर की थी और म्यामां पर रोहिंग्या का जनसहांर करने का आरोप लगाया था।

पिछले महीने मामले की हुई खुली सुनवाई में म्यामां पर रोहिंग्या का जनसंहार करने का आरोप लगाने वाले वकीलों ने मानचित्र, उपग्रह से ली गई तस्वीरों, ग्राफिक का इस्तेमाल अपने दावे की पुष्टि के लिए किया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि म्यामां की सेना रोहिंग्या की हत्या, दुष्कर्म और विश्चंस करने के लिए अभियान चला रही है। सुनवाई में म्यामां की नेता आंग सान सूची के बयान का भी संज्ञान लिया गया जिसमें उन्होंने सेना की कार्रवाई का समर्थन किया था।

सूची इस समय म्यामां की स्टेट काउंसलर हैं। उल्लेखनीय है कि बौद्ध बहुल म्यामां रोहिंग्या को बांग्लादेश का बंगाली मानते हैं जबकि वे पीढ़ियों से म्यांमा में रह रहे हैं। वर्ष 1982 में उनसे नागरिकता भी छीन ली गई थी और वे देशविहीन जीवन व्यापन करने को मजबूर हैं। वर्ष 2017 में म्यामां की सेना ने एक रोहिंग्या छापेमार समूह के हमले के बाद उत्तरी रखाइन प्रांत में कथित नस्ली सफाई अभियान शुरू किया। इसकी वजह से करीब सात लाख रोहिंग्या ने भागकर पड़ोसी बांग्लादेश में शरण ली। म्यांमा पर आरोप लगाया गया कि सेना ने बड़े पैमाने पर दुष्कर्म, हत्या और घरों को जलाने का काम किया। 

Web Title: International court orders Myanmar to stop massacre of Rohingya people

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