इंदौर (मध्यप्रदेश), 11 जनवरी कोविड-19 संकट के दौरान संसद के निचले सदन के निर्वाचित जन प्रतिनिधियों में नेतृत्व के गुण परखने के मकसद से किए गए एक अध्ययन में इंदौर के लोकसभा सांसद शंकर लालवानी को अव्वल आंका गया है। यह अध्ययन इंदौर के भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) के एक प्रोफेसर की अगुवाई में किया गया।
आईआईएम इंदौर के इन्फर्मेशन सिस्टम्स विभाग के प्रोफेसर शुभमय डे ने सोमवार को "पीटीआई-भाषा" को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि कोविड-19 संकट के कारण देश के अलग-अलग संसदीय क्षेत्रों की यात्रा में मुश्किलें पेश आ रही थीं। इसलिए अध्ययन के लिए लोकसभा के 543 में से उन 105 सांसदों के कुल 4,209 ट्वीट को नमूनों के तौर पर लिया गया जो महामारी के मुश्किल दौर में आम लोगों की मदद के लिए जमीनी स्तर पर लगातार सक्रिय रहे।
अध्ययन के अगुआ विद्वान ने बताया, "अध्ययन में कोविड-19 संकट के दौरान दूरदर्शिता, निर्णय क्षमता, प्रतिबद्धता, साहस, सहानुभूति और बुद्धिमत्ता के पैमानों पर लोकसभा सांसदों के नेतृत्व को परखा गया।"
डे ने बताया कि इस अध्ययन में इंदौर के लोकसभा सांसद शंकर लालवानी पहले स्थान पर रहे।
उन्होंने बताया कि अध्ययन में रमेश धडुक (पोरबंदर), रंजन बेन भट्ट (वडोदरा), नायब सिंह सैनी (कुरुक्षेत्र) और विष्णुदत्त शर्मा (खजुराहो) संयुक्त रूप से दूसरे स्थान पर रहे। इसमें रामचरण बोहरा (जयपुर), संजय भाटिया (करनाल), परनीत कौर (पटियाला) और राजू बिस्ता (दार्जिलिंग) संयुक्त रूप से तीसरे स्थान पर रहे।
अध्ययन में पहला स्थान पाने वाले इंदौर के सांसद शंकर लालवानी वर्ष 2019 के पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान देश भर में सबसे ज्यादा वोट पाकर संसद के निचले सदन पहुंचे थे। पहली बार के सांसद लालवानी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना प्रेरणास्त्रोत बताते हुए कहा, "मोदी एक जनप्रतिनिधि के रूप में अथक परिश्रम के लिए मुझे हमेशा प्रेरित करते हैं।"
अध्ययन में इंदौर के प्रेस्टीज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च के सुशासन (गुड गवर्नेंस) विभाग के सहायक प्रोफेसर दीपक जारोलिया ने भी भाग लिया।
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