नई दिल्ली, 27 जुलाईः भारतीय रेलवे ने अब जनरल डिब्बों के लिए बॉयोमीट्रिक सिस्टम को शुरू किया है. इस कदम को जनरल क्लास के यात्री को आसानी से सीट दिलाने के लिए उठाया गया है. ये ऐसे कोच हैं, जो अनारिक्षत होते हैं. इनमें पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर यात्री को सीट मिलती है.
रेलवे ने इसे फिलहाल वेस्टर्न रेलवे के मुंबई सेंट्रल रेलवे स्टेशन और बांद्रा टर्मिनस पर शुरू किया है. वेस्टर्न रेलवे की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि ये बायोमीट्रिक टोकन सिस्टम है. इसको इसलिए लगाया गया है कि सीट को लेकर कोई मनमानी न कर सके. जनरल कोच के लिए यह व्यवस्था की गई है. कोच में सीट भरने के बाद भी किसी यात्री को चढ़ने से रोका नहीं जाएगा. बायोमीट्रिक टोकन के लिए 4 मशीनें लगाई गई हैं. बाकी 4 अहमदाबाद डिविजन के सूरत स्टेशन पर लगेगी.
यह करना होगा
जनरल डिब्बों के लिए टिकट खरीद रहे यात्रियों को बायोमीट्रिक मशीन पर पर अपना फिंगरप्रिंट देना होगा, जिसके बाद उन्हें एक टोकन जेनरेट किया जाएगा. ये टोकन नंबर हर जनरल क्लास के कोच सीटों के नंबर के क्र म में अलॉट किए जाएंगे. इसके बाद यात्रियों को अपने टोकन नंबर के क्र म में एक लाइन में खड़े होना होगा. एक आरपीएफ स्टाफ एंट्री प्वाइंट पर खड़ा होगा जो टोकन का सीरियल नंबर चेक करेगा और पैसेंजर को उसी ऑर्डर में कोच में जाने देगा. रेलवे उतने ही टोकन जारी करेगा, जितनी कोच में सीटें होंगी.
इन ट्रेनों में हुई शुरुआत
मुंबई सेंट्रल रेलवे स्टेशन से चलनेवाली अमरावती एक्सप्रेस, जयपुर सुपरफास्ट एक्सप्रेस, कर्णावती एक्सप्रेस, गुजरात मेल और गोल्डन टेम्पल मेल. बांद्रा टर्मिनस से चलनेवाली पश्चिम एक्सप्रेस, अमरावती एक्सप्रेस, अवध एक्सप्रेस और महाराष्ट्र संपर्कक्रांति एक्सप्रेस.
दलालों की हुई छुट्टी
यह सिस्टम यात्रियों को व्यविस्थत तरीके से बिठाने और जनरल कोच में सीट पर कब्जा कर बेचने वालों पर लगाम लगाने के लिए बनाया गया है. क्योंकि रेलवे को शिकायत मिली थी कि कुछ अराजक तत्व विशेष ट्रेनों में जनरल डिब्बे की सीट बेचने का रैकेट चला रहे हैं. वे पहले सीट पर कब्जा कर लेते हैं और फिर उसे यात्रियों को देने के एवज में मोटी रकम ऐंठते हैं.