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साल 2035 तक युद्दपोतों की संख्या 175 करना चाहती है भारतीय नौसेना, 2 लाख करोड़ के 68 युद्धपोतों और जहाजों के ऑर्डर दिए हैं

By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: September 18, 2023 17:01 IST

भारतीय नौसेना के पास वर्तमान में 132 युद्धपोत, 143 विमान और 130 हेलीकॉप्टर हैं। भारतीय नौसेना ने लगभग 2 लाख करोड़ रुपये मूल्य के 68 युद्धपोतों और जहाजों के ऑर्डर दिए हैं। नौसेना 2035 तक अपने बेड़े को 175 युद्धपोतों तक बढ़ाने का लक्ष्य लेकर चल रही है।

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ठळक मुद्देचीनी चुनौती का सामना करने के लिए भारतीय नौसेना बड़े पैमाने पर तैयारी कर रही है2035 तक अपने बेड़े को 175 युद्धपोतों तक बढ़ाने का लक्ष्यनौसेना ने लगभग 2 लाख करोड़ रुपये मूल्य के 68 युद्धपोतों और जहाजों के ऑर्डर दिए हैं

नई दिल्ली: हिंद महासागर में चीनी चुनौती का सामना करने के लिए भारतीय नौसेना बड़े पैमाने पर तैयारी कर रही है। एक मजबूत ब्लू-वॉटर फोर्स बनाने की कोशिश में जुटी नौसेना आने वाले समय में कई युद्धपोत, पनडुब्बी और घातक हथियार नौसेना में शामिल होने वाले हैं। भारतीय नौसेना ने लगभग 2 लाख करोड़ रुपये मूल्य के 68 युद्धपोतों और जहाजों के ऑर्डर दिए हैं। 

भारतीय नौसेना के पास वर्तमान में 132 युद्धपोत, 143 विमान और 130 हेलीकॉप्टर हैं। हाल ही में नौसेना को अगली पीढ़ी के आठ कार्वेट, नौ पनडुब्बियों, पांच सर्वेक्षण जहाजों और के निर्माण के लिए प्रारंभिक मंजूरी मिल गई है। मौजूदा समय में चीन के पास दुनिया के पास सबसे बड़ा समुद्री बेड़ा है। चीनी चुनौती का सामना करने के लिए जरूरी है कि भारतीय नौसेना अपने बेड़े में युद्धपोतों की संख्या बढ़ाए। इसे ही ध्यान में रखकर नौसेना  2035 तक अपने बेड़े को 200 नहीं तो कम से कम 175 युद्धपोतों तक बढ़ाना चाहती है।

हिंद महासागर और उसके बाहर विश्वसनीय रणनीतिक पहुंच, गतिशीलता और तेजी से पहुंच को सुनिश्चित करने के लिए लड़ाकू विमानों, फिक्स्ड-विंग विमानों, हेलीकॉप्टरों और ड्रोनों की संख्या में वृद्धि की आवश्यकता होगी।

चीन की पीपुल्स लिबरेशन नेवी (पीएलएएन) जिबूती, पाकिस्तान के कराची और ग्वादर और संभवतः कंबोडिया के रीम में अपने बेस के बाद, हिंद महासागर क्षेत्र में लॉजिस्टिक चुनौतियों से निपटने के लिए सक्रिय रूप से अतिरिक्त विदेशी ठिकानों की तलाश कर रही है। चीन से बढ़ते समुद्री खतरे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। 

चीन 355 युद्धपोतों और पनडुब्बियों के साथ दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है। इसके बाद भी चीन नौसेना को और बढ़ाने के लिए तेजी से जहाजों का निर्माण भी कर रहा है। अनुमानों से पता चलता है कि चीन के युद्धपोतों की संख्या अगले पांच-छह वर्षों में 555 तक पहुंच सकती है। अभी तक चीनी विमान वाहक पोत सिर्फ दक्षिण चीन सागर में ही देखे जाते हैं लेकिन भारतीय सैन्य योजनाकारों को अंदेशा है कि आने वाले समय में चीन हिंद महासागर क्षेत्र में भी अपनी मौजूदगी बड़े पैमाने पर बढाएगा।

भारतीय नौसेना को अभी भी तीसरे विमानवाहक पोत के निर्माण के लिए प्रारंभिक मंजूरी नहीं मिली है। माना जा रहा है कि मंजूरी मिलने के बाद भी इसके  निर्माण में एक दशक से अधिक का समय लगेगा। 

भारत के लिए पानी के अंदर युद्धक क्षमता की कमी होना एक और बड़ी चिंता का विषय है। 42,000 करोड़ रुपये से अधिक की छह उन्नत डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों के निर्माण के लिए लंबे समय से लंबित 'प्रोजेक्ट-75-इंडिया' को शुरू करने में लगातार देरी हो रही है। रकार अब तीन और फ्रांसीसी मूल की स्कॉर्पीन पनडुब्बियों का निर्माण मझगांव डॉक्स (एमडीएल) में करने जा रही है। 

अच्छी खबर यह है कि प्रोजेक्ट-17ए के तहत 45,000 करोड़ रुपये की कुल लागत वाले सात 6,670 टन वजनी स्टील्थ फ्रिगेट बनाए जा रहे हैं। इनमें से चार का निर्माण मझगांव डॉक्स में और तीन का निर्माण जीआरएसई में किया जा रहा है। इनकी डिलीवरी के लिए 2024-2026 की समय सीमा तय की गई है। ऑर्डर पर अन्य 61 जहाजों में से, रूस में दो फ्रिगेट को छोड़कर सभी का निर्माण भारत में किया जा रहा है

मंझगाव डॉक यार्ड में 35,000 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट-15बी के तहत दो और गाइडेड-मिसाइल विध्वंसक (इम्फाल और सूरत) पर काम चल रहा है। कोचीन शिपयार्ड द्वारा 9,805 करोड़ रुपये में छह अगली पीढ़ी के मिसाइल जहाज भी बनाए जाने हैं, जिनकी डिलीवरी मार्च 2027 से शुरू होगी। अगली पीढ़ी के 11 तटीय गश्ती जहाज भी बनाए जा रहे हैं जिनमें से 7 का निर्माण  गोवा शिपयार्ड में और चार का जीआरएसई में किया जा रहा है। इनकी कुल लागत 9,781 करोड़ रुपये  की है। इनकी डिलीवरी 2026 से शुरू होगी।   

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