ट्रंप के रूसी तेल के दावे पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने दिया जवाब, कहा- "देशवासियों के हितों हितों की रक्षा करना प्राथमिकता"
By अंजली चौहान | Updated: October 16, 2025 13:04 IST2025-10-16T12:25:40+5:302025-10-16T13:04:09+5:30
MEA on Trump's Claim: विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत की ऊर्जा नीति उपभोक्ताओं के हितों को प्राथमिकता देती है

ट्रंप के रूसी तेल के दावे पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने दिया जवाब, कहा- "देशवासियों के हितों हितों की रक्षा करना प्राथमिकता"
MEA on Trump's Claim: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ट ट्रंप के रूसी तेल के दावे पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि वर्तमान अमेरिकी प्रशासन ने भारत के साथ ऊर्जा सहयोग को मज़बूत करने में रुचि दिखाई है और बातचीत जारी है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत की ऊर्जा नीति उपभोक्ताओं के हितों को प्राथमिकता देती है। विदेश मंत्रालय ने मीडिया के प्रश्नों के उत्तर में रूसी तेल आयात पर एक बयान जारी किया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, "भारत तेल और गैस का एक महत्वपूर्ण आयातक है। अस्थिर ऊर्जा परिदृश्य में भारतीय उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना हमारी निरंतर प्राथमिकता रही है। हमारी आयात नीतियाँ पूरी तरह इसी उद्देश्य से निर्देशित होती हैं। स्थिर ऊर्जा मूल्य और सुरक्षित आपूर्ति सुनिश्चित करना हमारी ऊर्जा नीति के दोहरे लक्ष्य रहे हैं। इसमें हमारी ऊर्जा स्रोतों का व्यापक आधार बनाना और बाज़ार की स्थितियों के अनुसार विविधीकरण करना शामिल है।"
उन्होंने आगे कहा, "जहाँ तक अमेरिका का सवाल है, हम कई वर्षों से अपनी ऊर्जा खरीद का विस्तार करने की कोशिश कर रहे हैं। पिछले एक दशक में इसमें लगातार प्रगति हुई है। वर्तमान प्रशासन ने भारत के साथ ऊर्जा सहयोग को गहरा करने में रुचि दिखाई है। इस पर चर्चा जारी है।"
"Priority to safeguard Indian consumer interests" says India in response to Trump's claims on stopping Russian oil purchase
— ANI Digital (@ani_digital) October 16, 2025
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रूसी तेल खरीद पर ट्रंप ने क्या कहा?
दरअसल, बुधवार को ओवल ऑफिस में पत्रकारों से बात करते हुए, ट्रंप ने कहा कि अमेरिका भारत द्वारा रूसी कच्चा तेल खरीदने से "नाखुश" है। उन्होंने दावा किया कि ये खरीद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के युद्ध प्रयासों में मदद कर रही है।
Indian MEA's statement on Trump's recent claim that PM Modi had assured him "there will be no oil purchases from Russia"
— Shubhangi Sharma (@ItsShubhangi) October 16, 2025
- broad-basing and diversifying energy sources
- driven by market conditions
- talks on American energy procurement are on pic.twitter.com/SvDyJibDOT
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि भारत भले ही तुरंत तेल ख़रीदना बंद न कर पाए, लेकिन इसे कम करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। ट्रंप ने कहा, "वह (मोदी) मेरे मित्र हैं, हमारे बीच बहुत अच्छे संबंध हैं... हम उनके रूस से तेल ख़रीदने से खुश नहीं थे क्योंकि इससे रूस को यह बेतुका युद्ध जारी रखने का मौक़ा मिल गया जिसमें उन्होंने डेढ़ लाख लोगों को खो दिया है। मैं इस बात से खुश नहीं था कि भारत तेल ख़रीद रहा है, और (मोदी) ने आज मुझे आश्वासन दिया कि वे रूस से तेल नहीं ख़रीदेंगे। यह एक बड़ा कदम है। अब हमें चीन से भी यही करवाना होगा।"
उन्होंने आगे कहा, "उन्होंने (मोदी) मुझे आश्वासन दिया है कि रूस से तेल नहीं ख़रीदा जाएगा। मुझे नहीं पता, शायद यह कोई ब्रेकिंग न्यूज़ हो। क्या मैं ऐसा कह सकता हूँ?... वह रूस से तेल नहीं ख़रीद रहे हैं। यह शुरू हो चुका है। वह इसे तुरंत नहीं कर सकते; यह एक छोटी सी प्रक्रिया है, लेकिन यह प्रक्रिया जल्द ही पूरी हो जाएगी।"
अमेरिकी राष्ट्रपति ने संकेत दिया कि अमेरिका भारत से रूसी कच्चे तेल की खरीद बंद करने के लिए इसलिए कह रहा है ताकि यूक्रेन में युद्ध को समाप्त करने के लिए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर वित्तीय दबाव बनाया जा सके।
ट्रंप ने आगे कहा, "हम राष्ट्रपति पुतिन से बस यही चाहते हैं कि वे इसे रोकें, यूक्रेनियों और रूसियों को मारना बंद करें क्योंकि वे बहुत सारे रूसियों को मार रहे हैं। यह एक ऐसा युद्ध है जिसे उन्हें एक हफ़्ते में जीत लेना चाहिए था, और अब यह अपने चौथे साल में प्रवेश कर रहा है।"
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्त होने के बाद भारत मास्को के साथ ऊर्जा व्यापार फिर से शुरू कर सकता है। उन्होंने कहा, "अगर भारत तेल नहीं खरीदता है, तो यह बहुत आसान हो जाता है, और वे नहीं खरीदेंगे, उन्होंने मुझे आश्वासन दिया है कि वे खरीदेंगे, कुछ ही समय में, वे रूस से तेल नहीं खरीदेंगे... और युद्ध समाप्त होने के बाद वे रूस वापस चले जाएँगे।"
भारतीय वस्तुओं पर 50% टैरिफ लगाने के ट्रंप के फ़ैसले के बाद अमेरिका और भारत के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए। इस कदम को उन्होंने नई दिल्ली द्वारा रूसी तेल के निरंतर आयात का प्रतिशोध बताया। यह तनाव तब और गहरा गया जब प्रशासन ने नए H-1B वीज़ा आवेदनों पर $100,000 का शुल्क लगा दिया। यह एक ऐसा कार्यक्रम है जिस पर अमेरिका में रोज़गार की तलाश कर रहे भारतीय तकनीकी पेशेवर काफ़ी हद तक निर्भर हैं।