चीन से तनाव के बीच भारतीय सेना को कार्बाइन की तत्काल जरूरत, मेड इन इंडिया पर मजबूत हो रहा भरोसा

By गुणातीत ओझा | Updated: October 7, 2020 16:38 IST2020-10-07T16:38:17+5:302020-10-07T16:38:17+5:30

चीन सीमा पर तनाव और कार्बाइन आयात का प्रस्ताव सफल नहीं होते देख त्वरित जरूरत को पूरा करने के लिए भारतीय सुरक्षाबल मेड इन इंडिया कार्बाइन खरीदने पर विचार कर रहे हैं।

Indian army urgently needs carbine amidst tension from China strengthening trust in Made in India | चीन से तनाव के बीच भारतीय सेना को कार्बाइन की तत्काल जरूरत, मेड इन इंडिया पर मजबूत हो रहा भरोसा

भारतीय सेना को कार्बाइन की तत्काल जरूरत।

Highlightsसीमा पर चीन से बढ़ते तनाव के बीच भारतीय सेना को कार्बाइन की तत्काल आवश्यकता है।भारतीय सेना के सुरक्षाबलों के लिए यह हथियार अहम है।

नई दिल्ली। सीमा पर चीन से बढ़ते तनाव के बीच भारतीय सेना को कार्बाइन की तत्काल आवश्यकता है। लंबे समय से आयात प्रस्ताव पर कोई बात नहीं बन पाने की स्थिति में कार्बाइन की कमी को पूरा करने के लिए मेड इन इंडिया कार्बाइन खरीदने पर तेजी से विचार किया जा रहा है। भारतीय सेना के सुरक्षाबलों के लिए यह हथियार अहम है। कार्बाइन का नजदीक से मुकाबले में इस्तेमाल किया जाता है। भारतीय सेना लंबे समय से कार्बाइन सौदे पर विचार कर रही है। न्यूज एजेंसी एएनआई से एक सरकारी सूत्र ने बताया कि पश्चिम बंगाल के इशापोर स्थित ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड की द्वारा बनाई जाने वाली कार्बाइन का प्रस्ताव सेना को भेजा गया है, अब वे देश में ही बनने वाली इस कार्बाइन के इस्तेमाल पर विचार कर रहे हैं। हथियार खरीद में जुटे तीनों सेनाओं के अधिकारियों ने हथियार का शुरुआती ट्रायल भी कर लिया है। 

बता दें कि इस कार्बाइन का निर्माण और निर्यात कुछ ही देश करते हैं और वो भी सिमित मात्रा में। इसे ध्यान में रखते हुए भारत निर्मित कार्बाइन की खरीद पर ज्यादा बल दिया जा रहा है। विदेश से इन कार्बाइनों के निर्यात का मामला पिछले दो साल से अटका हुआ है। यह मामला पहली एनडीए सरकार के तहत रक्षा अधिग्रहण परिषद द्वारा निर्णय के लिए एक उच्च-स्तरीय समिति को भेजा गया था। मौजूदा समय में सेना को कुल 3.5 लाख कार्बाइन की आवश्यकता है, लेकिन वे 94 हजार हथियार जल्द से जल्द आयात करा लेना चाहते थे। अगर यह संभव हुआ तो ओएफबी कार्बाइन को कठोर परीक्षण से गुजरना होगा और शुरुआत में सेना द्वारा इसकी खरीद सीमित मात्रा में की जाएगी। CQB कार्बाइन प्राप्त करने के प्रयास 2008 के बाद से सफल नहीं हुए हैं। कार्बाइन खरीद का पहला लॉट चीन फ्रंट पर तैनात जवानों को दिया जाएगा। इससे पहले मोदी सरकार ने सिग साउर राइफलों के दूसरे लॉट की खरीद को मंजूरी दी है, जिन्हें चीन सीमा पर तैनात जवानों को उपलब्ध कराया जाएगा।

यूएई की कंपनी ने सेना को कार्बाइन की आपूर्ति करने की प्रतिबद्धता दोहराई थी

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की हथियार निर्माता कंपनी ''काराकल'' ने एक सौदे के तहत भारतीय सेना को 93,895 कार्बाइन की आपूर्ति करने की अपनी प्रतिबद्धता बीते माह एक बार फिर से दोहराई थी। यह सौदा वर्ष 2018 से लंबित है। कंपनी ने सोमवार को एक बयान में जोर देते हुए कहा कि वह भारत की 'मेक इन इंडिया' पहल को लेकर प्रतिबद्ध है। यह बयान उन संकेतों के बीच आया है कि रक्षा मंत्रालय कार्बाइन खरीद के लिए इस सौदे को रद्द कर नई खरीद प्रक्रिया शुरू करने पर विचार कर रहा। बयान में कंपनी ने यह संकेत भी दिया कि वह भारत में काबाईन बनाने के लिये प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सुनिश्चित करने को तैयार है। बयान में कहा गया, '' काराकल ने पहले ही आवश्यक भूमि, सुविधा और स्थानीय साझेदारों की पहचान कर ली है जो तत्काल उत्पादन शुरू करने में सक्षम हैं। 'कार्बाइन 816' में लगने वाले 20 फीसदी से अधिक पुर्जे पहले ही भारत में निर्मित हैं और इसके साथ ही 'मेक इन इंडिया' पहल के अंतर्गत, काराकल अब इन राइफलों का निर्माण पूरी तरह भारत में करने को लेकर प्रतिबद्धता जता रहा है।'' कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हमाद अल अमेरी ने कहा कि कंपनी को कार्बाइन का अनुबंध 2018 में एक व्यापक चयन प्रक्रिया के बाद दिया गया था। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान और चीन से लगी देश की सीमाओं पर उभरती सुरक्षा चुनौतियों को लेकर सेना विभिन्न रक्षा उपकरणों की खरीद प्रक्रिया में तेजी ला रही है।

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