जम्मू-कश्मीर से हो रहा है आतंक का सफाया, भारतीय सेना ने पिछले 5 साल में मार गिराए 1,050 आतंकवादी
By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: August 10, 2023 01:49 PM2023-08-10T13:49:24+5:302023-08-10T13:51:22+5:30
आंकड़ों के अनुसार, 791 उग्रवादी घटनाओं में लगभग 1,050 आतंकवादी मारे गए हैं, जिनमें से सबसे अधिक 2018 में 257 आतंकवादी मारे गए, इसके बाद 2020 में 221, 2022 में 187, 2021 में 180, 2019 में 157 और 31 जुलाई तक 50 आतंकवादी मारे गए।
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में पिछले 5 साल में भारतीय सेना और सुरक्षाबलों ने 791 आतंकवाद से संबंधित घटनाओं में कम से कम 1,050 आतंकवादी मार गिराए हैं। इन घटनाओं में 319 सुरक्षाकर्मी भी मारे गए हैं। ये आंकड़े गृहमंत्रालय की तरफ जारी किए गए हैं जो जुलाई 2018 से लेकर 31 जुलाई 2018 तक के हैं। केंद्र के आंकड़ों के अनुसार इस दौरान जम्मू-कश्मीर में 626 मुठभेड़ों सहित 791 आतंकवाद संबंधी घटनाएं हुईं।
संसद के मानसून सत्र में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एक लिखित उत्तर में बताया कि 2018 में 228 उग्रवाद की घटनाएं दर्ज की गईं, इसके बाद 2019 में 153, 2020 में 126, 2021 में 129, 2022 में 125 और 31 जुलाई 2023 तक 30 उग्रवाद घटनाएं हुईं।
आंकड़ों के अनुसार, 791 उग्रवादी घटनाओं में लगभग 1,050 आतंकवादी मारे गए हैं, जिनमें से सबसे अधिक 2018 में 257 आतंकवादी मारे गए, इसके बाद 2020 में 221, 2022 में 187, 2021 में 180, 2019 में 157 और 31 जुलाई तक 50 आतंकवादी मारे गए। आंकड़ों से पता चलता है कि 2018 से 31 जुलाई 2023 तक 319 सुरक्षाकर्मी मारे गए। आंकड़ों के मुताबिक, 2018 में 90, 2019 में 80, 2020 में 63, 2021 में 42, 2022 में 32 और 2023 में 11 सुरक्षाकर्मी मारे गए।
आंकड़ों के अनुसार जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हिंसा में सुरक्षा बलों की के जान गंवाने की संख्या में कमी आई है। गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार पिछले साढ़े चार साल में जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं में 184 नागरिक मारे गए।
मारे गए 184 नागरिकों में से 2018 में 40, 2019 में 39, 2020 में 32, 2021 में 37, 2022 में 26 और 2023 में 10 की मौत हुई। 2018 से क्षेत्र में आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ के दौरान लगभग 35 नागरिक मारे गए हैं। आंकड़ों के मुताबिक, 2018 में मुठभेड़ के दौरान 15 नागरिकों की मौत हुई, 2019 में 5, 2020 में 6, 2021 में 4, 2022 में 5 जबकि इस साल अब तक मुठभेड़ के दौरान किसी नागरिक की मौत नहीं हुई। पिछले कुछ वर्षों में घाटी में आतंकवादियों की भर्ती में भी काफी गिरावट आई है।