भारतीय सेना ने ALH ध्रुव हेलीकॉप्टर की उड़ानें रोकीं, किश्तवाड़ में हुई दुर्घटना के बाद लिया गया फैसला
By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: May 6, 2023 05:45 PM2023-05-06T17:45:43+5:302023-05-06T17:50:54+5:30
जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में गुरुवार को ALH ध्रुव हेलीकॉप्टर के क्रैश हो जाने के बाद भारतीय सेना ने इसके संचालन पर रोक लगा दिया है। सेना का कहना है कि वह इस दुर्घटना के पीछे हुए तकनीकी पहलुओं की जांच कर रही है।
नई दिल्ली: जम्मू संभाग के किश्तवाड़ के दूर-दराज इलाके में सेना के ध्रुव हेलीकॉप्टर के दुर्घटना का शिकार होने के बाद एहतियात के तौर पर इस हेलीकॉप्टर की उड़ान पर रोक लगा दी गई है। इससे पहले भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक बल के ध्रुव हेलीकॉप्टर भी दुर्घटना के शिकार हुए थे।
जम्मू संभाग के किश्तवाड़ में हुई दुर्घटना में सवार तीनों लोग जख्मी हुए थे जिन्हें इलाज के लिए उधमपुर के सैन्य अस्पताल ले जाया गया था। घटना गुरुवार, 4 मई की है जब सवा ग्यारह बजे ऑपरेशनल मिशन पर रवाना हुए ध्रुव हेलीकॉप्टर ने किश्तवाड़ की मरुआ नदी के तट पर लैंडिंग के दौरान हादसे की चपेट में आया था। जानकारी के मुताबिक, पायलटों ने एयर ट्रैफिक कंट्रोलर (एटीसी) को तकनीकी खराबी की सूचना दी थी। सेना का कहना है कि वह इस दुर्घटना के पीछे हुए तकनीकी पहलुओं की जांच कर रही है।
पिछले कुछ समय से भारतीय सेना हेलीकॉप्टर दुर्घटनाओं से परेशान है। मार्च की शुरूआत में ही, अरुणाचल प्रदेश में मंडला पहाड़ी क्षेत्र के पास भारतीय सेना के एक एविएशन चीता हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने से उसके दो पायलट की मौत हो गई थी।
ALH हेलिकॉप्टर भारतीय तटरक्षक बल के साथ सेना, नौसेना और वायु सेना सहित तीनों रक्षा बलों द्वारा संचालित किया जाता है। भारतीय वायु सेना लगभग 70 एएलएच ध्रुव का संचालन करती है। इसके अलावा सेना, नौसेना और तटरक्षक बल के पास भी ये हेलीकॉप्टर हैं। ध्रुव हेलीकॉप्टर हिंदुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा बनाया गया है। इसकी अधिकतम गति 280 किमी/घंटा (175 मील प्रति घण्टा, 150 नॉट्स) है। ये मिसाइल के साथ भी काम करते हैं और इससे मिसाइल भी दागी जा सकती है. इसमें 8 एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल, 4 एयर टु एयर मिसाइल आदि ले जाने की क्षमता है।
भारत-पाकिस्तान की लंबी और कठिन सीमा पर आपातकालीन परिस्थितियों में ध्रुव हेलिकॉप्टर काफी अहम भूमिका निभा रहा था। हालांकि अब हाल ही में हुई कुछ दुर्घटनाओं ने सुरक्षा विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है।