राजपूताना राइफल्स के सूबेदार नीरज चोपड़ा ने जीता स्वर्ण पदक, भारतीय सेना में प्रोन्नति मिलने की संभावना

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 8, 2021 21:16 IST2021-08-08T21:15:32+5:302021-08-08T21:16:35+5:30

Tokyo Olympics: हरियाणा के पानीपत जिले के खांद्रा गांव के एक किसान के बेटे 23 वर्षीय नीरज ने अपने दूसरे प्रयास में 87.58 मीटर भाला फेंककर दुनिया को स्तब्ध कर दिया और भारतीयों को जश्न में डुबा दिया।

Indian Army four Rajputana Rifles Subedar Neeraj Chopra won gold medal get promotion  | राजपूताना राइफल्स के सूबेदार नीरज चोपड़ा ने जीता स्वर्ण पदक, भारतीय सेना में प्रोन्नति मिलने की संभावना

चोपड़ा, 15 मई, 2016 को नायब सूबेदार के तौर पर चार राजपूताना राइफल्स में शामिल हुए थे।

Highlightsएथलेटिक्स में पिछले 100 वर्षों से अधिक समय में भारत का यह पहला ओलंपिक पदक है।ओलंपिक्स में उनके शानदार प्रदर्शन को लेकर निर्धारित नियमों एवं प्रक्रियाओं के तहत प्रोन्नति मिलेगी।रक्षा मंत्री एवं सशस्त्र बलों ने इन सैन्यकर्मी की यह कहते हुए तारीफ की थी।

Tokyo Olympics: भारत के स्टार भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा को ओलंपिक में पहले एथलेटिक्स स्वर्ण पदक पाने के भारत के इंतजार को खत्म करके इतिहास रचने को लेकर भारतीय सेना में प्रोन्नति मिलने की संभावना है।

भारतीय सेना में चार राजपूताना राइफल्स के सूबेदार चोपड़ा को उनकी शानदार खेलकूद प्रतिभा को लेकर प्रतिष्ठित विशिष्ठ सेवा पदक प्रदान किया गया है। हरियाणा के पानीपत जिले के खांद्रा गांव के एक किसान के बेटे 23 वर्षीय नीरज ने अपने दूसरे प्रयास में 87.58 मीटर भाला फेंककर दुनिया को स्तब्ध कर दिया और भारतीयों को जश्न में डुबा दिया।

एथलेटिक्स में पिछले 100 वर्षों से अधिक समय में भारत का यह पहला ओलंपिक पदक है। सेना में संबधित विषय के जानकारों ने बताया कि सूबेदार चोपड़ा को टोक्यो ओलंपिक्स में उनके शानदार प्रदर्शन को लेकर निर्धारित नियमों एवं प्रक्रियाओं के तहत प्रोन्नति मिलेगी।

रक्षा मंत्री एवं सशस्त्र बलों ने इन सैन्यकर्मी की यह कहते हुए तारीफ की थी कि उन्होंने ‘सच्चे सैनिक’ की भांति प्रदर्शन करके देश को गौरवान्वित किया है। चोपड़ा, 15 मई, 2016 को नायब सूबेदार के तौर पर चार राजपूताना राइफल्स में शामिल हुए थे।

नीरज की सफलता में अहम योगदान रहा उनके परिवार का

भाला फेंक के स्टार एथलीट नीरज चोपड़ा की टोक्यो ओलंपिक में स्वर्णिम सफलता में उनकी प्रतिबद्धता, अनुशासन और कड़ी मेहनत के अलावा परिवार के मजबूत समर्थन ने भी अहम भूमिका निभायी। नीरज ने शनिवार को एथलेटिक्स में भारत के लिये ओलंपिक का पहला स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा। वह व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले केवल दूसरे भारतीय खिलाड़ी हैं। चोपड़ा के पिता सतीश चोपड़ा ने भी अपने बेटे की उपलब्धि के पीछे परिवार के समर्थन को श्रेय दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘जब किसी का बच्चा सफलता हासिल करता है और देश का नाम रोशन करता है तो माता पिता और पूरे परिवार की खुशियां शब्दों में बयां नहीं की जा सकती है। हम संयुक्त परिवार में रहते हैं और हम चार भाई हैं। इस मामले में नीरज भाग्यशाली रहा कि उसे पूरे परिवार का समर्थन मिला जिन्होंने लगातार उसको प्रेरित किया।’’

इस स्टार एथलीट की मां सरोज ने कहा, ‘‘आज वह हर किसी की उम्मीदों पर खरा उतरा और भारत का गौरव बढ़ाया। ’’ चोपड़ा के करियर में अहम भूमिका निभाने वाले उनके चाचा भीम चोपड़ा ने अपने भाई की बातों से सहमति जतायी। उन्होंने कहा, ‘‘ईश्वर ने हमारी प्रार्थनाओं को सुन लिया। खिलाड़ी की कड़ी मेहनत और मजबूत दृढ़ संकल्प के साथ परिवार का समर्थन, लगातार उत्साहवर्धन करना और अच्छे जीवन संस्कार भी महत्वपूर्ण होते हैं। नीरज के पास ये सब हैं जिससे उसे अपना लक्ष्य हासिल करने में मदद मिली।’’

चोपड़ा के शनिवार को स्वर्ण पदक जीतने के बाद पानीपत जिले में स्थित उनके गांव खांद्रा में जश्न का माहौल बन गया। यहां तक की गांव की वृद्ध महिलाएं भी नाच गा रही थी। सतीश ने कहा कि यदि दिग्गज मिल्खा सिंह जीवित होते तो उन्हें उनके बेटे पर गर्व होता। उन्होंने कहा, ‘‘काश मिल्खा जी आज जीवित होते तो वह बहुत खुश होते और उन्हें गर्व होता। ’’ भीम ने कहा कि चोपड़ा ने पिछले 10 वर्षों से अपने खान पान पर विशेष ध्यान दिया लेकिन अब परिवार उन्हें उनका पसंदीदा भोजन करने की छूट देगा। 

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