पीएम मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात के बचे हैं सिर्फ पांच दिन, चीन ने अभी तक नहीं की दौरे की आधिकारिक घोषणा
By रामदीप मिश्रा | Updated: October 7, 2019 09:46 IST2019-10-07T09:46:15+5:302019-10-07T09:46:15+5:30
चीन द्वारा अगले 24 से 48 घंटे यात्रा के बीच में दौरे के संबंध में घोषणा की जा सकती है। जिसकी पुष्टि होने के बाद से दोनों देशों के बीच समन्वय स्थापित किया जाएगा

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अनौपचारिक शिखर सम्मेलन के लिए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत दौरे पर आने वाले हैं। अब उनके दौरे के सिर्फ पांच दिन बचे हैं और उनके दौरे को लेकर बीजिंग की ओर से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। बताया जा रहा है कि दोनों नेताओं के बीच 11 से 13 अक्टूबर तक तमिलनाडु के महाबलीपुरम में अनौपचारिक शिखर वार्ता होगी।
खबरों के अनुसार, अगले 24 से 48 घंटे यात्रा के बीच में दौरे के संबंध में घोषणा की जा सकती है। जिसकी पुष्टि होने के बाद से दोनों देशों के बीच समन्वय स्थापित किया जाएगा। बता दें कि साल 2018 में भी मोदी और शी के बीच अनौपचारिक वुहान शिखर सम्मेलन की घोषणा तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने 22 अप्रैल को की थी और शिखर सम्मलेन का आयोजन 27 और 28 अप्रैल को हुआ था।
बीते महीने ही महाबलीपुरम में दोनों नेताओं के बीच होने वाले अनौपचारिक शिखर सम्मेलन को लेकर चीनी अधिकारी तमिलनाडु पहुंच गए थे और यहां पहुंच कर विभिन्न पहलुओं का आकलन कर रहे हैं। चीनी प्रतिनिधिमंडल ने सुरक्षा और सुविधाओं सहित विभिन्न पहलुओं का जायजा लिया है और प्रस्तावित कार्यक्रमों के बारे में जानकारी ली। प्रतिनिधिमंडल यहां विश्व धरोहर स्थलों को देख चुका है।
कांचीपुरम के समीप हो रही भारत-चीन बैठक के मद्देनजर बहुत उम्मीदें हैं, ऐसे में चीन के साथ ममलापुरम के प्राचीन संबंध से इस सम्मेलन को ऐतिहासिक बल मिलने की संभावना है। शक्तिशाली पल्लव शासकों का ममलापुरम लंबे समय तक फूलता-फलता बंदरगाह रहा था। पल्लव वंश का चीन के साथ संबंध रहा था।
उन्होंने अपने शासनकाल में वहां दूत भेजे थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच बैठक की तैयारी जोरशोर से चल रही हैं। ऐसे में जब हम पुरातात्विक साक्ष्यों पर नजर डालते हैं तो पता चलता है कि बैठक स्थल ममलापुरम का करीब 2000 साल पहले चीन के साथ संबंध था।