भारत-पाकिस्तान का बंटवारा कृत्रिम, वहां लोग कहते हैं कि हमसे गलती हो गई - संघ प्रमुख मोहन भागवत
By शिवेंद्र कुमार राय | Published: April 1, 2023 02:18 PM2023-04-01T14:18:25+5:302023-04-01T14:19:44+5:30
अमर शहीद हेमू कलानी के जन्म शताब्दी वर्ष के समापन समारोह में हिस्सा लेने भोपाल आए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि जब दूसरा कुछ नहीं था तब सारी दुनिया में सनातन का प्रभाव था।
भोपाल: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार, 31 मार्च को भोपाल में अमर शहीद हेमू कलानी के जन्म शताब्दी वर्ष के समापन समारोह में हिस्सा लिया। यहां संघ प्रमुख ने कहा कि सिंधी समुदाय को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि अपनी भूमि को छोड़कर भारत के साथ रहने के लिए जो आए उन्होंने अपने जीवन को अपने पुरुषार्थ से खड़ा कर दिया। वह आज दुखी नहीं है लेकिन पाकिस्तान में रहने वाले दुखी हैं क्योंकि वह कृत्रिम जीवन में जी रहे हैं।
RSS Sarsanghchalak Dr Mohan Bhagwat Ji addressed at Amar Balidani Hemu Kalani Janmashataabdi Samaroh at Bhopal, Madhya Pradesh. pic.twitter.com/dSRxHBgdSl
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भारत-पाकिस्तान के विभाजन पर मोहन भागवत ने कहा, "भारत-पाकिस्तान का विभाजन कृत्रिम है, यह तो पक्की बात है इसके लिए कोई विवाद नहीं चल सकता क्योंकि वह इतिहास में है। एक व्यक्ति को लाया गया सीमांकन करने के लिए, वह जानता नहीं था और उसके पास केवल 3 महीने थे।"
भागवत ने आगे कहा, "आज हम जिसको पाकिस्तान कहते हैं उसके लोग कह रहे हमसे गलती हो गई। ये गलती हो गई सब कह रहे हैं सब मानते हैं। आप देखिए जो अपनी हठधर्मिता के कारण भारत से अलग हो गए, अपनी संस्कृति से अलग हो गए। पूर्वजों का नाता तोड़कर उनको भुला दिया गया। वहां पर दुख है क्योंकि वह कृत्रिम जीवन में जी रहे हैं।"
विभाजन के समय भारत को चुनने वाले सिंधी समुदाय के बारे में संध प्रमुख ने कहा, "जब हिंदुस्तान-पाकिस्तान चुनने की बारी आई, आप लोग पराक्रमी लोग हो आप ने भारत को नहीं छोड़ा। आप भारत से भारत में आए , जब आप वहां थे तो वहां भारत था उस भारत को छोड़ने के बजाय आप उस भारत से इस भारत में आए। हमने उस जमीन मतलब पाकिस्तान को शारीरिक दृष्टि से छोड़ दिया लेकिन 1947 के पहले वो क्या था? दुनिया में कोई पूछेगा तो बताना पड़ेगा कि वह भारत था। जब दूसरा कुछ नहीं था तब सारी दुनिया में सनातन का प्रभाव था। उस समय वहां क्या था? वही भारत था, सिंधु संस्कृति थी, वेदों का उच्चारण होता था, भारतीय संस्कृति के त्याग के मूल्यों पर चलने वाला जीवन चलता था।"