परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व अध्यक्ष अनिल काकोदकर ने बुधवार को कहा कि किफायती ऊर्जा अर्थव्यवस्था की मजबूती की कुंजी है और भारत को 2050 तक कार्बन मुक्ति का लक्ष्य हासिल करने के लिए संबंधित प्रौद्योगिकियां विकसित करनी चाहिए। उन्होंने प्रौद्योगिकी सूचना, पूर्वानुमान एवं मूल्यांकन परिषद (टाइफैक) की परिचर्चा में एक ऑनलाइन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्वदेशी, अत्यंत प्रतिस्पर्धी और उच्च प्रदर्शन वाले दाबित भारी जल रिएक्टरों की त्वरित स्थापना तथा हल्के जल रिएक्टर स्थापित करने की योजना तैयार करने एवं हाइड्रोजन के सह-उत्पादन की आवश्यकता पर जोर दिया। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत आने वाले टाइफैक के पूर्व अध्यक्ष काकोदकर ने कहा, ‘‘स्वच्छ ऊर्जा की आपूर्ति 120 से 140 गुना बढ़ेगी तथा यह वृद्धि प्राथमिक तौर पर सौर, पवन और परमाणु ऊर्जा से मिलेगी। ई-गतिशीलता के लिए प्रमुख तौर पर विद्युत साझेदारी बढ़ेगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अतिरिक्त जैव ईंधन को उद्योग और परिवहन में इस्तेमाल के लिए हाइड्रोजन या हाइड्रोजन के घटकों में तब्दील किया जा सकता है।’’ काकोदकर ने कहा कि किफायती ऊर्जा अर्थव्यवस्था की मजबूती की कुंजी है और भारत को 2050 तक कार्बन मुक्ति का लक्ष्य हासिल करने के लिए संबंधित प्रौद्योगिकियां विकसित करनी चाहिए।
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