कोरोना के इलाज से प्लाज्मा थरेपी को हटाया गया, आईसीएमआर और एम्स ने जारी की नई गाइडलाइन

By दीप्ती कुमारी | Updated: May 18, 2021 11:02 IST2021-05-18T11:02:23+5:302021-05-18T11:02:23+5:30

एम्स और आईसीएमआर की नेशनल टास्क फोर्स ने कोरोना के इलाज से प्लाज्मा थरेपी को हटा दिया है। दोनों संस्थाओं की ज्वाइंट मीटिंग में सभी सदस्यों ने माना कि प्लाज्मा थरेपी कोरोना के इलाज में ज्यादा प्रभावी नहीं है।

India drops plasma therapy for covid 19 treatment icmr and aiims new guideline | कोरोना के इलाज से प्लाज्मा थरेपी को हटाया गया, आईसीएमआर और एम्स ने जारी की नई गाइडलाइन

फोटो सोर्स - सोशल मीडिया

Highlightsएम्स और आईसीएमआर की नेशनल टास्क फोर्स ने प्लाज्मा थरेपी को कोविड-19 के इलाज से हटायाएम्स और आईसीएमआर टास्क फोर्स ने माना प्लाज्मा थरेपी कोरोना के इलाज में कारगर नहीं है

दिल्ली: कोरोना महामारी के बीच एम्स और आईसीएमआर की कोविड-19 नेशनल टास्क फोर्स ने सोमवार को प्लाज्मा थरेपी को कोरोना के इलाज से हटा दिया। स्वास्थ्य मंत्रालय की संयुक्त निगरानी समूह ने कोविड-19 मरीजों के मैनेजमेंट के लिए रिवाइज्ड क्लीनिक गाइडलाइन जारी की है। इस गाइडलाइन में प्लाज्मा थरेपी को शामिल नहीं किया गया। हालांकि पहले प्लाज्मा थरेपी को प्रोटोकॉल में शामिल किया गया था और इस पद्धति से कोरोना मरीजों का इलाज भी देश में चल रहा है। 

रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड-19 संबंधी एम्स और नेशनल टास्क फोर्स की बैठक में सभी सदस्य इस पक्ष में थे कि प्लाज्मा थरेपी के इस्तेमाल के हटाया जाना चाहिए क्योंकि यह प्रभावी नहीं है और कई मामलों में इसका अनुचित उपयोग किया जा रहा है ।

प्लाज्मा थरेपी को कोरोना के इलाज से हटाने का फैसला हल में 'द लैंसर्ट' मेडिकल जर्नल में छपे एक परीक्षण के नतीजों के तीन बाद लिया गया है। सबसे बड़े रैंडम आधारित 'RECOVERY' परीक्षण के जरिए ये जानने की कोशिश की गई थी कि अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीजों पर कौनवैलेसेंट प्लाजमा (convalescent plasma) कितना कारगर होता है। 

अध्ययन के निष्कर्षों से पता चलता है कि सामान्य देखभाल की तुलना में प्लाज्मा थरेपी 28 दिनों की मृत्यु दर कम नहीं करता है। कोविड-19 बीमारी से पीड़ित मरीजों की जान बचाने के लिए प्लाज्मा थरेपी ज्यादा कारगर नहीं है । पूर्व में चीन और नीदरलैंड में भी इसी तरह के शोध के बाद कोविड-19 के उपचार के लिए प्लाज्मा थरेपी को ज्यादा कारगर नहीं माना गया था।  

हालांकि पिछले साल आईसीएमआर द्वारा 400 रोगियों पर परीक्षण किया गया था , जिसे प्लासिड परीक्षण कहा जाता है । इस परीक्षण में पाया गया कि प्लाज्मा थरेपी के कोई महत्वपूर्ण लाभ नहीं है लेकिन फिर भी इसे ऑफ लेबल उपयोग में जगह मिलती रही । 

क्या है प्लाज्मा थरेपी 

प्लाज्मा थरेपी को कायलसेंट प्लाज्मा थरेपी भी  कहा जाता है । इसमें कोरोना से ठीक हुए व्यक्ति के शरीर से प्लाज्मा निकालकर संक्रमित व्यक्ति के शरीर में इंजेक्ट किया जाता है क्योंकि कोविड से ठीक हुए व्यक्ति के प्लाज्मा में एंटीबॉडीज बन जाते हैं , जो दूसरे संक्रमित व्यक्ति के लिए भी मददगार हो सकते है । हालांकि इस बात का कोई पुष्टि नहीं हैं ।

Web Title: India drops plasma therapy for covid 19 treatment icmr and aiims new guideline

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