विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य को भारत ने अरब सागर में किया तैनात, जानिए क्या है कारण
By भाषा | Published: January 10, 2020 07:14 PM2020-01-10T19:14:04+5:302020-01-10T19:15:43+5:30
पाकिस्तान और चीन का नौसेना अभ्यास सोमवार को उत्तरी अरब सागर में शुरू हुआ था। इसका मकसद दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाना है। कश्मीर मुद्दे को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के बीच 'सी गार्जियन' अभ्यास हो रहा है।
भारत ने अपना विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य अरब सागर में तैनात किया है। भारत ने यह कदम ऐसे समय उठाया है जब चीन और पाकिस्तान उस क्षेत्र में नौ दिवसीय नौसैनिक अभ्यास कर रहे हैं।
माना जा रहा है कि इस कदम के जरिए भारत ने अपने दोनों पड़ोसियों को संकेत दिया है। सैन्य सूत्रों ने पीटीआई भाषा को बताया कि जब पोत को सामरिक मिशन पर तैनात किया गया, नौसेना मुख्यालय के शीर्ष अधिकारी पोत पर सवार थे।
पाकिस्तान और चीन का नौसेना अभ्यास सोमवार को उत्तरी अरब सागर में शुरू हुआ था। इसका मकसद दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाना है। कश्मीर मुद्दे को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के बीच 'सी गार्जियन' अभ्यास हो रहा है।
सूत्रों ने बताया कि विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य को सामरिक उद्देश्य के साथ भेजा गया है और उस पर मिग 29के युद्धक विमान तैनात हैं। चीन पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाह को विकसित कर रहा है और इस क्षेत्र में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा रहा है जिससे भारत में चिंता बढ़ रही है।
सेना की उत्तरी कमान के कमांडर चीन के शिनजियांग प्रांत की यात्रा पर
सेना की उत्तरी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह चीन के राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण शिनजियांग प्रांत की यात्रा पर हैं। इस दौरान वह चीन के शीर्ष जनरलों से मुलाकात करेंगे। शिनजियांग प्रांत की सीमा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से लगी हुई है।
लेफ्टिनेंट जनरल सिंह चीन की यात्रा पर जाने वाले सेना की उत्तरी कमान के दूसरे कमांडर हैं। इससे पहले 2015 में उनके पूर्ववर्ती लेफ्टिनेंट जनरल बी एस हुड्डा चीन गए थे। उत्तरी सेना के कमांडर की चीन यात्रा इसलिये भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे पहले इसके कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल बी एस जसवाल को 2010 में इस आधार पर नियमित वीजा देने से इनकार कर दिया गया था कि उत्तरी कमान में ‘‘विवादित’’ जम्मू-कश्मीर भी आता है।
इस पर भारत ने गहरी नाराजगी जतायी थी और दोनों देशों की सेनाओं के संबंधों में तनाव पैदा हो गया था। इस मुद्दे को 2015 में लेफ्टिनेंट जनरल हुड्डा की यात्रा के साथ सुलझाया गया था, जिससे दोनों के बीच संबंध सामान्य हो गए थे।
लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने पिछले तीन दिनों में बीजिंग और चेंगदू का दौरा किया है। गुरुवार को वह शिनजियांग की प्रांतीय राजधानी उरुमकी पहुंचे, जिससी सीमाएं पीओके से लगती हैं। सूत्रों ने यहां बताया कि गुरुवार को उन्हें उरुमकी में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के शीर्ष अधिकारियों के साथ बातचीत करनी है। शुक्रवार को वह स्थानीय सैन्य प्रतिष्ठानों का दौरा करेंगे।