भारत-चीन सीमा विवादः पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने कहा- सड़क निर्माण को बाधित करने के अलावा चीन का है कोई अन्य मकसद
By रामदीप मिश्रा | Published: June 17, 2020 07:19 AM2020-06-17T07:19:45+5:302020-06-17T07:49:36+5:30
भारत-चीन सीमा विवादः भारतीय सेना के सूत्रों ने बताया कि झड़प में हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया गया और अधिकतर जवान चीनी पक्ष द्वारा किए गए पथराव और लोहे की छड़ों के इस्तेमाल के कारण घायल हुए।
नई दिल्लीः पूर्वी लद्दाख में सोमवार रात गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में भारतीय सेना के एक कर्नल सहित 20 सैनिक शहीद हो गए। इस बीच पूर्व रक्षा मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ए के एंटनी ने कहा है कि उन्हें संदेह है कि भारत के सड़क निर्माण को बाधित करने के अलावा चीन का कोई और अन्य मकसद है। भारत को अपनी जमीन का एक इंच भी गंवाए बिना कूटनीतिक रूप से मुद्दे को सुलझाने की कोशिश करनी चाहिए। केंद्र सरकार राष्ट्र को लद्दाख की स्थिति के बारे में बताए। 1975 से भारत-चीन सीमा पर कोई भी सैनिक नहीं मारा गया।
ए के एंटनी ने कहा, 'मुझे भारत सरकार की आधिकारिक प्रतिक्रिया का इंतजार है। लेकिन मैं स्पष्ट रूप से कह सकता हूं कि चीनी सेना ने पिछले कुछ हफ्तों में लद्दाख में 7-8 रणनीतिक स्थानों पर भारतीय क्षेत्र में अतिक्रमण किया। वे सैन्य-स्तरीय वार्ता के बाद दो-तीन स्थानों से हट गए। चीनी सेना पैंगोंग त्सो झील क्षेत्र कई किलोमीटर तक अतिक्रमण कर चुकी है जोकि अभी भी पीछे नहीं हटी है।'
आपको बता दें, सेना ने शुरू में मंगलवार को कहा कि एक अधिकारी और दो सैनिक शहीद हुए। लेकिन, देर शाम बयान में कहा गया कि 17 अन्य सैनिक 'जो अत्यधिक ऊंचाई पर शून्य से नीचे तापमान में गतिरोध के स्थान पर ड्यूटी के दौरान गंभीर रूप से घायल हो गए थे, उन्होंने दम तोड़ दिया है। इससे शहीद हुए सैनिकों की संख्या बढ़कर 20 हो गई है।'
चीनी सेना के 43 सैनिक हताहत
सरकारी सूत्रों ने कहा है कि चीनी पक्ष के सैनिक भी 'उसी अनुपात में' हताहत हुए हैं। कहा जा रहा है कि चीन के 43 सैनिक हताहत हुए हैं, जिनमें से कुछ की मौत हुई है और कुछ गंभीर रूप से घायल हुए हैं। वर्ष 1967 में नाथू ला में झड़प के बाद दोनों सेनाओं के बीच यह सबसे बड़ा टकराव है। उस वक्त टकराव में भारत के 80 सैनिक शहीद हुए थे और 300 से ज्यादा चीनी सैन्यकर्मी मारे गए थे। इस क्षेत्र में दोनों तरफ नुकसान ऐसे वक्त हुआ है जब सरकार का ध्यान कोविड-19 संकट से निपटने पर लगा हुआ है।
भारतीय सेना के सूत्रों ने बताया कि झड़प में हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया गया और अधिकतर जवान चीनी पक्ष द्वारा किए गए पथराव और लोहे की छड़ों के इस्तेमाल के कारण घायल हुए। झड़प में घायल हुए अधिकारी की पहचान 16 वीं बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग अधिकारी कर्नल संतोष बाबू के तौर पर हु । वह तेलंगाना के निवासी थे।
पूर्वी लद्दाख में चीनी वायु सेना की बड़ी गतिविधियां
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शाम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह के साथ उच्च स्तरीय बैठक की। इस बैठक में पूर्वी लद्दाख में स्थिति की समग्र समीक्षा की गयी। यह समझा जा रहा है कि भारत ने 3500 किलोमीटर की सीमा पर चीन के आक्रामक रवैये से निपटने के लिए दृढ़ रुख जारी रखने का फैसला किया है। पूर्वी लद्दाख में चीनी वायु सेना की बड़ी गतिविधियां देखी गई है। दोनों देशों की सेनाओं ने झड़प के स्थान पर मेजर जनरल स्तरीय वार्ता की है।