सीमा पर शांति और सौहार्द, आतंकवाद पर सभी को वार करने की जरूरत, विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा-बीमा पॉलिसी की तरह संबंध

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 31, 2025 22:13 IST2025-08-31T21:20:57+5:302025-08-31T22:13:33+5:30

एससीओ शिखर सम्मेलन के संदर्भ में सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे से निपटने में हमें चीन से समर्थन और सहयोग मिला है।

india china Peace and harmony border everyone needs attack terrorism Foreign Secretary Vikram Misri said relations like insurance policy | सीमा पर शांति और सौहार्द, आतंकवाद पर सभी को वार करने की जरूरत, विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा-बीमा पॉलिसी की तरह संबंध

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Highlightsभारत-चीन संबंध दोनों देशों के 2.8 अरब लोगों को लाभान्वित कर सकते हैं।‘‘प्रधानमंत्री मोदी ने इन सभी पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी।’’भारत और चीन के बीच मतभेदों को विवाद में नहीं बदलने देना चाहिए। 

तियानजिनः विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि सीमा पर शांति और सौहार्द बनाए रखना भारत-चीन संबंधों के लिए एक बीमा पॉलिसी की तरह है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग को इस स्थिति से अवगत कराया। दोनों नेताओं ने दिन में व्यापक चर्चा की, जिसमें द्विपक्षीय संबंधों के पुनर्निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया गया। मिसरी ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन से इतर दोनों नेताओं के बीच हुई बातचीत का ब्योरा देते हुए कहा कि मोदी ने सीमा पार आतंकवाद की चुनौती का जिक्र किया और इससे निपटने के लिए एक-दूसरे को सहयोग देने पर जोर दिया, क्योंकि भारत और चीन दोनों को ही इससे खतरा है। उन्होंने प्रेस वार्ता में कहा, ‘‘एससीओ शिखर सम्मेलन के संदर्भ में सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे से निपटने में हमें चीन से समर्थन और सहयोग मिला है।’’

विदेश सचिव ने कहा कि मोदी और शी ने अपनी वार्ता के दौरान द्विपक्षीय संबंधों के अपने-अपने सिद्धांतों पर बात की और उम्मीद है कि उनके रुख से संबंधों में भविष्य के कार्यों को दिशा देने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि यह आम सहमति का एक तत्व है कि स्थिर और सौहार्दपूर्ण भारत-चीन संबंध दोनों देशों के 2.8 अरब लोगों को लाभान्वित कर सकते हैं।

मिसरी ने कहा कि राष्ट्रपति शी ने द्विपक्षीय संबंधों को और बेहतर बनाने के लिए चार सुझाव दिए। विदेश सचिव ने कहा कि ये सुझाव हैं: रणनीतिक संचार को मजबूत करना और आपसी विश्वास को गहरा करना, पारस्परिक लाभ के परिणाम प्राप्त करने के लिए आदान-प्रदान और सहयोग का विस्तार करना, एक-दूसरे की चिंताओं को समायोजित करना और अंत में साझा हितों की रक्षा के लिए बहुपक्षीय सहयोग को मजबूत करना। उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी ने इन सभी पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी।’’

मिसरी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने संबंधों के निरंतर और सुचारू विकास के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द की आवश्यकता पर भी जोर दिया। विदेश सचिव ने कहा कि दोनों नेताओं का मानना ​​है कि भारत और चीन के बीच मतभेदों को विवाद में नहीं बदलने देना चाहिए।

शी चिनफिंग की मेजबानी में विशाल भोज के साथ एससीओ शिखर सम्मेलन शुरू

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का 25 वां शिखर सम्मेलन रविवार रात यहां चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग द्वारा आयोजित एक विशाल भोज के साथ औपचारिक रूप से शुरू हुआ, जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन समेत अन्य नेता शामिल हुए।

शी चिनफिंग ने अपनी पत्नी पेंग लियुआन के साथ चीन के बंदरगाह शहर तियानजिन में अंतरराष्ट्रीय मेहमानों के स्वागत के लिए भोज का आयोजन किया। इस वर्ष का शिखर सम्मेलन 10 सदस्यीय समूह का सबसे बड़ा आयोजन है क्योंकि चीन ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस सहित 20 विदेशी नेताओं और 10 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुखों को आमंत्रित किया है।

शिखर बैठक सोमवार को एक विशेष रूप से नामित सम्मेलन केंद्र में आयोजित की जाएगी, जिसे 10 सदस्यीय समूह के नेता, आमंत्रित नेताओं के साथ, संबोधित करेंगे। शनिवार को शी चिनफिंग से मोदी की मुलाकात और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विभिन्न देशों पर नए शुल्क लगाए जाने की पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री मोदी के भाषण पर उत्सुकता से नजर रखी जाएगी।

माना जा रहा है कि इस बैठक से संबंधों के लिए नया खाका तैयार होगा। स्वागत भोज पर अपने संबोधन में शी ने कहा कि एससीओ पर क्षेत्रीय शांति और स्थिरता की रक्षा करने तथा बढ़ती अनिश्चितताओं और तेज परिवर्तन की दुनिया में विभिन्न देशों के विकास को बढ़ावा देने की बड़ी जिम्मेदारी है।

शी ने विश्वास व्यक्त किया कि सभी पक्षों के सम्मिलित प्रयासों से शिखर सम्मेलन पूर्णतः सफल होगा तथा एससीओ निश्चित रूप से और भी बड़ी भूमिका निभाएगा, सदस्य देशों के बीच एकता और सहयोग को बढ़ावा देने में अधिक योगदान देगा, ‘ग्लोबल साउथ’ की ताकत को एकजुट करेगा तथा मानव सभ्यता की और अधिक प्रगति को बढ़ावा देगा। ‘ग्लोबल साउथ’ का संदर्भ आर्थिक रूप से कमजोर देशों के समूह के लिए दिया जाता है।

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