हरित हाइड्रोजन का उत्पादन कर भारत बन सकता है ऊर्जा निर्यातक : जितेंद्र सिंह

By भाषा | Updated: September 3, 2021 18:20 IST2021-09-03T18:20:59+5:302021-09-03T18:20:59+5:30

India can become energy exporter by producing green hydrogen: Jitendra Singh | हरित हाइड्रोजन का उत्पादन कर भारत बन सकता है ऊर्जा निर्यातक : जितेंद्र सिंह

हरित हाइड्रोजन का उत्पादन कर भारत बन सकता है ऊर्जा निर्यातक : जितेंद्र सिंह

विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने शुक्रवार को कहा कि हरित हाइड्रोजन का बड़े पैमाने पर उत्पादन कर तथा अपनी भौगोलिक स्थिति का लाभ उठाकर भारत खुद को ईंधन के आयातक से स्वच्छ ऊर्जा के निर्यातक के रूप में बदल सकता है। सिंह ने 'इंटरनेशनल क्लाइमेट समिट 2021 - पावरिंग इंडियाज हाइड्रोजन इकोसिस्टम' को संबोधित करते हुए कहा कि विश्व की आबादी का एक बड़ा हिस्सा भारत में है और जब तक यह स्वच्छ जलवायु के मिशन में शामिल नहीं लेता, दुनिया अधिकतम परिणाम नहीं देख सकेगी।सिंह ने कहा कि दुनिया भर में स्वच्छ ईंधन और हरित हाइड्रोजन की भारी आवश्यकता है तथा भारत को शेष विश्व की आवश्यकता को भी पूरा करने की क्षमता है। उन्होंने कहा, "बड़े पैमाने पर हरित हाइड्रोजन का उत्पादन कर और भारत की भौगोलिक स्थिति का लाभ उठाकर, हमारे पास शुद्ध ऊर्जा आयातक से स्वच्छ ऊर्जा निर्यातक में बदलने की क्षमता है।"उन्होंने कहा कि हरित हाइड्रोजन प्रौद्योगिकी की आर्थिक व्यवहार्यता सुनिश्चित करना जरूरी है और उन्होंने सभी पक्षों को सरकारी मदद का आश्वासन दिया।स्वतंत्रता दिवस के भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन की घोषणा का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि यह जलवायु परिवर्तन को कम करने की दिशा में काम करने की भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन की समस्या का समाधान तब तक नहीं हो सकता जब तक कि भारत अपने उत्सर्जन में कमी नहीं करता और देश ने स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में कई कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि पिछले सात वर्षों में, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने स्वच्छ जलवायु के लिए अभियान में अग्रणी भूमिका निभाई है। सिंह ने कहा, "दुनिया में जलवायु परिवर्तन की समस्या का तब तक हल नहीं हो सकता जब तक कि भारत अपने उत्सर्जन में कमी नहीं लाता। भारत के लिए, यह न केवल एक मिशन है बल्कि यह एक जिम्मेदारी भी है, न सिर्फ अपने देशवासियों के लिए बल्कि पूरी मानवता के लिए भी।" सिंह ने कहा कि जहां तक ​​भारत का सवाल है, इसकी ऊर्जा मांग हर दिन जी से बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि भारत की 90 प्रतिशत ऊर्जा मांग आयातित जीवाश्म ईंधन से पूरी होती है। इसलिए दुनिया में जलवायु परिवर्तन की समस्या का तब तक हल नहीं हो सकता जब तक कि भारत अपने उत्सर्जन को कम नहीं करता।उन्होंने कहा कि भारत की नवीकरणीय ऊर्जा का हिस्सा भी हर दिन बढ़ रहा है और 2030 तक इसके 50 प्रतिशत हो जाने की उम्मीद है। इसका शुल्क दो रुपये से कम है जो पहले से ही दुनिया में सबसे कम है। उन्होंने कहा, "भारत में सौर विकिरण और जल की प्रचुरता भी एक लाभ है जिसका अर्थ है कि हरित हाइड्रोजन भारत को आत्मनिर्भर बनाने में मदद कर सकती है। साथ ही, यह जलवायु परिवर्तन को कम करने और शेष दुनिया के प्रति हमारी जिम्मेदारी को पूरा करने की हमारी प्रतिबद्धता को सुनिश्चित करता है। ’’ सम्मेलन में एक अन्य सत्र के दौरान सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के विजय राघवन ने कहा कि भारत स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी देश बनना चाहता है। इससे उत्सर्जन में कटौती करने तथा ईंधन के आयात में कमी लाने में भी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि अगर हरित हाइड्रोजन के लिए ‘इलेक्ट्रोलिसिस’ और नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग किया जाना है, तो इन दोनों को किफायती बनाना होगा। उन्होंने कहा कि लागत कम करने के लिए नयी प्रौद्योगिकियां बहुत महत्वपूर्ण हैं । विजय राघवन ने कहा कि हरित हाइड्रोजन कई क्षेत्रों में भारत के अंतरराष्ट्रीय सहयोग में व्यापक बदलाव लाएगा।

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