भारत संवाद के माध्यम से विवादों का हल करने में यकीन रखता है, धमकी बर्दाश्त नहीं करेगा: रक्षामंत्री

By भाषा | Updated: June 28, 2021 21:52 IST2021-06-28T21:52:32+5:302021-06-28T21:52:32+5:30

India believes in resolving disputes through dialogue, will not tolerate threats: Defense Minister | भारत संवाद के माध्यम से विवादों का हल करने में यकीन रखता है, धमकी बर्दाश्त नहीं करेगा: रक्षामंत्री

भारत संवाद के माध्यम से विवादों का हल करने में यकीन रखता है, धमकी बर्दाश्त नहीं करेगा: रक्षामंत्री

नयी दिल्ली, 28 जून पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर कई स्थानों पर दोनों देशों की सेनाओं के पीछे हटने की प्रक्रिया में जारी गतिरोध के बीच चीन को दो टूक शब्दों में संदेश देते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि भारत संवाद के माध्यम से पड़ोसियों के साथ विवादों का समाधान ढूंढने में यकीन रखता है लेकिन उकसाये या धमकाये जाने पर वह बर्दाश्त नहीं करेगा।

इस क्षेत्र की अपनी यात्रा के दूसरे दिन एक अग्रिम स्थान पर एक कार्यक्रम में सैनिकों को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि भारत एक शांतिप्रिय देश है, जो कभी कोई आक्रमण नहीं करता लेकिन उसके सशस्त्र बल देश को ‘आंख दिखाने वालों’ को माकूल जवाब देने के लिये हमेशा तैयार हैं।

देश की सुरक्षा के साथ किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किये जाने की बात पर बल देते हुए सिंह ने कहा यदि स्पष्ट मंशा हो तो किसी भी विवाद का हल ढूंढा जा सकता है।

उन्होंने पिछले साल 15 जून को गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ भीषण संघर्ष में शहीद हुए 20 भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी और कहा कि देश उनके बलिदान को कभी नहीं भूलेगा।

रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘भारत शांतिप्रिय देश है जो आक्रमण में विश्वास नहीं करता लेकिन यदि उसे उकसाया जाएगा तो वह मुंहतोड़ जवाब देगा।’’

सिंह की तीन दिवसीय यात्र ऐसे समय हो रही है, जब पूर्वी लद्दाख में कई स्थानों पर भारतीय एवं चीनी सैनिकों के बीच साल भर से टकराव के समाधान में गतिरोध बना हुआ है। वैसे इस साल फरवरी में पैंगोंग झील इलाके से दोनों पक्षों ने अपने सैनिक एवं हथियार पीछे हटा लिये थे।

रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘ हमें पिछले साल उत्तरी सीमा पर बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा । किंतु हमारे सशस्त्र बलों ने उससे निपटने के लिए अपना साहस एवं समर्पण दिखाया... हमारी सेना के पास हर चुनौती का मुंहतोड़ जवाब देने की क्षमता है।’’

उन्होंने देश को आश्वास्त किया कि सशस्त्र बल किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। उन्होंने कहा,‘‘ हमने सदैव विश्वशांति के लिए कार्य किया है । हम कभी किसी पर हमला नहीं करते। हमारा उद्देश्य कभी किसी के विरूद्ध जीत हासिल करने का नहीं रहा। भारत ने किसी देश पर न तो हमला किया और न ही एक इंच जमीन पर कब्जा किया है। हमारी मंशा बहुत साफ है। ’’

रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘ हमारे पड़ोसियों को सोचना चाहिए कि हम युगों से पड़ोसी रहे हैं और युगों तक पड़ोसी रहेंगे। क्या वार्ता के माध्यम से हम विवादित मुद्दों का हल ढूंढ सकते हैं? हम पड़ोसी हैं और पड़ोसी बने रहेंगे। मैं सभी पड़ोसियों की बात कर रहा हूं। हम हल ढूंढ सकते हैं, बशर्ते हमारी स्पष्ट मंशा हो। ’’

उन्होंने क्युंगम में एक कार्यक्रम में और कारू अग्रिम चौकी पर सैनिकों के साथ संवाद के दौरान ये बातें कहीं।

सिंह ने कहा, ‘‘ हमारे सशस्त्र बलों ने साबित कर दिया है कि उनके पास साहस और पराक्रम है । जहां संयम की जरूरत है, वहां हमारी सेना संयम दिखाती है और जहां बहादुरी और पराक्रम की आवश्यकता है वहां वह उनका प्रदर्शन करती है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे सेना के साहस और बहादुरी पर पूरा भरोसा है और उनके पास उन लोगों को मुंहतोड़ जवाब देने की क्षमता है, जो अपनी आखें (हमें)दिखाते हैं।

कारू में रक्षा मंत्री ने लद्दाख के चुनौतीपूर्ण उच्च भौगोलिक स्थिति में तैनाती के समय सशस्त्र बलों की दृढ़ता एवं उच्च मनोबल की तारीफ की।

उन्होंने कहा, ‘‘ यह आपका साहस ही है, जिसके कारण आपको ‘त्रिशूल डिवीजन’ नाम दिया गया है। आज आप भगवान शंकर के ‘त्रिशूल’ की भांति भीषण बनकर देश की उत्तरी सीमाओं की रक्षा कर रहे है और मुझे पक्का यकीन है कि आप सीमा पर उत्पन्न होने वाली किसी भी स्थिति का सामना करने में समर्थ हैं।’’

रक्षा मंत्री ने सशस्त्र बलों को सभी संभव सहयेाग का आश्वासन दिया और किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने में सक्षम मजबूत सेना के सरकार के दृष्टिकोण दोहराया।

गलवान घटना के दौरान भारतीय सेना द्वारा दिखाये गये साहस की प्रशंसा करते हुए सिंह ने कहा भारत को अपने सशस्त्र बलों पर नाज है और वह गलवान घाटी में अपने प्राण न्योछावर करने वाले सैनिकों के बलिदान को कभी नहीं भूलेगा।’’

गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ पिछले साल 15 जून को भीषण झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। दोनों देशों के बीच पिछले कुछ दशकों में हुई यह सबसे भीषण झड़प थी।

चीन ने फरवरी में आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया था कि भारतीय सेना के साथ संघर्ष में पांच चीनी सैन्य अधिकारी और एक जवान मारा गया था, हालांकि व्यापक रूप से यह माना जाता है कि मरने वालों की संख्या अधिक थी।

जम्मू कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने पर सिंह ने कहा कि मजबूत और दूरदर्शितापूर्ण कदम से राष्ट्रीय एकता मजबूत हुई, बाहर से होने वाली आतंकवादी गतिविधियां घटी हैं और लोगों के सामाजिक-आर्थिक विकास के नये अवसर खुले हैं।

रक्षा मंत्री ने लद्दाख में सीमा सड़क संगठन द्वारा बनाये गये 63 पुलों का भी उद्घाटन किया। रविवार को उन्होंने पूर्वी लद्दाख में भारत की सैन्य तैयारी की समग्र समीक्षा की थी।

अधिकारियों ने बताया कि रक्षा मंत्री और उनके साथ गये सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे को 14 वीं कोर के लेह मुख्यालय में सेना के शीर्ष कमांडरों ने वर्तमान स्थिति और भारत की तैयारी के बारे में बताया गया।

पिछले साल मई से पूर्वी लद्दाख में कई स्थानों पर भारत एवं चीन के बीच सैन्य टकराव चल रहा है । हालांकि, दोनों पक्ष कई दौर की सैन्य एवं कूटनीतिक वार्ता के बाद फरवरी में पैंगोंग झील के उत्तरी एवं दक्षिणी तट से पीछे हट गये थे।

दोनों पक्ष बाकी स्थानों से पीछे हटने के विषय पर वार्ता में लगे हैं। भारत खासकर हॉट स्प्रिंग, गोगरा और देपसांग में सैनिकों के पीछे हटने पर जोर दे रहा है।

सीमा पर बाकी स्थानों से सैनिकों के पीछे हटने के मुद्दे पर वार्ता में कोई प्रगति नजर नहीं आ रही है, क्योंकि चीनी पक्ष ने 11 वें दौर की सैन्य वार्ता में अपने रुख में कोई लचीलापन नहीं दिखाया।

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