S-400 को लेकर बड़े सौदे के करीब भारत और रूस, देश में ही रखरखाव और मरम्मत के लिए संयुक्त उद्यम की स्थापना संभव

By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: July 1, 2024 15:36 IST2024-07-01T15:34:30+5:302024-07-01T15:36:55+5:30

इस सौदे का मुख्य लक्ष्य भारत के भीतर S-400 वायु रक्षा प्रणालियों का रखरखाव और मरम्मत करना है। स्थानीय स्तर पर इन प्रणालियों के लिए कलपुर्जे का उत्पादन करने की भी योजना है। संभव है कि ब्रह्मोस एयरोस्पेस की तरह एक संयुक्त उद्यम की स्थापना हो।

India and Russia close to big deal regarding S-400 joint venture for maintenance and repair | S-400 को लेकर बड़े सौदे के करीब भारत और रूस, देश में ही रखरखाव और मरम्मत के लिए संयुक्त उद्यम की स्थापना संभव

मिसाइल डिफेंस प्रणाली एस-400 (File photo)

HighlightsS-400 को लेकर बड़े सौदे के करीब भारत और रूसदेश में ही रखरखाव और मरम्मत के लिए संयुक्त उद्यम की स्थापना संभवरूस पहले ही भारत को Su-30 फाइटर जेट और T-90 टैंक बनाने का लाइसेंस बेच चुका है

नई दिल्ली: भारत और रूस एस-400 वायु रक्षा प्रणाली से जुड़े एक अहम रक्षा करार पर लगभग सहमत हो गए हैं। इसके अंतर्गत एस-400 वायु रक्षा प्रणाली का रखरखाव और मरम्मत कार्य भारत मे ही किया जाना है। भारत में रखरखाव और मरम्मत कार्य के लिए एक भारतीय फर्म और एस-400 के रूसी निर्माता के बीच सौदा अंतिम चरण में है। रूसी राज्य के स्वामित्व वाले उद्यम अल्माज़-एंटे ने एस-400 वायु रक्षा प्रणाली को विकसित किया है।

इस सौदे का मुख्य लक्ष्य भारत के भीतर S-400 वायु रक्षा प्रणालियों का रखरखाव और मरम्मत करना है।  स्थानीय स्तर पर इन प्रणालियों के लिए कलपुर्जे  का उत्पादन करने की भी योजना है। संभव है कि ब्रह्मोस एयरोस्पेस की तरह एक संयुक्त उद्यम की स्थापना हो। 

रिपोर्ट्स के अनुसार भारतीय कंपनी और अल्माज़-एंटे के बीच बातचीत लगभग ख़त्म हो चुकी है। साझेदारों का लक्ष्य दो यूनिट की स्थापना करना और 2028 तक भारत में स्पेयर पार्ट्स का निर्माण शुरू करना है।

रूस पहले ही भारत को Su-30 फाइटर जेट और T-90 टैंक बनाने का लाइसेंस बेच चुका है। इसके अलावा ब्रह्मोस मिसाइल को भारतीय वैज्ञानिकों के साथ मिलकर विकसित किया गया और भारत में ही बनाया गया। अब अगर दुनिया की सबसे उन्नत मिसाइल डिफेंस प्रणाली एस-400 को लेकर भी समझौता होता है तो दोनों देशों के बीच रक्षा संबंध नए मुकाम पर जाएंगे।

S-400 सिस्टम की आपूर्ति 2018 में रूस और भारत के बीच हस्ताक्षरित एक सौदे का परिणाम है। भारत 2015 की शुरुआत में ही रूस निर्मित एस-400 मिसाइल सिस्टम खरीदना चाहता था। यह डील 5.43 बिलियन डॉलर की है। रूस भारत को S-400 सिस्टम की 4 बैटरी देगा। भारत को 2 रेजीमेंट मिल चुके हैं जबकि यूक्रेन युद्ध और अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण शेष दो मिलने में देर हुई है। 

S-400 एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम 2024 के अंत तक मिल जाने थे। अब आखिरी बैटरी जुलाई और सितंबर 2026 के बीच वितरित की जाएगी। यह देरी रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष के कारण हुई है। हालांकि रूस ने इस पर आधिकारिक तौर पर कोई टिप्पणी नहीं की है। 

Web Title: India and Russia close to big deal regarding S-400 joint venture for maintenance and repair

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