कर्नाटक में हाथियों की मौत का बढ़ता अनुपात, बिजली के झटके और अप्राकृतिक कारण बने चिंता का विषय

By अनुभा जैन | Updated: June 26, 2024 17:05 IST2024-06-26T16:55:05+5:302024-06-26T17:05:55+5:30

कई हाथियों की मौत की पोस्टमार्टम रिपोर्ट उपलब्ध नहीं, हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद 280 में से 152 हाथियों की मौत के मामलों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट विभाग की वेबसाइट पर अपलोड नहीं की गई है।

Increasing proportion of elephant deaths in Karnataka due to electric shock and unnatural causes become a matter of concern | कर्नाटक में हाथियों की मौत का बढ़ता अनुपात, बिजली के झटके और अप्राकृतिक कारण बने चिंता का विषय

फाइल फोटो

Highlightsराज्य ने 2021 से 287 जंगली हाथियों को खोयाइस महीने 7 हाथियों की मौत भी शामिलप्राकृतिक मौतें जनसंख्या की 1.8 प्रतिशत की औसत मृत्यु दर के भीतर

बेंगलुरु: कर्नाटक राज्य 6395 स्वतंत्र हाथियों का घर है। राज्य ने 2021 से 287 जंगली हाथियों को खो दिया है, जिसमें इस महीने 7 हाथियों की मौत भी शामिल है। हाथियों की प्राकृतिक मौतें जनसंख्या की 1.8 प्रतिशत की औसत मृत्यु दर के भीतर हैं। वन विभाग के अनुसार, खेतों और कॉफी बागानों के पास बिजली के झटके से 48 हाथियों की मौत हो गई। पांच हाथियों की गोली मारकर हत्या कर दी गई, दो की सड़क दुर्घटना में और एक की ट्रेन दुर्घटना में मौत हो गई।

मैसूरु में 38 वर्षीय अश्वत्थामा हाथी की मौत करंट लगने से हुई थी। जनवरी 2021 से जून 2024 के बीच, कर्नाटक ने बिजली के झटके से 35 हाथियों को खो दिया है। विभाग को बिजली के झटके से हाथियों की मौत को कम करने के लिए अवैध बिजली दोहन की घटनाओं को खत्म करने की दिशा में काम करना चाहिए। इस बात का जिक्र फाउंडेशन ऑफ इकोलॉजी एंड एजुकेशन डेवलपमेंट के वन्यजीव शोधकर्ता रमेश बेलागेरे ने कहा है।

कर्नाटक हाईकोर्ट ने कर्नाटक में हाथियों की अप्राकृतिक मौतों में वृद्धि के खिलाफ स्वतः संज्ञान लेते हुए एक मामला उठाया है। लगभग 57 हाथियों की मौत अप्राकृतिक कारणों से हुई। कार्यकर्ता उक्त दिशा में विभाग से जांच की मांग कर रहे हैं।

सबसे ज्यादा मौतें संरक्षित क्षेत्रों में हो रही हैं। इन हाथियों में सबसे अधिक 99 मौतें चामराजनगर सर्कल में और उसके बाद कोडागु सर्कल में 97 मौतें हुईं। मैसूरु, हसन, शिवमोग्गा, मंगलुरु, बेंगलुरु और चिक्कमगलुरु जैसे अन्य क्षेत्र जहां हाथियों की मौत की खबर सुनाई देना एक आम बात है। हाल ही में अप्रैल 2024 में तमिलनाडु और कर्नाटक की सीमा पर स्थित गोपीनाथम जंगल से बहने वाली कावेरी नदी में एक हाथी मृत पाया गया था।

वन्यजीव कार्यकर्ताओं ने कहा कि जंगली हाथी विशेष रूप से शहर और उसके आसपास खतरनाक खतरे में हैं। अवैध जाल इन जानवरों के लिए खतरा पैदा करते हैं। बॉक्स आइटम, परेशानी की बात यह है कि विभाग की वेबसाइट पर अपलोड की गई 280 मौतों में से 152 मौत के मामलों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट अपलोड नहीं की गई है। 2008 के उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद, जिसने सभी हाथियों की मृत्यु का पोस्टमॉर्टम अनिवार्य कर दिया था, 2021 के बाद से अभी भी मात्र 45 प्रतिशत पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आधिकारिक विभाग की वेबसाइट पर अपलोड की गई हैं।

उपलब्ध रिपोर्टों में, अधिकारी मौत का निर्णायक कारण नहीं बता सके क्योंकि कई मामलों में जानवर का शव मृत्यु के 10 से 45 दिन बाद पाया गया था। रिपोर्टों के अनुसार यह पाया गया है कि यदि पोस्टमार्टम निर्णायक सबूत देने में विफल रहता है तो अधिकारी इसे “प्राकृतिक कारणों से मौत“ घोषित करते हैं।

कई जंगली हाथियों का पोस्टमार्टम करने वाले पशु वैज्ञानिक बीएम चंद्र नाइक ने कहा कि अगर जानवर का शरीर ताजा है तो मौत का कारण पता लगाना आसान है। हाथी का शव मौत के तीन से चार दिन के भीतर सड़ना शुरू हो जाता है।

प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) सुभाष मालखेड़े ने कहा, “हम पारदर्शिता के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारी टीमें शवों की खोज करती हैं और मौत का कारण तुरंत पता लगाती हैं। 24 घंटे के अंदर पोस्टमार्टम हो जाता है. और जैसे ही हमें रिपोर्ट मिलती है हम उसे वेबसाइट पर अपलोड कर देते हैं।’’ उन्होंने आगे कहा कि कोई भी देरी विभिन्न स्थानों से विस्तृत और सटीक रिपोर्ट संकलित करने और सत्यापित करने में लगने वाले आवश्यक समय के कारण हो सकती है।

एक्टिविस्ट जोसेफ हूवर ने कहा, “विभाग को प्रत्येक मौत की जांच करने के लिए पारदर्शिता से काम करना होगा और बड़े संकट से बचने के लिए दीर्घकालिक उपाय करने होंगे।“

इसके अलावा, जंबो हर दिन अपने शरीर के वजन का लगभग 10 प्रतिशत उपभोग करते हैं, जिसमें से आधा घास से आता है। इसके अलावा वे पत्तियों, फलों, बांस और अन्य प्रोटीन सामग्री पर निर्भर रहते हैं। अधिकारियों ने कहा कि इतनी संख्या में बड़े जानवरों की देखभाल करना असंभव है। 

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हम पानी उपलब्ध करा सकते हैं लेकिन एक स्वतंत्र जानवर को हर दिन बड़ी मात्रा में घास उपलब्ध कराना संभव नहीं है। आवास की रक्षा करना ही एकमात्र समाधान है ”। कार्यकर्ता जोसेफ ने कहा कि वन विभाग को आगे की मौतों से बचने के लिए शमन उपाय करने और लोगों के साथ काम करने की जरूरत है।

Web Title: Increasing proportion of elephant deaths in Karnataka due to electric shock and unnatural causes become a matter of concern

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