दिल्ली में पिछले एक साल में करीब 70 फीसदी अपशिष्ट जल शोधन संयंत्र तय मानक पर खरा नहीं उतरे

By भाषा | Updated: October 31, 2021 14:45 IST2021-10-31T14:45:46+5:302021-10-31T14:45:46+5:30

In the last one year, about 70 percent of the wastewater treatment plants in Delhi did not meet the set standards. | दिल्ली में पिछले एक साल में करीब 70 फीसदी अपशिष्ट जल शोधन संयंत्र तय मानक पर खरा नहीं उतरे

दिल्ली में पिछले एक साल में करीब 70 फीसदी अपशिष्ट जल शोधन संयंत्र तय मानक पर खरा नहीं उतरे

नयी दिल्ली, 31 अक्टूबर राष्ट्रीय राजधानी में 35 अपशिष्ट जल शोधन संयंत्रों में 24 संयंत्र अपशिष्ट जल के लिए निर्धारित मानकों पर पिछले एक साल के दौरान खरा नहीं उतर पाये।

दिल्ली में एक दिन में 72 करोड़ गैलन अपशिष्ट जल उत्पन्न होता है। दिल्ली में 20 स्थानों पर स्थित 35 अपशिष्ट जल शोधन संयंत्र (एसटीपी) करीब 59.7 करोड़ गैलन जल का शोधन कर सकते हैं और वे अपनी क्षमता का लगभग 90 प्रतिशत उपयोग कर रहे हैं।

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के अनुसार, शोधित अपशिष्ट जल में जैविक ऑक्सजीन मांग (बीओडी), कुल निलंबित ठोस (टीएसएस) और कुल नाइट्रोजन की मात्रा प्रति लीटर 10 मिलीग्राम या उससे कम होनी चाहिए।

वहीं, रासायनिक ऑक्सीजन मांग (सीओडी) प्रति लीटर 50 मिलीग्राम से कम और अमोनियाकल नाइट्रोजन तथा फॉस्फेट क्रमश: प्रति लीटर पांच मिलीग्राम से कम और दो मिलीग्राम से कम होनी चाहिए।

उल्लेखनीय है कि जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग जल में घुली हुई ऑक्सीजन की मात्रा है। उच्च बीओडी स्तर का मतलब पानी में सूक्ष्मजीवों का उच्च स्तर है और सीओडी का मतलब रासायनिक रूप से प्रदूषकों को विखंडित करने के लिए आवश्यक ऑक्सीजन की मात्रा है।

वैसे संयंत्र, जिन्होंने ज्यादातर समय तय मानदंडों का पालन किया, उनमें ओखला फेज-छह, डॉक्टर सेन नर्सिंग होम नाला, दिल्ली गेट नाला फेज-एक, दिल्ली गेट नाला फेज-दो, चिल्ला, राष्ट्रमंडल खेल गांव, निलोठी फेज-दो और पप्पनकलां फेज-दो शामिल हैं।

पिछले साल अक्टूबर में, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (डीपीसीसी) की टीम ने 33 एसटीपी के नमूने एकत्र किये थे और उनमें से 23 संयंत्र मानकों का पालन नहीं करते पाए गए। वहीं, नवंबर में 23 और दिसंबर में 22 संयंत्र तय मानकों का पालन नहीं करते पाए गए। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस साल जनवरी में 25, फरवरी में 26, मार्च में 24 संयंत्र मानकों पर खरा नहीं उतरे।

कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन की वजह से अप्रैल में जांच के लिए नमूने एकत्र नहीं किए जा सके। वहीं, जून में 22 संयंत्र, जबकि जुलाई में 24, अगस्त में 26 और सितंबर में 26 संयंत्र तय मानक पर खरे नहीं उतरे।

एक अधिकारी ने बताया कि कई संयंत्र ऐसे हैं, जिनके पास अद्यतन डीपीसीसी मानकों के अनुसार अपशिष्ट जल को शोधित करने की प्रौद्योगिकी नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘ पहले की सरकारों ने यमुना को साफ करने के लिए काफी कम काम किया। (मुख्यमंत्री) अरविंद केजरीवाल नीत सरकार ने इन संयंत्रों को उन्नत करने के लिए परियोजनाएं शुरू की हैं और इसमें लगभग तीन से चार साल का समय लग जाएगा।

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Web Title: In the last one year, about 70 percent of the wastewater treatment plants in Delhi did not meet the set standards.

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