राजीव हत्याकांड में दोषी पेरारिवलन के मामले में सुप्रीम कोर्ट हुआ सख्त, बोला- 'अगर केंद्र के पास मामले में कोई दलील नहीं है तो कोर्ट दोषी को तुरंत रिहा कर सकती है'

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: May 4, 2022 17:52 IST2022-05-04T17:47:58+5:302022-05-04T17:52:03+5:30

सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में दोषी पेरारिवलन को जेल से रिहा के मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि अगर इस मामले में केंद्र के पास कहने के लिए कुछ नहीं है तो हम दोषी को अभी रिहा कर सकते हैं।

In the case of Rajiv murder convict Perarivalan, the Supreme Court became strict, said- 'If the Center does not have any argument in the matter, then the court can release the guilty immediately' | राजीव हत्याकांड में दोषी पेरारिवलन के मामले में सुप्रीम कोर्ट हुआ सख्त, बोला- 'अगर केंद्र के पास मामले में कोई दलील नहीं है तो कोर्ट दोषी को तुरंत रिहा कर सकती है'

राजीव हत्याकांड में दोषी पेरारिवलन के मामले में सुप्रीम कोर्ट हुआ सख्त, बोला- 'अगर केंद्र के पास मामले में कोई दलील नहीं है तो कोर्ट दोषी को तुरंत रिहा कर सकती है'

Highlightsपेरारिवलन मामले में सर्वोच्च अदालत ने राज्यपाल बनान राज्य कैबिनेट के फैसले में कड़ी टिप्पणी की सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल राज्य कैबिनेट का फैसला मानने के लिए बाध्य हैंकोर्ट ने पूछा क्या राज्यपाल राज्य कैबिनेट के फैसले को राष्ट्रपति के पास अनुशंसा के लिए भेज सकता है

दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में दोषी पेरारिवलन को जेल से रिहा के मामले में सुनवाई करते हुए देश की सर्वोच्च अदालत ने राज्यपाल बनान राज्य कैबिनेट के फैसले में कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्यपाल राज्य कैबिनेट का फैसला मानने के लिए बाध्य हैं, ऐसे में हम केंद्र सरकार से इस मामले में आगामी एक हफ्ते के भीतर प्रतिक्रिया जानना चाहते हैं और उसके बाद हम दोषी को रिहा करने का आदेश जारी कर सकते हैं।

समाचार वेबसाइट 'द न्यूज मिनट' के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई दो जजों की बेंच ने की। जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने बुधवार को कहा कि दोषी एजी पेरारिवलन की रिहाई पर राष्ट्रपति के फैसले का माफी की याचिका में उनके फैसले पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

बेंच ने पेरारिवलन को राजीव हत्याकांड में मिले उम्रकैद की सजा को निलंबित करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि "हम उसे जेल से रिहा करने का आदेश पारित करेंगे क्योंकि आप केस की मेरिट पर बहस करने के लिए तैयार नहीं हैं।"

इसके साथ ही बेंच ने यह भी कहा, "याचिका में सवाल राज्यपाल की शक्ति के बारे में है, न कि राष्ट्रपति के फैसले के बारे में और हमें यह देखना होगा कि क्या संविधान राज्यपाल को यह शक्ति हासिल है कि वो राज्य कैबिनेट के फैसले को राष्ट्रपति के पास अनुशंसा के लिए भेज सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने तीखे स्वर में कहा, "सवाल यह है कि पेरारिवलन के केस में राज्यपाल को खुद फैसला लेना चाहिए था या उनके पास संविधान प्रदत्त ऐसी शक्तियां हैं कि वो राज्य कैबिनेट द्वारा रिहाई के फैसले को मंजूरी देने की बजाय अनुशंसा के लिए राष्ट्रपति को भेज सकते हैं।

कोर्ट ने जेल में पेरारिवलन के अच्छे आचरण का जिक्र करते हुए कहा कि दोषी के साथ संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) के तहत मिले अधिकारों में भेदभाव किया जा रहा है।

मामले में केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए वकील ने राज्यपाल के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि उन्हें राष्ट्रपति से अनुशंसा लेने का अधिकार है। जिसके बाद अदालत ने केंद्र सरकार से पूछा कि आखिर वो राज्यपाल के फैसले का बचाव क्यों कर रही है।

अदालत ने कहा कि राज्यपाल राज्य कैबिनेट के खिलाफ फैसले ले सकता है और उसे दोबारा राज्य को भेज सकता है, लेकिन राज्यपाल के किसी फैसले के संबंध में बचाव का काम राज्य का न कि केंद्र सरकार का।

बेंच ने उपरोक्ट टिप्पणी के साथ कहा कि अगर केंद्र सरकार के पास इस मामले में कोई दलील तो बेहतर है नहीं तो कोर्ट पेरारिवलन की रिहाई के लिए तुरंत आदेश सुना सकती है।

दोनों जजों ने कहा, “संविधान की अवहेलना होने पर हम अपनी आंखों को बंद नहीं कर सकते। हमारे लिए यही बाइबिल है। कानून से ऊपर कोई नहीं है। संविधान ने विशिष्ठ व्यक्तियों को कुछ शक्तियां जरूर प्रदान की हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं की संविधान का ही काम ठहर जाए।”

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के लिए 10 मई की तारीख दी है। सुप्रीम कोर्ट 46 साल के पेरारिवलन की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सीबीआई की मल्टी-डिसिप्लिनरी मॉनिटरिंग एजेंसी (एमडीएमए) की जांच पूरी होने तक उनकी उम्रकैद की सजा को निलंबित करने की मांग की गई थी।

सीबीआई की एमडीएमए पेरारिवलन मामले में इस बात की जांच कर रहा है कि राजीव हत्याकांड में कोई और बड़ी साजिश थी। पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या की जांच के लिए गठित जैन आयोग ने बड़ी साजिश की आशंका जाहिर करते हुए एमडीएमए से जांच की सिफारिश की थी।

लगभग तीन दशकों से जेल में कैद पेरारीवलन को सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2022 में जमानत दे दी थी। वहीं सुप्रीम कोर्ट द्वारा जमानत देने से पहले नवंबर 2021 में सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि तमिलनाडु के राज्यपाल पेरारिवलन को रिहा करने पर फैसले लेंगे, लेकिन तमिलनाडु के राज्यपाल के पास यह मामला लंबित रहा, जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी आपत्ति जताई थी।

पुलिस ने पेरारिवलन को नौ वोल्ट की बैटरी खरीदने के आरोप में जेल भेजा था, जिसका कथित प्रयोग राजीव गांधी की हत्या के लिए बनाये गये इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) में इस्तेमाल किया गया था। 

Web Title: In the case of Rajiv murder convict Perarivalan, the Supreme Court became strict, said- 'If the Center does not have any argument in the matter, then the court can release the guilty immediately'

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