तेलांगना में पुजारी ने पेश की समाजिक समता की मिसाल, दलित श्रद्धालु को कंधे पर बिठा कर ले गया मंदिर
By अनुराग आनंद | Published: February 25, 2020 05:48 PM2020-02-25T17:48:42+5:302020-02-25T17:56:00+5:30
तेलंगाना में होने वाली मुनि वाहन सेवा तमिलनाडु में 2700 साल से चले आ रहे समारोह का ही एक रूप है। यह समारोह मुख्य रूप से वैष्णव मंदिर में होते हैं और इनमें सनातन धर्म के रीति-रिवाज माने जाते हैं।
तेलांगना के एक मंदिर में पुजारी ने समाजिक समता की मिसाल पेश की है। पुजारी ने पने कंधे पर एक दलित श्रद्धालु को कंधे पर बिठाकर उन्हें मंदिर ले गए। यह घटना श्री लक्ष्मी रंगनाथ स्वामी मंदिर की है। इस मंदिर में समाजिक समरसता की मिशाल पेश करने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।
सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक, इस कार्यक्रम के दौरान गांधी प्रतिमा पर माल्यार्पण के लिए सड़क के दोनों ओर बारी संख्या में महिलाएं खड़ी थीं। इन महिलाओं ने गांधी गांधी की मूर्ति पर माल्यार्पण करने के बाद एख शोभा यात्रा भी निकाली।
भद्राचलम नरसिंह स्वामी मंदिर के एक अर्चक (पुजारी) कृष्ण चैतन्य ने श्रद्धेय तिरुप्पनलवार की वेशभूषा धारण किए दलित समुदाय से आने वाले रवि को अपने कंधे पर बिठाकर मंदिर में प्रवेश कराया है।
इसके अलावा बता दें कि मीडिया से बातचीत के दौरान रंगराजन ने कहा कि उन्होंने आदित्य परासरी को मंदिर ले जाते वक्त पवित्र तिरुप्पनलवर का रूप मान लिया था। उन्होंने कहा कि यह खुशी की बात है कि मेरा वह कदम श्री वैष्णव सावंत भागवत रामानुज के प्रकट होने के शताब्दी वर्ष के साथ ही था, जिन्होंने एक जाति रहित और बराबरी वाले समाज की कल्पना की थी।
बता दें कि इससे पहले भी इस मंदिर में इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन हुआ है। तेलंगाना में होने वाली मुनि वाहन सेवा तमिलनाडु में 2700 साल से चले आ रहे समारोह का ही एक रूप है। यह समारोह मुख्य रूप से वैष्णव मंदिर में होते हैं और इनमें सनातन धर्म के रीति-रिवाज माने जाते हैं।
चिलकुर बालाजी मंदिर के मुख्य पुजारी सीएस रंगराजन ने ही सबसे पहले अप्रैल 2018 में दलित युवक आदित्य परासरी को कंधे पर बिठाकर जियागुड़ा स्थित रंगनाथ स्वामी मंदिर के अंदर पहुंचाया था।