रोशनी कानून: अदालत ने मामलों में प्रगति की जानकारी सीलबंद लिफाफे में जमा करने को कहा
By भाषा | Updated: December 8, 2020 23:51 IST2020-12-08T23:51:59+5:302020-12-08T23:51:59+5:30

रोशनी कानून: अदालत ने मामलों में प्रगति की जानकारी सीलबंद लिफाफे में जमा करने को कहा
जम्मू, आठ दिसंबर जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय ने मंगलवार को सीबीआई से रोशनी अधिनियम में कथित अनियमितताओं की जांच के लिए दर्ज मामलों में हुई प्रगति पर कार्रवाई रिपोर्ट (एटीआर) एक सीलबंद लिफाफे में जमा करने को कहा।
अदालत ने इस मामले में उसके पहले के आदेश पर पुनर्विचार करने की केंद्रशासित प्रदेश प्रशासन की याचिका पर सुनवाई के लिए 11 दिसंबर की तारीख मुकर्रर की।
मंगलवार को ही सेवानिवृत्त हुईं मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हुए न्यायमूर्ति राजेश बिंदल ने इस समय निष्प्रभावी हो चुके रोशनी कानून में तारीख पहले करने के लिए सरकार द्वारा अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) के माध्यम से दाखिल तत्काल सुनवाई के अनुरोध वाली याचिका को स्वीकार करते हुए मामले में शुक्रवार को सुनवाई करना तय किया।
अदालत के दो पन्नों के आदेश में कहा गया, ‘‘हमें मोनिका कोहली ने सूचित किया है कि सीबीआई की रिपोर्ट तैयार है और वह आज इसे दाखिल कर रही हैं। हम निर्देश देते हैं कि सीबीआई की कोई भी रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में जमा की जाएगी और अदालत में सुनवाई वाले दिन पीठ के सामने प्रस्तुत की जाएगी।’’
अधिकारियों के अनुसार सीबीआई बुधवार को रिपोर्ट जमा कर सकती है।
अदालत ने सोमवार को मामले में सुनवाई 16 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी थी।
प्रोफेसर आर एस भल्ला ने रोशनी कानून को अदालत में चुनौती दी थी जिसने नौ अक्टूबर को अंतत: कानून को ‘अवैध, असंवैधानिक और आगे नहीं चलने वाला’ करार दिया था और इस कानून के तहत जमीन के आवंटन के मामलों में सीबीआई जांच का आदेश दिया था।
सरकार ने करीब दो महीने पुराने फैसले में बदलाव के लिए चार दिसंबर को याचिका दाखिल की थी। सरकार ने कहा था कि बड़ी संख्या में आम लोग बिना मतलब के इससे प्रभावित होंगे।
सरकार ने कहा था कि आम लोगों और जमीन कब्जाने वाले धनवान लोगों के बीच अंतर की जरूरत है।
केंद्रशासित प्रदेश प्रशासन ने एक नवंबर को जम्मू कश्मीर राज्य भूमि (कब्जाधारियों को स्वामित्व सौंपना) अधिनियम, 2001 जिसे रोशनी अधिनियम के नाम से भी जाना जाता है के तहत राज्य में हुए सभी भूमि हस्तांतरणों को निरस्त कर दिया था।
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