आईआईटी गुवाहाटी ने भूख हड़ताल करने वाले पीएचडी छात्र को दी सजा, फिर से विरोध नहीं करने का भरवाया शपथ पत्र

By अभिषेक पारीक | Updated: July 7, 2021 20:41 IST2021-07-07T20:32:08+5:302021-07-07T20:41:30+5:30

आईआईटी गुवाहाटी में चौथे वर्ष के एक पीएचडी छात्र हिमांचल सिंह को छह बिंदुओं वाले एक शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करना पड़ा है। जिसमें लिखा था कि वे 'किसी भी प्रकार के आंदोलन/विरोध/धरने में' शामिल नहीं होंगे।

IIT Guwahati punishes PhD scholar for hunger strike, Affidavit filled not to protest again | आईआईटी गुवाहाटी ने भूख हड़ताल करने वाले पीएचडी छात्र को दी सजा, फिर से विरोध नहीं करने का भरवाया शपथ पत्र

आईआईटी गुवाहाटी। (फाइल फोटो )

Highlightsआईआईटी गुवाहाटी प्रबंधन ने शिक्षक के समर्थन में भूख हड़ताल करने वाले छात्र को दंडित किया। हिमांचल सिंह को सिंह को एक सेमेस्टर के लिए निलंबित कर शैक्षणिक गतिविधियों से निष्कासित किया गया। वापस आने पर सिंह से एक शपथ पत्र भरवाया गया, जिसमें ऐसा फिर नहीं करने की बात लिखी थी। 

आईआईटी गुवाहाटी में चौथे वर्ष के एक पीएचडी छात्र हिमांचल सिंह को छह बिंदुओं वाले एक शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करना पड़ा है। जिसमें लिखा था कि वे 'किसी भी प्रकार के आंदोलन/विरोध/धरने में' शामिल नहीं होंगे, शोध कार्यक्रम को फिर से शुरू करने की अनुमति दी जाए।

इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग में अपने शिक्षक ब्रजेश राय की अनिवार्य सेवानिवृत्ति के विरोध में चार से सात जनवरी 2020 तक एक भूख हड़ताल में सिंह ने अपने एक साथी के साथ भाग लिया था। जिसके कारण पिछले वर्ष उन्हें एक सेमेस्टर के लिए निलंबित कर शैक्षणिक गतिविधियों से निष्कासित कर दिया गया था।

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, राय ने संस्थान प्रबंधन के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई आरोप लगाए थे। जिसके बाद उन पर नियमों की अवहेलना और संस्थान के अधिकारियों को बदनाम करने के प्रयास का आरोप लगाया गया था और उन्हें एक जनवरी 2020 को अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर जाने का आदेश दिया गया था। 

पिछले साल 16 मार्च को दस सदस्यीय अनुशासनात्मक समिति ने यह फैसला किया कि सिंह को एक सेमेस्टर के लिए निलंबित कर शैक्षणिक गतिविधियों से निष्कासित कर दिया जाए। चार दिन के बाद सिंह ने अन्य छात्रों के साथ कोविड-19 महामारी के दौरान कैंपस छोड़ दिया। एनआईटी पटना से वायरलेस कम्युनिकेशन में एमटेक करने वाले सिंह को छात्रावास मामलों के बोर्ड महासचिव पद से भी निलंबित कर दिया गया। 

छह शर्तों वाला शपथ पत्र

सिंह 4 मार्च को हॉस्टल लौट आए लेकिन कथित तौर पर उन्हें हॉस्टल का कमरा खाली करने के लिए मजबूर किया गया। 8 मार्च को रजिस्ट्रार, प्रोफेसर एसएम सुरेश ने उन्हें एक पत्र भेजा जिसमें कहा गया था कि अगर उन्होंने छह शर्तों को सूचीबद्ध करने वाले शपथ पत्र पर हस्ताक्षर किए तो उन्हें वापसी की अनुमति दी जाएगी। जिसमें लिखा था, 'मैं परिसर के अंदर या बाहर किसी भी प्रकार के आंदोलन / विरोध / धरना में भाग नहीं लूंगा और न ही इसके लिए छात्रों को जुटाऊंगा'। साथ ही इसमें लिखा था, 'मैं सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कोई भी संदेश पोस्ट नहीं करूंगा जो संस्थान के शैक्षणिक माहौल के लिए हानिकारक साबित होगा'।

एक महीने पहले हस्ताक्षर किए

इस मामले में आईआईटी गुवाहाटी की ओर से कहा गया है कि यह फैसला एक विशेष समिति की सिफारिश पर लिया गया था। हालांकि सूत्रों के अनुसार सिंह ने करीब एक महीने पहले शपथ पत्र पर हस्ताक्षर किए थे क्योंकि वह एक साल पहले ही खो चुका था। 

अदालत का दरवाजा खटखटाया

एक अप्रैल को सिंह ने अदालत का दरवाजा खटखटाया और कहा कि शपथ पत्र भेदभावपूर्ण था और संविधान के अनुच्छेद 19(1) (ए) का उल्लंघन करता है, जो कि भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रदान करता है। याचिका में उन्होंने कहा है कि वे भूख हड़ताल पर थे और उनका इरादा नेक था। अदालत ने 9 अप्रैल को संस्थान को सीनेट के फैसले की कॉपी सिंह को सौंपने के लिए कहा है। 

जर्मनी छात्र को देश छोड़ने के लिए कहा

इससे पहले पिछले साल एक जर्मनी के छात्र को भी देश छोड़ने के लिए कहा गया था क्योंकि उसने कथित रूप से नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में भाग लिया था। बाद में केंद्र ने उसका वीजा रद्द कर दिया था। 

Web Title: IIT Guwahati punishes PhD scholar for hunger strike, Affidavit filled not to protest again

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे