धर्मांतरण के पीड़ित अगर दूसरों का धर्म बदलने की कोशिश करते हैं तो कार्रवाई हो सकती है, गुजरात हाईकोर्ट का अहम फैसला

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 9, 2025 14:41 IST2025-10-09T14:41:22+5:302025-10-09T14:41:22+5:30

याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि वे मूल रूप से हिंदू थे और अन्य व्यक्तियों ने उनका धर्मांतरण कराकर उन्हें मुसलमान बनाया, इसलिए वे स्वयं धर्म परिवर्तन के शिकार हैं, न कि आरोपी। 

If victims of religious conversion try to convert others, action can be taken Gujarat High Court says | धर्मांतरण के पीड़ित अगर दूसरों का धर्म बदलने की कोशिश करते हैं तो कार्रवाई हो सकती है, गुजरात हाईकोर्ट का अहम फैसला

धर्मांतरण के पीड़ित अगर दूसरों का धर्म बदलने की कोशिश करते हैं तो कार्रवाई हो सकती है, गुजरात हाईकोर्ट का अहम फैसला

अहमदाबाद: गुजरात उच्च न्यायालय ने कहा है कि धर्म परिवर्तन का शिकार होने का दावा करने वाले व्यक्ति यदि बाद में दूसरों का धर्म परिवर्तन करने का प्रयास करते हैं तो उन्हें भी कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। न्यायमूर्ति निर्जर देसाई की अदालत ने कई व्यक्तियों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए एक अक्टूबर को कहा,‘‘अन्य व्यक्तियों को इस्लाम में धर्मांतरित करने के लिए प्रभावित करने, उन पर दबाव डालने और उन्हें प्रलोभन देने’’ के उनके कृत्य के कारण उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया अपराध बनता है। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि वे मूल रूप से हिंदू थे और अन्य व्यक्तियों ने उनका धर्मांतरण कराकर उन्हें मुसलमान बनाया, इसलिए वे स्वयं धर्म परिवर्तन के शिकार हैं, न कि आरोपी। 

अदालत ने कहा कि वे (याचिकाकर्ता) ‘‘अन्य व्यक्तियों पर इस्लाम धर्म अपनाने के लिए दबाव डालने और उन्हें लुभाने’’ में शामिल थे जिससे उनके विरुद्ध प्रथम दृष्टया अपराध बनता है। धर्म परिवर्तन कराने के कई आरोपियों ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और तर्क दिया था कि वे स्वयं धर्मांतरण के शिकार हैं और उनके विरुद्ध दर्ज प्राथमिकी अनुचित है। उन्होंने भरूच जिले के आमोद थाने में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द किए जाने का अनुरोध किया था। 

उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका को खारिज करते हुए कहा, ‘‘जैसा कि प्राथमिकी और गवाहों के बयानों से नजर आता है, अन्य व्यक्तियों को इस्लाम में धर्मांतरण के लिए प्रभावित करने, दबाव डालने और लुभाने के उनके कृत्य के कारण’’ और आज प्रस्तुत सामग्री की समीक्षा करने पर अदालत का मानना ​​है कि ‘‘प्रथम दृष्टया अपराध बनता है।’’ अदालत ने भारतीय दंड संहिता की धाराओं 120 (बी) (आपराधिक षड्यंत्र), 153 (बी)(1)(सी) (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 295 (ए) (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य) के तहत आरोपी कई व्यक्तियों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया। 

एक शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि तीन लोगों ने उसके अंगूठे का निशान लेकर उसे इस्लाम धर्म में परिवर्तित कर दिया था और एक आरोपी को इन गतिविधियों को अंजाम देने के लिए वित्तीय सहायता मिल रही थी। प्राथमिकी के अनुसार, आरोपी बनाए गए तीन लोगों ने 37 हिंदू परिवारों के लगभग 100 लोगों को धन और अन्य प्रलोभन देकर इस्लाम धर्म में परिवर्तित कराया और जब उसने (शिकायतकर्ता ने) विरोध किया, तो उसे धमकाया गया जिसके बाद उसने पुलिस से संपर्क किया। 

मामले में कुल 16 लोगों को आरोपी बनाया गया हैं जिनमें से नौ नामजद हैं। इन आरोपियों में से कुछ ने प्राथमिकी रद्द कराने के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया था। धर्मांतरण गतिविधियों के लिए धन मुहैया कराने के आरोपी एक विदेशी नागरिक की एक अन्य याचिका पर सुनवाई के दौरान भी उच्च न्यायालय ने कहा कि उसके खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है।

खबर -पीटीआई भाषा एजेंसी 

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