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शीर्ष अदालत सीबीआई को जांच का जिम्मा सौंपती है तो क्षेत्र की सीमा नहीं होती: न्यायालय

By भाषा | Updated: October 1, 2021 22:48 IST

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नयी दिल्ली, एक अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि जब शीर्ष अदालत द्वारा केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को नामित किया जाता है और किसी मामले की जांच सौंपी जाती है तो क्षेत्र की कोई सीमा नहीं होती है तथा उस मामले की जांच के लिए पूरे भारत में अधिकार क्षेत्र निहित होता है।

न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने कहा, ‘‘हमारी राय बिल्कुल स्पष्ट है, एक बार जब यह अदालत किसी अपराध की जांच के लिए सीबीआई को जिम्मेदारी सौंपती है तो न्यायालय के आदेश के आधार पर अधिकार क्षेत्र निहित हो जाता है।’’ पीठ ने कहा, ‘‘जब जिम्मेदारी अदालत द्वारा सौंपी जाती है, तो सीबीआई पर क्षेत्र के बारे में कोई सीमा नहीं होती है।’’

शीर्ष अदालत पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने सीबीआई द्वारा जांच किए गए मामले में क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र के मुद्दे को उठाने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था।

उच्च न्यायालय ने विशेष न्यायाधीश, सीबीआई, पटियाला के अक्टूबर 2016 के आदेश को खारिज करने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर आदेश पारित किया था। इस कथित आधार पर याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था कि सीबीआई के पास पंजाब में एक व्यक्ति के कथित अपहरण और हत्या के मामले में जम्मू में मामला पंजीकृत करने का अधिकार क्षेत्र नहीं है।

सीबीआई ने पूर्व में निचली अदालत को बताया था कि शीर्ष अदालत द्वारा पारित नवंबर 1995 के आदेश के अनुपालन में जांच एजेंसी द्वारा प्रारंभिक जांच किए जाने के बाद जम्मू में मामला दर्ज किया गया था। शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि जब सीबीआई को अदालत के आदेश से जिम्मेदारी दी जाती है तो उस मामले की जांच के लिए जांच एजेंसी के पास पूरे भारत का अधिकार क्षेत्र निहित होता है।

निचली अदालत ने कहा था कि सीबीआई ने फरवरी 1997 में जम्मू में पंजाब में एक व्यक्ति के अपहरण और हत्या का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज किया था। अदालत ने कहा था कि सीबीआई द्वारा जम्मू में आरोप पत्र तैयार किया गया और इसे अदालत के समक्ष दाखिल किया गया था।

निचली अदालत के समक्ष याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि जम्मू में मामला दर्ज करना अवैध था क्योंकि कथित अपराध का कोई भी हिस्सा जम्मू कश्मीर के भीतर नहीं किया गया था। सीबीआई ने निचली अदालत के समक्ष दलील दी थी कि ‘‘पंजाब पुलिस द्वारा अज्ञात शवों के सामूहिक दाह संस्कार’’ से संबंधित एक याचिका के संबंध में शीर्ष अदालत द्वारा पारित नवंबर 1995 के आदेश के अनुपालन में एजेंसी द्वारा दिसंबर 1995 में प्रारंभिक जांच दर्ज की गई थी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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