अगर महामारी के दौरान कानून बन सकते हैं, तो वापस क्यों नहीं हो सकते: टिकैत

By भाषा | Updated: May 26, 2021 21:24 IST2021-05-26T21:24:56+5:302021-05-26T21:24:56+5:30

If laws can be made during epidemic, then why can't you return: Tikait | अगर महामारी के दौरान कानून बन सकते हैं, तो वापस क्यों नहीं हो सकते: टिकैत

अगर महामारी के दौरान कानून बन सकते हैं, तो वापस क्यों नहीं हो सकते: टिकैत

गाजियाबाद (उप्र), 26 मई भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता राकेश टिकैत ने बुधवार को कहा कि अगर महामारी के दौरान कानून बन सकते हैं, तो वापस क्यों नहीं हो सकते?

साथ ही दोहराया कि केंद्र के तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के बाद ही आंदोलनरत किसान दिल्ली की सीमाओं से हटेंगे।

टिकैत के बयान उस दिन आया है जब केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं टीकरी, गाजीपुर और सिंघू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने अपने आंदोलन के छह माह पूरे होने पर बुधवार को ‘काला दिवस’ मनाया और इस दौरान उन्होंने काले झंडे फहराए, सरकार विरोधी नारे लगाए, पुतले जलाए।

दिल्ली-उत्तर प्रदेश की सीमा पर गाजीपुर बॉर्डर पर सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए टिकैत ने कहा, ‘‘ यह आंदोलन लंबे समय तक जारी रहेगा।’’

इस बीच, ‘काला दिवस’ आयोजन के दौरान दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर प्रदर्शनकारियों के समूहों ने यूपी गेट पर एकत्र होकर प्रदर्शन किया और केंद्र सरकार का पुतला दहन किया। इस दौरान भारी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा।

प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हल्का टकराव भी हुआ, जिसको लेकर भाकियू ने आरोप लगाया कि पुतला दहन के दौरान पुलिसकर्मियों द्वारा पुतला खींचे जाने के कारण एक किसान मामूली रूप से जल गया।

भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा, ‘‘ यह आंदोलन लंबे समय तक जारी रहेगा। अगर कोविड महामारी के दौरान कानून बनाए जा सकते हैं तो महामारी के दौरान वापस क्यों नही लिए जा सकते?’’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘ सरकार आंदोलन को कुचलने का प्रयास कर रही है और भविष्य में भी ऐसा करेगी। लेकिन, किसान दिल्ली की सीमाओं से हटने वाले नहीं हैं। किसान केवल उसी शर्त पर घर वापस जा सकते हैं, जिनमें तीन कृषि कानूनों को रद्द करने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी का कानून लागू किया जाना शामिल है।’’

टिकैत ने कहा, ‘‘ मुझे नहीं पता कि आंदोलन का क्या भविष्य होगा लेकिन इतना पक्का पता है कि अगर आंदोलन विफल हो गया तो फिर सरकार जो चाहे करेगी। अगर आंदोलन सफल हुआ तो किसानों की आने वाले पीढ़ियों को इसका लाभ मिलेगा।’’

समर्थकों को संबोधित करने के दौरान काली पगड़ी पहने टिकैत ने महामारी से निपटने के तौर-तरीकों को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा और स्वास्थ्य सुविधाओं की किल्लत और दवाओं की कालाबाजारी रोकने में नाकाम रहने का आरोप लगाया।

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