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मुझे भागना पड़ा, वरना तालिबान मुझे जान से मार देता: अफगान खुफिया अधिकारी

By भाषा | Updated: August 16, 2021 20:11 IST

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अफगानिस्तान में तालिबान के नियंत्रण के बाद हालात लगातार बदतर होते जा रहे हैं। ऐसे में लोग देश छोड़कर दूसरे देशों का रुख कर रहे हैं। काबुल से आखिरी उड़ान के जरिये दिल्ली आए अफगान खुफिया अधिकारी आसिफ ने कहा, ''मुझे वहां से भागना पड़ा, वरना तालिबान मुझे जान से मार देता। सबकुछ वहीं खत्म हो जाता। मैं अपने परिवार को अपने साथ नहीं ला पाया।'' टूटी-फूटी हिंदी में यह बात कहते हुए आसिफ के आंसू छलक आते हैं और वह फूट-फूटकर रोने लगते हैं। इकतालीस वर्षीय (41) अधिकारी आसिफ ''निश्चित मृत्यु'' से बचने के लिये रविवार को अंतिम वाणिज्यिक उड़ान से काबुल से दिल्ली आए हैं। उनकी बीमार मां, पत्नी और आठ वर्षीय बेटा वहीं रह गए हैं। आसिफ के एक हमवतन ने लाजपत नगर में एक छोटा सा कमरा दिलाने में उनकी मदद की, जिसका किराया 500 रुपये प्रतिदिन है। अधिकारी ने कहा कि वह चाहते हैं कि उन्हें आसिफ रूप में जाना जाए। उन्होंने कहा, ''मैं 200-300 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से कमरा लेने की कोशिश करूंगा।'' अफगानिस्तान की राष्ट्रीय खुफिया एवं सुरक्षा सेवा के राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय (एनडीएस) के अधिकारी आसिफ से जब यह पूछा गया कि उनके पास भोजन है, तो वह फूट-फूट कर रोने लगे। अपने बैग से पासपोर्ट, एक एनडीएस पहचान पत्र और परिवार की तस्वीरें निकालते समय उसके हाथ कांपने लगे और जुबान लड़खड़ान लगीउन्होंने कहा, ''तालिबान हमें पकड़ रहे हैं, हमें मार रहे हैं। उन्होंने हमें नोटिस भेजा, हमें सरकार के खिलाफ विद्रोह करने या मरने के लिए कहा। (राष्ट्रपति अशरफ) गनी (देश) के देश छोड़कर चले जाने के बाद हमने उम्मीद खो दी। सुरक्षा प्रतिष्ठान के सैकड़ों अधिकारी उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान और अन्य देश भाग गए हैं।” यह सबकुछ बताते हुए उनके माथे से पसीने की बूंदें टपक रही थीं। यह पूछे जाने पर कि क्या स्वदेश में उनका परिवार सुरक्षित है, इसपर आसिफ ने कहा कि उन्हें कोई जानकारी नहीं है क्योंकि काबुल के कुछ इलाकों में इंटरनेट सेवाएं प्रभावित हुई हैं, जिसपर रविवार को तालिबान का कब्जा हो चुका है। उन्होंने कहा, ''मुझे एक महीने पहले मेरा वीजा मिल गया। दस दिन पहले हमें खुफिया जानकारी मिली थी कि तालिबान वापस आ रहे हैं।'' आसिफ ने एनडीएस की वर्दी और सुरक्षा बैज में अपनी कुछ तस्वीरें दिखाईं और कहा, ''पाकिस्तान ने हमें धोखा दिया...मैंने 20 साल तक अपने देश की सेवा की। यह मेरा जीवन है।'' यह कहने का बाद वह फिर से फूट-फूटकर रोने लगे। उन्होंने पीटीआई-भाषा को बताया कि बीती रात भारत आने वाली उड़ान में सवार होने से पहले उनके सहकर्मियों ने अपनी वर्दी उतारी और सादे कपड़े पहन लिये थे। एअर इंडिया भारत और अफगानिस्तान के बीच उड़ानों का परिचालन करने वाली एकमात्र विमानन कंपनी है। रविवार को उसने दिल्ली-काबुल-दिल्ली की अंतिम उड़ान का परिचालन किया। सोमवार को निर्धारित उड़ान को रद्द कर दिया गया। आसिफ ने कहा कि महिलाओं ने बुर्का पहनना शुरू कर दिया है और वे घरों में रह रही हैं। अगर वे ऐसा नहीं करेंगी तो उन्हें मार दिया जाएगा। अधिकारी ने कहा, ''सब खत्म....हमारे स्वदेश लौटने की कोई संभावना नहीं है। हमने अपना प्यारा वतन खो दिया है। मैं यह भी नहीं जानता कि हमारा परिवार भारत आ पाएगा या नहीं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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