पटाखा दुकानों में काम करने पुणे पहुंचे बाढ़ प्रभावित मराठवाड़ा के सैकड़ों लोग

By भाषा | Updated: November 2, 2021 18:20 IST2021-11-02T18:20:48+5:302021-11-02T18:20:48+5:30

Hundreds of people from flood-hit Marathwada reached Pune to work in cracker shops | पटाखा दुकानों में काम करने पुणे पहुंचे बाढ़ प्रभावित मराठवाड़ा के सैकड़ों लोग

पटाखा दुकानों में काम करने पुणे पहुंचे बाढ़ प्रभावित मराठवाड़ा के सैकड़ों लोग

पुणे, दो नवंबर महाराष्ट्र के सूखा प्रभावित लातूर जिले के 21 वर्षीय भरत मिसाल मराठवाड़ा क्षेत्र के उन लगभग 3000 लोगों में शामिल हैं, जिन्होंने दिवाली से पहले पटाखों की दुकानों में सेल्समैन के रूप में काम करने के लिए पुणे का रुख किया है। भरत सेना में भर्ती होने की इच्छा रखते हैं।

विडम्बना यह है कि ज्यादातर समय पानी की कमी झेलने वाले मराठवाड़ा क्षेत्र में इस साल मॉनसून के आखिरी दिनों में भारी बारिश हुयी है, जिससे कई किसानों को नुकसान उठाना पड़ा है । वे दो जून की रोटी कमाने के लिए विषम परिस्थितियों में नौकरियों की तलाश में बाहर निकलने को मजबूर हुए हैं।

लातूर की उमरागा तहसील के मिसाल ने पीटीआई-भाषा को बताया कि उनके परिवार ने सोयाबीन, अरहर और उड़द जैसी फसलें उगाईं, लेकिन हाल ही में हुई भारी बारिश से फसल नष्ट हो गयी, जिससे उन्हें अपने परिजनों का सहयोग करने के लिए पहली बार पटाखा स्टॉल पर काम करने के लिए पुणे शहर आना पड़ा है।

शोभेची दारू उत्पादक खरीदी के अध्यक्ष संतोष बोरा ने कहा, ‘‘हर साल आमतौर पर दशहरे के बाद 2,500 के लगभग लोग शहर आते हैं और त्योहारी सीजन के दौरान शुरू की गयी अस्थायी दुकानों पर काम करते हैं, लेकिन इस साल मराठवाड़ा से 3000 से अधिक लोग आए हैं।’’

यह संघ पुणे स्थित पटाखों की दुकानों की एक संस्था है, जिसे 1961 में पंजीकृत किया गया था।

बंसीवाला पटाखा मार्ट के मालिक बोरा ने कहा कि शोभेची दारू उत्पादक खरीदी विक्री सहकारी संघ ने काम के लिए आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को समायोजित करने का फैसला किया है और भोजन और आश्रय की व्यवस्था भी की है।

लातूर में औसा तहसील के एक कार्यकर्ता गोकुल कोली ने कहा कि वह पिछले कई वर्षों से जिस पटाखा मार्ट में काम कर रहा है उसके लिए लगभग 100 से 150 लोगों की आवश्यकता है, लेकिन इस साल 200 से 250 लोग आए हैं और कई पटाखा स्टॉल में काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे क्षेत्रों में भारी बारिश और बाढ़ ने फसलों को नष्ट कर दिया। इन मार्ट में काम करने वालों में से कई किसान और खेतिहर मजदूर हैं।’’

बाबा सोनकांबले (32) ने कहा कि महाराष्ट्र के दूसरे सबसे बड़े शहर में पटाखों की दुकान पर काम करने पहुंचे लगभग सभी लोगों की कहानियां एक जैसी हैं।

सोनकांबले ने कहा, ‘‘घर में कोई काम नहीं बचा है। दिवाली यहां आने और सम्मानपूर्वक अपनी आजीविका कमाने का अवसर लेकर आई है।

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Web Title: Hundreds of people from flood-hit Marathwada reached Pune to work in cracker shops

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