जब दो बार प्रधानमंत्री बनने से चूक गए मुलायम सिंह यादव, जानिए क्या थी वजह

By मनाली रस्तोगी | Published: October 10, 2022 12:27 PM2022-10-10T12:27:52+5:302022-10-10T12:30:10+5:30

1996 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार मिली थी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खाते में 161 सीटें थीं। अटल बिहारी वाजपेयी ने सरकार बनाने का निमंत्रण स्वीकार कर लिया था। वाजपेयी ने प्रधान मंत्री के रूप में शपथ ली, लेकिन उनकी सरकार 13 दिनों में गिर गई। अब सवाल यह उठा कि नई सरकार कौन बनाएगा।

How Mulayam Singh Yadav narrowly missed out on becoming Prime Minister twice | जब दो बार प्रधानमंत्री बनने से चूक गए मुलायम सिंह यादव, जानिए क्या थी वजह

जब दो बार प्रधानमंत्री बनने से चूक गए मुलायम सिंह यादव, जानिए क्या थी वजह

Highlightsमाना जाता है कि सपा नेता 1996 में प्रधानमंत्री की दौड़ में आगे थे, लेकिन राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और शरद यादव की आपत्तियों के कारण वो प्रधानमंत्री नहीं बन सके।1996 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार मिली थी।भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खाते में 161 सीटें थीं।

नई दिल्ली: अपने दशकों लंबे राजनीतिक जीवन में समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। 1989-91, 1993-95 और फिर 2003-2007 में उन्होंने तीन बार यूपी की कमान संभाली। लेकिन ऐसा दो बार हुआ जब पूर्व रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव देश के प्रधानमंत्री बनने से चूक गए। 

1996 में जब यूनाइटेड फ्रंट की सरकार बनने वाली थी, तब एक वरिष्ठ फ्रंट लीडर द्वारा मुलायम सिंह यादव का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए मंगाया गया था। ऐसा माना जाता है कि सपा नेता 1996 में प्रधानमंत्री की दौड़ में आगे थे, लेकिन राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और शरद यादव की आपत्तियों के कारण वो प्रधानमंत्री नहीं बन सके। 

1996 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार मिली थी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खाते में 161 सीटें थीं। अटल बिहारी वाजपेयी ने सरकार बनाने का निमंत्रण स्वीकार कर लिया था। वाजपेयी ने प्रधान मंत्री के रूप में शपथ ली, लेकिन उनकी सरकार 13 दिनों में गिर गई। अब सवाल यह उठा कि नई सरकार कौन बनाएगा। कांग्रेस की झोली में 141 सीटें थीं, लेकिन वह मिश-मैश गठबंधन सरकार बनाने के मूड में नहीं थी।

सबकी निगाहें वीपी सिंह पर टिक गईं। उन्होंने 1989 में गठबंधन सरकार बनाई थी। हालांकि इस बार उन्होंने प्रधानमंत्री बनने से इनकार कर दिया और पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु का नाम सामने रखा। लेकिन सीपीएम पोलित ब्यूरो ने वीपी सिंह के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। इसके बाद मुलायम सिंह और लालू प्रसाद यादव का नाम सामने आया। चारा घोटाले में नाम आने के बाद लालू पीएम की दौड़ से बाहर हो गए। गठबंधन गढ़ने का काम वामपंथियों के एक दिग्गज हरकिशन सिंह सुरजीत को सौंपा गया था। इसमें वह सफल रहे।

सुरजीत ने प्रधानमंत्री के लिए मुलायम के नाम की वकालत की लेकिन लालू प्रसाद यादव और शरद यादव ने इसका कड़ा विरोध किया। नतीजतन, नेताजी प्रधानमंत्री बनने से चूक गए। 1999 में फिर से चुनाव हुए। मुलायम सिंह ने संभल और कन्नौज सीटों से दोहरी जीत हासिल की। ​​उनका नाम फिर से पीएम पद के लिए आया। लेकिन 1996 की पुनरावृत्ति में अन्य यादव नेताओं ने मुलायम का समर्थन करने से इनकार कर दिया। इस तरह मुलायम सिंह यादव दो बार प्रधानमंत्री की कुर्सी पर कब्जा करने के करीब आए, लेकिन गठबंधन की राजनीति के कारण हार गए।

Web Title: How Mulayam Singh Yadav narrowly missed out on becoming Prime Minister twice

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