उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को दिल्ली पुलिस से सवाल किया कि रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड (आरएफएल) कोष से कथित तौर पर 2,400 करोड़ रुपये की हेराफेरी मामले में जांच पूरी करने के लिए उसे कितना समय चाहिए। इस मामले में फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रवर्तक शिविंदर मोहन सिंह आरोपी हैं।प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने पुलिस से सवाल करते हुए कहा, ‘‘आपराधिक मामले में जांच पूरी करने में वह कितना समय लेती है? आरोपी को मुकदमे के बिना जेल में नहीं रखा जा सकता है।’’ पीठ में न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस भी शामिल थे। पीठ ने सिंह की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा की दलीलों पर गौर किया कि आरोपी अक्टूबर 2019 से जेल में हैं और अब तक आरोप नहीं तय किए गए हैं।पीठ ने शुरू में सिंह को जमानत के लिए अनुरोध करने से पहले कुछ और समय इंतजार करने को कहा क्योंकि आरोप गंभीर हैं। लेकिन जब लूथरा ने यह कहा कि अन्य आरोपियों का पता लगाया जा सकता है लेकिन उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया है और यह कहा गया है कि जांच अभी जारी है, पीठ ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया गया। यह कहे जाने पर कि सिंह पर 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की हेराफेरी का आरोप है, वरिष्ठ वकील ने कहा कि 2जी घोटाला मामले के आरोपियों को उच्चतम न्यायालय ने जमानत दे दी थी।पीठ ने आदेश दिया, "राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) को जवाब देने और यह सूचित करने के लिए नोटिस जारी करें कि जांच पूरी करने में कितना समय लगेगा।" सिंह ने निचली अदालत द्वारा उन्हें दी गई जमानत रद्द करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के 14 जून के आदेश के खिलाफ सर्वोच्च अदालत का रुख किया था।
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