हरियाणा का हो रहा परिवर्तन: कैसे भाजपा के शासन ने भ्रष्टाचार को खत्म किया और योग्यता को दिया बढ़ावा
By मनाली रस्तोगी | Updated: August 31, 2024 09:24 IST2024-08-31T08:39:45+5:302024-08-31T09:24:14+5:30
आज हरियाणा में भाजपा के दो कार्यकालों की चर्चा कुख्यात "परची-खारची प्रणाली" को खत्म करने में उनकी सफलता का उल्लेख किए बिना अधूरी है। इस व्यवस्था के उन्मूलन से हरियाणवियों में विश्वास और आत्म-सम्मान बहाल हुआ है, राज्य की छवि में सुधार हुआ है और नागरिकों की प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई है।

हरियाणा का हो रहा परिवर्तन: कैसे भाजपा के शासन ने भ्रष्टाचार को खत्म किया और योग्यता को दिया बढ़ावा
एक दशक पहले बीजेपी सरकार ने हरियाणा में 'हरियाणा एक, हरियाणवी एक' के नारे के साथ सत्ता संभाली थी। उनका उद्देश्य प्रणालीगत परिवर्तन के माध्यम से सुशासन स्थापित करना था। 10 वर्षों में उन्होंने इस नींव पर एक मजबूत शासन संरचना का निर्माण किया है।
आज हरियाणा में भाजपा के दो कार्यकालों की चर्चा कुख्यात "परची-खारची प्रणाली" को खत्म करने में उनकी सफलता का उल्लेख किए बिना अधूरी है। इस व्यवस्था के उन्मूलन से हरियाणवियों में विश्वास और आत्म-सम्मान बहाल हुआ है, राज्य की छवि में सुधार हुआ है और नागरिकों की प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई है।
इस समय हरियाणा में हर परिवार, चाहे उनका स्थान कुछ भी हो, मानता है कि स्कूल में प्रवेश और सरकारी नौकरियों के लिए योग्यता ही एकमात्र मानदंड है। सिफारिशें और रिश्वत अब इन प्रक्रियाओं को प्रभावित नहीं करतीं। हरियाणा सरकार ने समाज के सबसे वंचित वर्गों को लाभ पहुंचाते हुए न खर्चा, न पर्ची के अपने सिद्धांत को सख्ती से लागू किया है।
गरीब और शोषित परिवारों के युवा अब सरकारी नौकरी हासिल करने के अपने लंबे समय के सपने को साकार कर सकते हैं। इससे पहले हरियाणा में सरकारी नौकरियां अक्सर नेताओं और अधिकारियों से संबंध रखने वालों को नीलाम की जाती थीं। साक्षात्कार प्रक्रिया महज़ एक औपचारिकता थी, जिसके परिणाम पूर्व निर्धारित थे।
पुरानी खारची-पर्ची प्रणाली नेताओं के कार्यालयों से भर्ती सूचियां जारी करने के लिए कुख्यात थी, जिससे योग्य उम्मीदवार असहाय हो जाते थे। गरीब परिवार सबसे अधिक प्रभावित हुए, उनके लिए सरकारी नौकरियां सुरक्षित करना लगभग असंभव हो गया। आज इस भ्रष्ट व्यवस्था के बिना भी भर्ती सूचियां जारी की जाती हैं, जिससे कई घरों में खुशी आती है।
अब मजदूरों और रिक्शा चालकों के बच्चे सरकारी नौकरियां हासिल कर रहे हैं। रिपोर्ट इस बात पर प्रकाश डालती है कि कैसे एक मजदूर की बेटी या किसान के बेटे ने योग्यता के आधार पर ये पद हासिल किए। यह बदलाव हरियाणा के सामान्य जन के मन को गर्व से भर देता है।
मिशन मेरिट: एक पारदर्शी प्रणाली
एक दशक पहले भाजपा ने सरकारी नौकरी भर्ती में पारदर्शिता लाने के लिए मिशन मेरिट की शुरुआत की थी। यह व्यवस्था अन्य राज्यों के लिए उदाहरण बन गयी है। सिरसा जिले के रिसालिया खेड़ा गांव की एक उल्लेखनीय रिपोर्ट में 35 युवाओं को सरकारी नौकरी हासिल करने पर प्रकाश डाला गया, जो सरकार की स्पष्ट मंशा और ईमानदार नीतियों को दर्शाता है।
हरियाणा के लोग उस समय को याद करते हैं जब अखबारों में सूचीबद्ध किया जाता था कि किन नेताओं के रिश्तेदारों ने सरकारी नौकरियां हासिल कीं। आज मीडिया रिपोर्टें इस बात पर ध्यान केंद्रित करती हैं कि कैसे साधारण पृष्ठभूमि के बच्चों ने योग्यता के माध्यम से ये स्थान हासिल किए।
भाजपा के शासन में पिछले एक दशक में परिवर्तन महत्वपूर्ण रहा है। "पर्ची-खार्ची प्रणाली" जैसी भ्रष्ट प्रथाओं के उन्मूलन ने राज्य के शासन में विश्वास बहाल किया है। योग्यता पर जोर ने कई वंचित परिवारों के लिए दरवाजे खोल दिए हैं, जिससे सभी के लिए एक न्यायपूर्ण व्यवस्था सुनिश्चित हुई है।