'डिजिटल अरेस्ट' से जुड़े मामलों को लेकर गृह मंत्रालय का अलर्ट! साइबर अपराधियों से सावधान रहने की चेतावनी दी
By आकाश चौरसिया | Updated: May 14, 2024 18:21 IST2024-05-14T17:47:00+5:302024-05-14T18:21:49+5:30
केंद्रीय गृह मंत्रालय के बयान में कहा कि गृह मंत्रालय ने इस बात की जानकारी दी है कि बड़ी मात्रा में शिकायत राष्ट्रीय साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) को 'धमकी', 'ब्लैकमेल', 'जबरन वसूली', 'डिजिटल अरेस्ट' जैसी शिकायत मिली है।

फोटो क्रेडिट- (एएनआई)
नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने साइबर अपराधियों पर नकेल कसने के लिए अलर्ट जारी किया। इसमें केंद्रीय एजेंसिया के तहत आने वाले एनसीबी, सीबीआई, आरबीआई, कानून प्रवर्तन एजेंसी और प्रदेशों की पुलिस की आवाज में साइबर हमलावर जो आम लोगों को धमकाते और उनके पैसे ठगते हैं। इस बीच ये भी बताया कि मंत्रालय को साइबर क्रिमिनल द्वारा मिलने वाले 'ब्लैकमेल', 'डिजिटल अरेस्ट' की शिकायतें बड़ी मात्रा में मिली है।
जारी बयान में कहा कि गृह मंत्रालय ने इस बात की जानकारी दी है कि बड़ी मात्रा में शिकायत राष्ट्रीय साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) को 'धमकी', 'ब्लैकमेल', 'जबरन वसूली', 'डिजिटल अरेस्ट' जैसी शिकायत मिली है। इसमें शिकायत करने वालों ने बताया कि उन्हें केंद्रीय ब्यूरो एजेंसी (सीबीआई), नार्कोटिक्स विभाग, (आरबीआई) भारत का केंद्रीय बैंक, प्रवर्तन निदेशालय और कानून प्रवर्तन एजेंसियों की ओर से इस बात को लेकर अनेक कॉल आ चुकी हैं।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बयान में कहा ये साइबर अपराधी पीड़ित को पहले तो कॉल करते हैं और जानकारी देते हैं कि जो आपको पार्सल मिला है, उसमें अवैध सामान है, ड्रग है, फेक पासपोर्ट या फिर कुछ दूसरी चीजें हैं। इसके चलते लोग डरने लग जाते हैं और पूरी तरह से डिजिटल अरेस्ट होने लगते हैं।
मंत्रालय ने आगे बयान में कहा कि कभी-कभी आपको वो बताते हैं कि वो आपके संबंधी हैं या आपके पड़ोसी हैं, वो क्राइम या दर्घटना में दोषी पाए गए और उन्हें कस्टडी में ले लिया गया है। इसमें होता क्या है वे इस फेक जानकारी के बदले पैसे की डिमांड करते हैं।
कुछ उदाहरण के बारे में बताया कि इस दौरान बिना सोचे-समझे पीड़ित इस तरह डिजीटली अरेस्ट हो जाते हैं और फिर पीड़ित से कहा जाता है कि वो स्काइप पर बने रहें और दूसरी तरफ होता ये है कि फ्रॉड करने वाला अपराधी होता है, कहता है कि जब तक कि उनकी डिमांड नहीं पूरी होती, तब तक वह ऐसा करने के लिए कहते हैं।
गृह मंत्रालय ने अलर्ट जारी करते हुए कहा कि फ्रॉड करने वाले अपराधी पूरी तैयारी के साथ दूसरी तरफ स्टूडियो स्थापित कर मौजूद रहते हैं और सरकारी अधिकारी की ड्रेस पहनकर एकदम ऐसे दिखाते हैं, जैसे कि वो अधिकारी हो। बयान में कहा कि यह घटनाएं देशभर में हुई है और ऐसे पीड़ितो की शिकायत बड़ी मात्रा में आई।
गृह मंत्रालय के तहत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C), देश में साइबर अपराध से निपटने से संबंधित गतिविधियों का समन्वय करता है। गृह मंत्रालय इन साइबर अपराधों से निपटने के लिए अन्य मंत्रालयों और उनकी एजेंसियों, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और अन्य संगठनों के साथ मिलकर काम कर रहा है। I4C ऐसे मामलों की पहचान और जांच के लिए राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के पुलिस अधिकारियों को इनपुट और तकनीकी सहायता भी प्रदान कर रहा है।
I4C ने माइक्रोसॉफ्ट के सहयोग से ऐसी गतिविधियों में शामिल 1,000 से अधिक स्काइप आईडी को भी ब्लॉक कर दिया है। यह धोखेबाजों द्वारा उपयोग किए जाने वाले सिम कार्ड, मोबाइल उपकरणों और म्यूल खातों को ब्लॉक करने में भी मदद कर रहा है। I4C ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘Cyberdost’ पर इन्फोग्राफिक्स और वीडियो के माध्यम से विभिन्न अलर्ट भी जारी किए हैं, जैसे कि X, फेसबुक, इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स।
नागरिकों को इस प्रकार की जालसाज़ी से सावधान रहने और इनके बारे में जागरुकता फैलाने की सलाह दी जाती है। ऐसी कॉल आने पर नागरिकों को तत्काल साइबरक्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 या www.cybercrime.gov.in पर सहायता के लिए इसे रिपोर्ट करना चाहिए।