Hindi Diwas 2025: साहित्यकारों की रीढ़ की हड्डी है हिंदी, अंशुमन भगत बोले-समाज के लिए आधारस्तंभ
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 12, 2025 11:49 IST2025-09-12T11:48:55+5:302025-09-12T11:49:44+5:30
Hindi Diwas 2025: हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि भावनाओं का समंदर है, जो हमें अपनी अनुभूतियों को अभिव्यक्त करने की शक्ति देता है।

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जमशेदपुरः हिंदी दिवस के अवसर पर झारखंड के प्रसिद्ध लेखक अंशुमन भगत ने कहा कि हिंदी केवल साहित्यकारों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए आधारस्तंभ है। यह पत्रकारिता से लेकर शिक्षा तक, हर क्षेत्र में विचारों को जोड़ने वाली कड़ी है। अंशुमन भगत ने कहा, “आज भले ही कुछ राज्यों में राजनीतिक कारणों से हिंदी को बोझ या अभिशाप की तरह देखा जाता हो, लेकिन हमारे लिए यह मातृभाषा है। हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि भावनाओं का समंदर है, जो हमें अपनी अनुभूतियों को अभिव्यक्त करने की शक्ति देता है।”
हिंदी के योगदान पर प्रकाश डालते हुए मुनशी प्रेमचंद, सुमित्रानंदन पंत और गुलज़ार जैसे रचनाकारों का उल्लेख करते हुए भगत ने कहा कि, इन साहित्यकारों की रचनाओं ने हिंदी को न केवल देश में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिष्ठा दिलाई है। उन्होंने खास तौर पर गुलज़ार की मजरनामा श्रृंखला का जिक्र करते हुए कहा कि वे उनके गहरे प्रशंसक हैं।
हिंदी दिवस का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा कि 14 सितंबर 1949 को हिंदी को भारत की राजभाषा का दर्जा दिया गया था। यह दिन केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि हिंदी के संरक्षण और प्रसार का संकल्प लेने का अवसर है। अंशुमन भगत ने कहा कि हिंदी की असली ताकत इसके पाठकों और प्रेमियों में है।
यदि उनका स्नेह और समर्थन न होता तो साहित्यकारों को भी वह पहचान और सम्मान नहीं मिलता। उन्होंने अपील की कि आने वाली पीढ़ियों तक हिंदी की यह धारा निरंतर बहती रहे, यही हिंदी दिवस का वास्तविक संदेश है।

