शिमला:हिमाचल प्रदेश में पहली बार राज्य सरकार के कर्मचारियों का वेतन महीने के पहले दिन उनके बैंक खातों में नहीं आया। हिमाचल प्रदेश इस समय वित्तीय संकट का सामना कर रहा है और यही कारण है कि राज्य सरकार के पास अपने कर्मचारियों को सैलरी देने के पैसे भी नही हैं।
सरकार की ओर से अभी तक अगस्त महीने की सैलरी जारी नहीं की गई है। आमतौर पर वेतन महीने के आखिरी दिन तक आ जाता है लेकिन हिमाचल के कर्मचारियों को अगस्त महीने का वेतन अब तक नहीं मिला है। वेतन में देरी से राज्य सरकार के दो लाख से अधिक कर्मचारी प्रभावित हुए हैं। वेतन में देरी के बावजूद, सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है कि वेतन कब वितरित किया जाएगा।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू कई बार राज्य की खराब माली हालत का मुद्दा उठा चुके हैं। हालांकि सुक्खू ने राज्य की मौजूदा वित्तीय हालत के लिए पिछली बीजेपी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। राज्य विधानसभा में एक संबोधन में सुक्खू ने वित्तीय गड़बड़ी के लिए भाजपा द्वारा शुरू की गई मुफ्त की संस्कृति को जिम्मेदार ठहराया।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन को आश्वासन दिया कि राज्य की वित्तीय स्थिति जल्द ही ठीक हो जाएगी। रविवार को भी मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार राज्य की वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए विभिन्न सुधारात्मक कदम उठा रही है। मुख्यमंत्री ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि मेरे सभी कार्य हिमाचल प्रदेश को 2027 तक आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर और 2032 तक देश का सबसे समृद्ध राज्य बनाने पर केंद्रित हैं।
हिमाचल प्रदेश बीते कुछ सालों से भयंकर प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर रहा है। मानसून के समय बारिश, बाढ़ और भूस्खलन के कारण राज्य को करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ है। हिमाचल प्रदेश की आय का मुख्य आधार पर्यटन है लेकिन पिछले कुछ सालों से टूरिज्म इंडस्ट्री आपदा की वजह से बड़े पैमाने पर प्रभावित हुई है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि पिछली सरकार द्वारा अतार्किक तरीके से दी गई सब्सिडी के कारण स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र चरमरा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग बिजली और पानी का बिल चुकाने में सक्षम हैं, उन्हें सब्सिडी नहीं लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम केंद्र से अपना अधिकार मांग रहे हैं जिसमें राष्ट्रीय पेंशन योजना के तहत जमा 9,200 करोड़ रुपये, पिछले साल की आपदा के लिए 9300 रुपये और भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड से राज्य का 4,300 करोड़ रुपये का हिस्सा शामिल है।