चेन्नई, पांच फरवरी मद्रास उच्च न्यायालय ने कुछ लोगों द्वारा अन्य धर्मों पर दिए जाने वाले 'तुच्छ' बयानों को लेकर चिंता जताते हुए शुक्रवार को कहा कि दूसरों की आस्था के खिलाफ ''जहर उगलना धर्म के सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य की अवहेलना करता है।''
न्यायालय ने ईसाई मत के प्रचारक मोहन सी लजारुस के खिलाफ दायर कई याचिकाओं की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। लजारूस, हिंदू मंदिरों के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणी करने के आरोप में मामलों का सामना कर रहे हैं।
न्यायमूर्ति एन आनंद वेंकेटेश ने मोहन के खिलाफ दर्ज प्राथमिकियों और आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया।
न्यायाधीश ने कहा, '' दुर्भाग्यवश, कई मामलों में लोग धर्मांध होते हैं और अन्य धर्मों के खिलाफ तुच्छ बयान देते हैं। ऐसे बयान देने वाले लोग सोचते हैं कि इस तरह के बयान उनकी धर्म के प्रति आस्था को उच्चतर बनाएंगे। धर्म का यह उद्देश्य नहीं है।''
उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों में धर्मनिरपेक्षता (सेक्युलरिज्म) आमौर पर राज्य (सरकार) और धर्म के बीच अंतर पर जोर देता है, जबकि भारतीय पंथनिरेपेक्षता (सेक्युलिरज्म) सभी धर्मों के प्रति समान भावना रखने पर जोर देता है।
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