हेलीकॉप्टर घोटाला: अदालत का कारोबारी श्रवण गुप्ता के खिलाफ गैर जमानती वारंट रद्द करने से इनकार
By भाषा | Published: December 15, 2020 04:59 PM2020-12-15T16:59:14+5:302020-12-15T16:59:14+5:30
नयी दिल्ली, 15 दिसंबर दिल्ली की एक अदालत ने अगस्तावेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर धनशोधन मामले में संपत्ति कारोबार क्षेत्र की बड़ी कंपनी एम्मार एमजीएफ के पूर्व प्रबंध निदेशक श्रवण गुप्ता के खिलाफ जारी गैर जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) रद्द करने से इनकार कर दिया है। अदालत ने कहा कि वह (गुप्ता) जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं।
अदालत ने गैर जमानती वारंट रद्द करने की मांग संबंधी गुप्ता का आवेदन यह कहते हुए खारिज किया कि इसमें ‘दम नहीं’ है। अदालत ने कहा कि गुप्ता के खिलाफ 29 अगस्त को वारंट जारी किया गया था क्योंकि वह समन मिलने के बाद भी जांच में शामिल नहीं हुए और किसी न किसी बहाने जांच से बचने की कोशिश कर रहे थे।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कहा था कि गुप्ता नौ समन भेजे जाने के बावजूद जांच में शामिल नहीं हुए जिससे उनके विरूद्ध एनबीडब्ल्यू जारी किया गया और यह कि वह जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं।
विशेष न्यायाधीश अरविंद कुमार ने पांच दिसंबर को अपने आदेश में कहा , ‘‘मौजूदा मामले में आवेदक समन मिलने के बाद भी जांच में शामिल नहीं हुआ और वह किसी न किसी बहाने जांच से बचने की कोशिश कर रहा है। ’’
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ यहां तक कि, मौजूदा सुनवाई के दौरान भी आवेदक ने जांच में शामिल होने के लिए ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) के सामने पेश होने की मंशा नहीं प्रकट की। जब उसके आवेदन को सुनवाई के लिए लिया गया तब वह इस अदालत में भी पेश नहीं हुआ । यह केवल यही दर्शाता है कि आवेदक जांच में सहयोग के लिए तैयार नहीं है।’’
अदालत ने कहा, ‘‘ एनबीडब्ल्यू को रद्द करने के लिए आवेदक द्वारा दायर किये गये आवेदन में कोई दम नहीं है और यह आवेदन खारिज किये जाने के लायक है,इसलिए उसे खारिज किया जाता है।’’
ईडी के अनुसार 1.24 करोड़ यूरो की राशि मॉरीशस में इंटरसेल्युलर टेक्नोलॉजीज लिमिटेड में अंतरित की गयी जो इस वर्तमान मामले में गलत कमाई के धनशोधन के लिए इस्तेमाल किये जाने मुख्य मोर्चों में एक था।
जांच एजेंसी ने बताया कि इंटरसेल्युलर टेक्नोलॉजीज लिमिटेड में जो धनराशि आयी, उसका बड़ा हिस्सा उन कपंनियों के खातों में अंतरित की गयी जो गुप्ता के नियंत्रण में थी।
वैसे सुनवाई के दौरान गुप्ता के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल कई व्याधियों से ग्रस्त हैं जिससे उनके कोविड-19 से संक्रमित होने का खतरा अधिक है।
ईडी ने कहा कि आरोपी को अपनी निकायों के बारे में तथ्यों से अवगत कराने के लिए बार बार कहा गया लेकिन उन्होंने कोई खुलासा नहीं किया और उसे पता चला कि गलत ढंग से की गयी कमाई का धनशोधन किया गया और उसे उसकी विदेशी कंपनियों में लगाया गया।
ईडी ने इस मामले के सिलसिले में सबूत इकट्ठा करने के लिए इस साल प्रारंभ में गुप्ता के परिसरों की तलाशी ली थी।
गुप्ता से ईडी ने 2016 में 3600 करोड़ रूपये के वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे मामले में पूछताछ की थी।
अधकिारियों ने बताया कि उद्योगपति के खिलाफ यह ताजा मामला इस मामले में अन्य आरोपियों द्वारा किये गये कुछ खास खुलासों एवं एजेंसी को मिले कुछ नये सबूतों के बाद सामने आया।
ईडी ने इटली की फिनमेक्केनिका की ब्रिटिश सहायक कंपनी अगस्तावेस्टलैंड से 12 वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की खरीद में कथित अनियमितताओं के बाद धनशोधन का मामला दर्ज किया था। यह सौदा 2014 में भारत द्वारा रद्द कर दिया गया था।
एजेंसी ने 2018 में इस आरोप पर गुप्ता की 10.28 करोड़ रूपये की संपत्तियां जब्त की थीं कि स्विसबैंक खाते में उसकी अघोषित जमाराशि है।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।