चुनावी बॉन्ड पर गरमाई राजनीति, कांग्रेस ने उठाए सवाल

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: April 12, 2019 18:58 IST2019-04-12T18:57:18+5:302019-04-12T18:58:07+5:30

कांग्रेस के प्रवक्ता मनु अभिषेक सिंघवी ने न्यायालय के फैसले पर रोशनी डालते हुए कहा कि यह एक बड़ा झटका है जो सर्वोच्च न्यायालय ने भाजपा को दिया है.

Heavy politics on electoral bonds, Congress raised questions | चुनावी बॉन्ड पर गरमाई राजनीति, कांग्रेस ने उठाए सवाल

भाजपा को चंदे से मिली रकम के आंकड़े बताते हुए सिंघवी ने 2018 से तुलना की और कहा कि एक वर्ष में भाजपा को 62 फीसदी अधिक चंदा मिला है

Highlightsकांग्रेस इस मुद्दे को लंबे मुद्दे से उठा रही थी उसने चुनाव आयोग से भी गुहार लगाई थी कि चुनावी बॉन्ड के जरिए भाजपा काले धन को सफेद कर उसका उपयोग कर रही है. कांग्रेस को उम्मीद है कि जो सीलबंद लिफाफा अदालत में पहुंचेगा उसे खोला जाएगा और तब सार्वजनिक होगा कि भाजपा किस तरह करोड़ो-करोड़ चुनाव पर खर्च कर रही है.

नयी दिल्ली 12 अप्रैल : चुनावी बॉन्ड को लेकर सर्वोच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश आने के बाद कांग्रेस भाजपा पर हमलावर हो गयी है. कांग्रेस ने दावा किया कि सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा बॉन्ड से मिली रकम के खुलासा होने के बाद अब भाजपा को पैसा देने वालों  पर ब्रेक लग जाएगा. 

कांग्रेस के प्रवक्ता मनु अभिषेक सिंघवी ने न्यायालय के फैसले पर रोशनी डालते हुए कहा कि यह एक बड़ा झटका है जो सर्वोच्च न्यायालय ने भाजपा को दिया है. सिंघवी ने आश्चर्य जताया कि चुनावी बॉन्ड के जरिए जो भी रकम आई उसका 94.5 फीसदी भाजपा के खाते में गया और पांच फीसदी से कम में सारे दूसरे राजनीतिक दल निपट गये. 

गौरतलब है कि कांग्रेस इस मुद्दे को लंबे मुद्दे से उठा रही थी उसने चुनाव आयोग से भी गुहार लगाई थी कि चुनावी बॉन्ड के जरिए भाजपा काले धन को सफेद कर उसका उपयोग कर रही है. लेकिन अब जब सर्वोच्च न्यायालय ने कह दिया है कि 30 मई तक जो भी पैसा चुनावी बॉन्ड के रुप में मिला है उसका पूरा विवरण सीलबंद लिफाले में अदालत को सौंपा जाए. 

कांग्रेस को उम्मीद है कि जो सीलबंद लिफाफा अदालत में पहुंचेगा उसे खोला जाएगा और तब सार्वजनिक होगा कि भाजपा किस तरह करोड़ो-करोड़ चुनाव पर खर्च कर रही है. सिंघवी ने यह भी उम्मीद जताई कि इस खुलासे के बाद यह भी साफ हो जाएगा कि किसने कितना पैसा दिया, यह पैसा कहां से आया, यह काला धन तो नहीं था तथा क्या विदेशी ताकतें भारतीय कंपनियों के माध्यम से चुनाव को प्रभावित करने के लिए चंदा तो नहीं दे रही थी. 

इस विवाद के बनने से अब यह सवाल भी खड़े हो गए है कि आखिर वित्तमंत्री अरुण जेटली ने पांच कानूनों में संशोधन कर क्यों बदला. चंदे की रकम जो सीमा निर्धारित की गयी थी आखिर उसे क्यों हटाया गया, गुप्त दान की जवाबदेही सुनिश्चित करने का प्रावधान क्यों डाला गया, यह सभी तथ्य सार्वजनिक होगें. भाजपा को चंदे से मिली रकम के आंकड़े बताते हुए सिंघवी ने 2018 से तुलना की और कहा कि एक वर्ष में भाजपा को 62 फीसदी अधिक चंदा मिला है. यह पैसा किस बैंक खाते से आया और चंदा देने वाला कौन था.  बेहतर हो कि भाजपा पहले ही यह खुलासा कर दें.

Web Title: Heavy politics on electoral bonds, Congress raised questions