Hathras Stampede Accident: 'पत्नी को बहुत रोका, फिर भी वो भोले बाबा के सत्संग में गई और..', पत्नी को खोने के बाद आगरा के महेताब ने बताई पीड़ा
By आकाश चौरसिया | Updated: July 3, 2024 13:03 IST2024-07-03T12:37:33+5:302024-07-03T13:03:18+5:30
Hathras Stampede Accident: हाथरस में हुए सत्संग हादसे में खो चुके पत्नी को आगरा के मेहताब सिंह बताते हैं कि उन्होंने पत्नी को वहां जाने से मना किया था, लेकिन वो मानी नहीं और चली गईं। उन्होंने पत्नी से कहा था कि मत जाओ, रुक जाओ, लेकिन वो चली गईं।

फाइल फोटो
Hathras Stampede Accident: हाथरस सत्संग हादसे में मारे गए लोगों में आगरा के मेहताब सिंह की पत्नी की भी मृत्यु हो गई है। पत्नी के सत्संग में शामिल होने से पहले मेहताब ने वहां जाने से मना किया, उनसे कहा था कि भोले बाबा के सत्संग में मत जाओ। इसके साथ उन्होंने पत्नी से कहा था कि बाबा ढोंगी है, मत जाओ, रुक जाओ, लेकिन उनकी पत्नी मानी नहीं और चली गईं। ये बताते हुए मेहताब का रो-रोकर बुरा हाल हो गया है और वो कह रहे हैं कि ये बाबा, वाबा लोग कुछ नहीं होते हैं।
गौरतलब है कि अब तक कुल 122 लोगों की मौत हो चुकी है और हादसे में भी 38 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। हादसे में मृत पत्नी के बारे में पति ने बताया कि उनकी उम्र 50 वर्ष थी। उन्होंने आगे बताया कि बाबा अगर भगवान होते तो ऐसा नहीं होता। मेहताब आगे बताते हैं कि उन्हें पत्नी की मृत्यु की खबर फोन के जरिए मिली।
पत्नी को बहुत रोका फिर भी वो भोले बाबा के सत्संग में गई और हो गया हादसा! आगरा के पास स्थित एक गांव के रहने वाले मेहताब ने पत्नी को खोने के बाद बाबा को ढोंगी करार दिया है।#BholeBaba#Agra#Hathras | @saritatiwariukpic.twitter.com/J8mDYlqyhx
— UP Tak (@UPTakOfficial) July 3, 2024
पीड़ित मेहताब सिंह ने बताया कि पत्नी के साथ उनकी चाची भी गई थी, लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी। इसके साथ उन्होंने बताया मंगलवार की सुबह पत्नी के साथ मिलकर काम करवाया और खत्म होने के बाद भी उनसे मना किया कि वहां मत जा। मेहताब बताते हैं कि उनकी पत्नी पिछले 6 साल से बाबा के यहां जा रही थी। इस बीच उनके बेटे ने भी मेहताब सिंह को मना किया कि कोई जाए तो टोका मत करो, जाने दो।
हादसा कैसे हुआ
FIR के मुताबिक, कार्यक्रम स्थल से भीड़ के बेकाबू होने के कारण जमीन पर बैठे श्रद्धालु कुचले गए। सड़क के दूसरी ओर पानी और कीचड़ से भरे खेतों में भाग रही भीड़ को आयोजन समिति ने लाठी-डंडों से जबरन रोका, जिससे भीड़ का दबाव बढ़ता गया और महिलाएं, बच्चे और पुरुष दबते रहे।