घृणा भाषण मामला : उच्च न्यायालय ने जंतर मंतर कार्यक्रम के आयोजक को जमानत दी

By भाषा | Updated: September 24, 2021 15:52 IST2021-09-24T15:52:13+5:302021-09-24T15:52:13+5:30

Hate speech case: High court grants bail to organizer of Jantar Mantar event | घृणा भाषण मामला : उच्च न्यायालय ने जंतर मंतर कार्यक्रम के आयोजक को जमानत दी

घृणा भाषण मामला : उच्च न्यायालय ने जंतर मंतर कार्यक्रम के आयोजक को जमानत दी

नयी दिल्ली, 24 सितंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने जंतर-मंतर के समीप पिछले महीने हुए एक कार्यक्रम के आयोजकों में से एक प्रीत सिंह को शुक्रवार को जमानत देते हुए कहा कि घृणा भाषण देने के मामले में अब उससे हिरासत में पूछताछ करने की आवश्यकता नहीं है। इस कार्यक्रम में साम्प्रदायिक नारेबाजी का आरोप है।

न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने आरोपी को 50,000 रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की दो जमानतें जमा करने पर यह राहत दी।

अदालत ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता 10 अगस्त 2021 से हिरासत में है। याचिकाकर्ता से अब हिरासत में पूछताछ की जरूरत नहीं रही। अत: याचिकाकर्ता को 50,000 रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की दो जमानतें जमा करने पर जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया जाता है।’’

साथ ही अदालत ने शर्त रखी कि आरोपी अदालत की मंजूरी के बिना देश छोड़कर नहीं जा सकता और अगर घर के पते और मोबाइल फोन नंबर में कोई बदलाव होता है तो हलफनामे के जरिए उसकी सूचना दी जाएगी।

न्यायमूर्ति गुप्ता ने कहा कि रिकॉर्ड के अनुसार आरोपी दोपहर दो बजे के करीब घटनास्थल से चला गया था जबकि ‘‘सह-आरोपियों ने उकसावे वाले मुख्य शब्द/नारे शाम करीब चार बजे लगाए।’’

अदालत ने कहा कि इस पर कोई राय व्यक्त करना उचित नहीं होगा कि क्या याचिकाकर्ता द्वारा बोले गए शब्द आईपीसी की धारा 153ए (घृणा भाषण) के तहत अपराध के दायरे में आते हैं। बहरहाल वीडियो फुटेज और याचिकाकर्ता के कॉल रिकॉर्ड के अनुसार याचिकाकर्ता दोपहर करीब दो बजे घटनास्थल से चला गया था जबकि सह-आरोपियों ने शाम करीब चार बजे मुख्य शब्द/नारे लगाए थे।’’

सिंह को गिरफ्तार करने के बाद 10 अगस्त को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। उस पर आठ अगस्त को यहां जंतर मंतर पर एक रैली में विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता पैदा करने और धर्म विशेष के खिलाफ युवाओं को भड़काने का आरोप है।

वकील विष्णु शंकर जैन के जरिए दायर याचिका में सिंह ने दावा किया कि वह ‘‘कोई उत्तेजित भाषण देने या किसी व्यक्ति या समुदाय के खिलाफ नारेबाजी में शामिल नहीं था।’’ उन्होंने कहा कि हिंदू राष्ट्र निर्माण की मांग करना भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए (घृणा भाषण) के तहत नहीं आती तथा नारेबाजी के वक्त वह घटनास्थल पर मौजूद भी नहीं था।

अभियोजन की ओर पेश वकील तरंग श्रीवास्तव ने जमानत दिए जाने का विरोध करते हुए कहा कि जांच अभी चल रही है और कथित साम्प्रदायिक नारे लगाने के समय सिंह की अनुपस्थिति उसे किसी भी दायित्व से दोष मुक्त नहीं कर देती है क्योंकि सभी आरोपी मिलकर काम कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि यहां तक कि अपने साक्षात्कार में सिंह ने एक विशेष समुदाय का जिक्र किया था।

निचली अदालत ने 27 अगस्त को सिंह को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि संविधान में सभा करने और अपने विचार व्यक्त करने के अधिकार दिए गए हैं, लेकिन ये अधिकार निरंकुश नहीं हैं और अंतर्निहित उपयुक्त प्रतिबंधों के साथ इनका उपयोग किया जाना चाहिए।

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Web Title: Hate speech case: High court grants bail to organizer of Jantar Mantar event

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